मुखपृष्ठ

पुरालेख-तिथि-अनुसार -पुरालेख-विषयानुसार -हिंदी-लिंक -हमारे-लेखक -लेखकों से


हास्य व्यंग्य

1
मेरा पुष्पक विमान
—कृष्ण मोहन मिश्र  
 


मित्रो, अभी-अभी एक धाँसू खबर पढ़ी है। पढ़ते ही कान में हवाई जहाज़ की आवाज गूँजने लगी। ख़बर इतनी ज़्यादा किफ़ायती है कि आप भी बैंक की पासबुक खोजने लगेंगे। अभी सुबह का अखबार बाँच रहा था। एक खबर थी कि अब कार की कीमत में मिलेंगे विमान। खबर पढ़ते ही मुझे अपनी टुटही साइकल का ध्यान आया जो कि मेरे स्व. दादा जी की है।

उस ऐतिहासिक साइकल पर चढ़कर मैं रोज़ सुबह पप्पू को स्कूल छोड़ने जाता हूँ और वापस लौटते वक्त दूध का पैकेट पॉलिथीन में लटकाकर घर वापस आता हूँ। मेरी यह हार्दिक इच्छा है, सच्ची, यह हवाई जहाज़ वाली खबर पढ़ने के बाद तो हार्दिक महत्वाकांक्षा है कि राष्ट्रीय संग्रहालय मेरी खानदानी साइकिल को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित कर दे और बदले में मुझको ५-१० लाख रुपए मुआवज़ा दे दे।

जान है तो जहान है। जहाज़ का बीमा आपने जहाज़ ख़रीदते वक्त ही करवा लिया था और नीचे ज़मीन पर रहने वालों को बचाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि आप अपने आपको बचाएँ। यह पानी का जहाज़ नहीं है कि जहाज़ के साथ-साथ कप्तान भी डूब मरे। यह हवाई जहाज़ है।

अब ज़्यादा सोचने का टेम नहीं है पागल। सीट के नीचे पैराशूट है जिसका पैसा कंपनी वाले आपसे पहले ही वसूल चुके हैं। पीठ में बाँधकर कूद पड़ क्यों कि पतंगें अब नज़दीक आ गई हैं।

इस जहाज़ को लेकर और सब तो खुश हैं पर हवाई प्रशासन परेशान है। कोई आदमी दारू पीकर न विमान उड़ाए इसके लिए भी व्यवस्था करनी पड़ेगी। ये खतरनाक बात है, क्यों कि दारू पीकर चलाने वाले एक्सीडेंट ज़्यादा करते हैं। तो ऊ लोग किसी की भी खोपड़ी पर जहाज़ गिरा सकते हैं। दुर्घटना होने का डर है।

मेरा कंपनी वालों को एक सुझाव है। वो जहाज़ के अंदर हैंडिल के पास एक मशीन लगा दें जो कि पायलट की नाक सूँघ कर ही जहाज़ स्टार्ट करने दे। जहाज़ का कम्प्यूटर घुसते ही चेतावनी दे दे कि नशापत्ती करने वाले, पान बीड़ी, सिगरेट, दारू, चरस, गांजा पीने वाले नशा उतरने के बाद ही जहाज़ पर चढ़ें। नहीं तो मरें।

मित्रों यह जहाज़ एक साल बाद बनकर तैयार होगा सो अभी सरकार के पास काफी टाइम है मेरी ऐतिहासिक साइकल खरीदने के लिए, पर ज़्यादा देर न करें। ज़रूरी हो तो केबिनेट की मीटिंग भी बुलवा लें। एक साल अभी बाकी है और बरसात भी आ गई है सो सालाना सर्विसिंग भी करवा लेता हूँ। आप लोग भी सेविंग एकाउंट खोल लो। ५ लाख इकट्ठे करने हैं। मैं चलता हूँ। पप्पू के स्कूल का टाइम हो गया है और वह बस्ता लेकर मेरे सामने खड़ा है।

-क्यों कि वह साइकल पप्पू को स्कूल छोड़ने के अलावा मुझे दफ्तर ले जाती है, शाम को सब्ज़ी ढोती है, उसके जर्जर हो चुके करियर पर बिठाकर मैं अपनी फैमिली को पिक्चर दिखाने भी ले जाता हूँ। सो एक तरह से वह हमारी मर्सडीज़ है। अब मर्सडीज़ तो २५ लाख के ऊपर आती है पर मैं सरकार से सिर्फ़ १० लाख की ही इच्छा रखता हूँ।

सरकार इस पर जल्दी ग़ौर करे क्यों कि अभी वह जहाज़ ५ लाख के अंदर आ जाएगा। बाकी ५ लाख का मैं पेट्रोल भरवा लूँगा। अगर जहाज़ की कीमत इस बीच बढ़ गई तो फिर मेरे मुआवज़े की रा‍‍शि भी बढ़ जाएगी।

मित्रों अब पूरी खबर भी पढ़ लीजिए क्यों कि ऐसा सस्ता, हल्का, मज़बूत और टिकाऊ जहाज़ तो आप भी खरीदना चाहेंगे। विदेश के कुछ वैज्ञानिक ये सस्ता टू सीटर विमान बना रहे हैं (भैया मेरे पप्पू के लिए भी एक छोटी-सी सीट लगा देना वर्ना वो बेचारा स्कूल कैसे जाएगा।) इस विमान की कीमत करीब ७५०० डॉलर पड़ेगी यानी करीब तीन लाख रुपए।

भारत में बेचेंगे तो हो सकता है थोड़ा महँगा बेचें सो आप पाँच लाख का इंतज़ाम करके रखो। ये जहाज़ फाइबर और ड्यूरालोमिनियम से बनेगा। भैया इसे एल्यूमीनियम से बनाओ या ड्यूरालोमिनियम से, उड़ना चाहिए बस। इस हवाई जहाज़ के लिए छोटी-सी हवाई पट्टी की ज़रूरत पड़ती है।

सो इसके लिए मेरे घर की छत से काम चल जाएगा। मकान मालिक थोड़ा बड़बड़ाएगा तो एकाध बार उसको भी उड़वा देंगे। छत पर एक छोटी-सी फूस की मड़ई है। अपना पुष्पक विमान वहीं पर रात को विश्राम करेगा। चलो इसी बहाने पेट्रोल पंप का भी मुँह देख लेंगे क्यों कि अपनी साइकल में तो सिर्फ़ बरसात बाद ही ऑइलिंग-ग्रीसिंग होती है।

मित्रों, इस विमान में सुरक्षा के भी बेहतरीन इंतज़ाम हैं। अब जैसे आपका उड़ते वक्त तेल खत्म हो जाए तो जहाज़ सटाक से ज़मीन की तरफ़ लपकेगा। आप सोचेंगे कि इस पुष्पक विमान के साथ-साथ आप भी राम जी को प्यारे होने वाले हो पर ऐसी हालत में बिलकुल न डरें। दिल को कड़ा करें।

५ जनवरी २००९

1

1
मुखपृष्ठ पुरालेख तिथि अनुसार । पुरालेख विषयानुसार । अपनी प्रतिक्रिया  लिखें / पढ़े
1
1

© सर्वाधिका सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक
सोमवार को परिवर्धित होती है।