कलम गही नहिं हाथ
जाना कहाँ रे
तेज़ कार चलाने का शौक कोई नया नहीं। यों तो इस शौक वाले
कई प्रतियोगिताएँ और खेल आयोजित करते हैं पर सड़कों पर अपना करतब दिखाने
वालों की भी कमी नहीं। जब भी हम ड्राइव करते हैं सड़कों पर ऐसे शौकीनों
में से एक न एक हमें चकमा देता हुआ कलाबाज़ियाँ दिखाता साफ़ निकल जाता
है। बल्कि कभी निकल जाता है और कभी दो चार को साथ लेकर सीधे परमात्मा की
दुनिया में पहुँच जाता है। ऐसी घटनाएँ अक्सर देखने में आती हैं।
सभी देश और सरकारें इस तरह के लोगों पर रोक लगाने में
लगे हैं। लेकिन न हादसे रुकते हैं न कलाबाज़ियों के शौकीन दम लेते हैं।
एक ओर सख़्त से सख़्त कानून बनते हैं और दंड की धनराशि ज्यादा से ज्यादा
बढ़ती जाती है, दूसरी ओर ' धीरे चलें आपका
परिवार प्रतीक्षा में है' या
'दुर्घटना से देर भली' जैसे संवेदनात्मक
वाक्यों को लिखकर कार चलानेवालों को नियम पालन की शिक्षा दी जाती
है। कुछ देशों में, जिसमें इमारात भी शामिल है, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त
करने की प्रक्रिया इतनी मुश्किल, व्यवस्थित और खर्चीली है कि बिना नियमों
का ठीक से ध्यान रखे ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना असंभव है। पर लगता
है, ड्राइविंग की शैली इस पर निर्भर नही करती है कि ड्राइवर ने स्कूल में क्या
सीखा है बल्कि इस बात पर कि ड्राइवर का स्वभाव कैसा है।
शायद हर अपराध की तरह ड्राइविंग पर भी ठीक से नियंत्रण
रखना इतना आसान नहीं पर जगह जगह कैमरे और सेंसर लगाकर इसको अधिक से अधिक
नियंत्रण करने की कोशिश अधिकतर देशों में की गई है। जब इतनी सख़्ती हो तो जाने
अनजाने हम कहीं न कहीं कोई न कोई गलती करते हैं और कैमरे की नज़र में
फंसकर फ़ाइन भी भरते हैं। हम कितनी गलतियाँ करने से बचते हैं यह इस बात पर
निर्भर करता है कि ड्राइविंग के समय हम कितने सचेत रह पाते हैं। इस
सचेतना की मिसाल कायम की है इस साल इमारात के अलैन शहर में रहने वाले एक नागरिक
ने, जिन्होंने अपने पिछले ४० साल के ड्राइविंग समय में किसी कैमरे और
किसी सेंसर को हाथ लगाने का मौका नही दिया। अहमद सईद सालेम अल
रशीदी नामक इस व्यक्ति की तस्वीरें आज अखबारों में हर जगह छाई हैं। आशा
करें कि हम सब इतनी सजगता से कार चलाएँगे और सड़क को सुरक्षा प्रदान करेंगे।
पूर्णिमा वर्मन
२३ मार्च
२००९
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