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					हितकारी शोध कागज पर सौर ऊर्जा
 डॉ. भक्त दर्शन 
					श्रीवास्तव
 
 आज उर्जा के विभिन्न 
					क्षेत्रों में तेजी से शोध कार्य हो रहा है। सभी शोधों का 
					उद्देश्य अनवरत रूप से सस्ती व आवश्यक बिजली प्राप्त करना है। 
					प्राकृतिक तौर से प्राप्त होने वाली सौर उर्जा को एकत्र कर 
					रखना अत्यन्त दुष्कर कार्य है। इसके लिए सौर सेल की आवश्यकता 
					पढती है। जिसमे सूर्य से प्राप्त उर्जा को एकत्रित कर आवश्यकता 
					अनुसार प्रयोग किया जा सके। पारम्पारिक रूप से सौर सेल में 
					इस्तेमाल होने वाले इन्एक्टिव मटेरियल व अवयवो के कारण स्थान 
					अधिक लगता है और अनेक परेशानियों का सामना करना पडता है।
					 अब नये शोध से उम्मीद की जा 
					सकती है कि इस उर्जा के संग्रहण के लिए कागज या कपड़ों जैसी 
					सस्ती सतहों पर सौर सेल को प्रिंट कर, सौर इंस्टालेशन की लागत 
					भी काफी कम की जा सकेगी। खुले स्थानों पर प्रयोग के लिए इनको 
					लेमिनेट कर वर्षा व तूफानी इलाकों में आसानी से प्रयोग किया जा 
					सकेगा और सेल के फंक्शन पर कोई असर भी नहीं होगा। इन्हें आप 
					मोड़कर अपनी जेब में रख सकते हैं। जेब से निकाल कर इस्तेमाल कर 
					सकते हैं। बार बार मोड़े जाने पर भी इस कागजी सौर सेल की कार्य 
					क्षमता पर कोई असर नहीं पडता। सूरज की रोशनी से इन्हे बिजली 
					पैदा करते भी देख सकते हैं। 
 यह संभव हुआ है-करेन ग्लिसन, एलेक्जेंडर, माइकल कसेल व उनके 
					मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के साथियों की शोध से। 
					उन्होने साधारण कागज, कपड़े या प्लास्टिक पर सौर सेल को प्रिंट 
					कर इस दिशा में कांतिकारी उपलब्धि हासिल की है। इन्होंने कुछ 
					नये विशेष पदार्थों का निर्माण कर यह भी सिद्ध कर दिया है कि 
					इस प्रकार भी फोटो वोल्टिक सेल बनाए जा सकते हैं। वास्तव में 
					यह किसी प्रिन्टर से फोटो या कोई सामग्री प्रिन्ट करने जैसा 
					है। इसमें विशेष स्याही का प्रयोग किया जाता है। विशेष 
					प्रिन्टर से कम से कम पॉच बार प्रिंटआउट लेने पर कागज पर रंगीन 
					चतुर्भुजों जैसी शृंखला दिखाई देती है। यही कागज प्रिंट सौर 
					सेल या सोलर सेल बन जाता है।
 
 वर्तमान मे सौर सेल बनाने में जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है 
					उसकी तुलना में नई तकनीक एकदम भिन्न है। मौजूदा तकनीक में तरल 
					पदार्थों और उच्च तापमान की आवश्यकता पड़ती है। जबकि नए 
					प्रिटिंग विधि में तरल पदार्थों के स्थान पर वाष्प का इस्तेमाल 
					किया जाता है और इस विधि में तापमान एक सौ बीस डिग्री सेल्सियस 
					से कम रहता है। इन सॉफ्ट कंडीशन के कारण साधारण कागज, कपड़े या 
					प्लास्टिक पर प्रिन्ट करना संभव हो गया है। कागज पर 
					फोटोवोल्टिक सेलों की शृंखला निर्मित करने के लिए कागज की एक 
					ही परत पर इस नवनिर्मित पदार्थ की पाँच परतें जमा करनी पडती 
					हैं। यह प्रक्रिया एक वैक्यूम प्रकोष्ट में करनी पढती है। सौर 
					सेल बनाने के लिए एक प्रिंट आउट से काम नहीं चलता।
 
 इसके पूर्व भी कई शोधकर्ताओं के द्वारा कागज पर प्रिंट सौर सेल 
					तथा अन्य इलेक्ट्रानिक अवयवों को बनाने के प्रयास हुए किन्तु 
					कागज की खुरदरी सतह तथा रेशे होने के कारण उन्हें पहले कागज पर 
					एक विशेष कोटिंग की आवश्यकता पडती थी जिससे सतह चिकनी हो जाए। 
					लेकिन वर्तमान शोध के माध्यम से साधारण कागज, टिश्यू पेपर, 
					ट्रेसिंग पेपर, कपड़े व प्लास्टिक यहाँ तक की न्यूजप्रिंट पेपर 
					पर भी प्रिंट कर सौर सेल बनाया जा सकता है, और यह इन सभी पर 
					बेहतरीन कार्य भी करता है। पारम्पारिक सौर सेल उनमें इस्तेमाल 
					होने वाले इन्एक्टिव मटेरियल व अवयवो के कारण बहुत महँगे होते 
					हैं इनकी तुलना प्रिंट सौर सेल सस्ते होंगें।
 
 
                    ५ सितंबर २०११ |