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प्रौद्योगिकी

ऑफ़िस हिंदी माइक्रोसॉफ्ट की नई सौगात
-विजय कुमार मल्होत्रा

कंप्यूटर में अंग्रेज़ी के व्यापक उपयोग के कारण आम लोगों में यह धारणा बन गई थी कि अंग्रेज़ी ही कंप्यूटर की मूल भाषा है। इस धारणा की पुष्टि इस कारण से भी होने लगी थी किसी भी सॉफ्टवेयर पर फ़ाइल का नाम केवल अंग्रेज़ी में ही रखा जा सकता था। अकारादि क्रम से शब्दों की अनुक्रमणिका तक नहीं बनाई जा सकती थी और यही कारण है कि हिंदी में कोश निर्माण जैसे श्रमसाध्य और समयसाध्य कार्य के लिए भी कंप्यूटर का उपयोग मात्र टाइपिंग के लिए ही किया जा सकता था।

आइए अब हम ऑफ़िस हिंदी की विशेषताओं की झलक पाने से पहले उसकी पृष्ठभूमि पर एक नज़र डालें। विंड़ोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम का निर्माण और विकास माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन ने किया है और इसके अंतर्गत एम.एस.ऑफ़िस के विभिन्न अनुप्रयोगों का विकास भी माइक्रोसॉफ्ट के तत्वावधान में ही किया गया है, किंतु आरंभ में विश्व की कुछेक भाषाओं को ही इसमें स्थान दिया गया था। कदाचित इसका कारण यह भी था कि भारत में हिंदी को संवैधानिक मान्यता मिलने के बावजूद हिंदी को उचित स्थान प्रदान नहीं किया गया था और अंग्रेज़ी का वर्चस्व इस कदर बढ़ गया था कि विदेश में रहने वाले लोगों को ऐसा लगने लगा था कि भारत की प्रमुख राजभाषा भी कदाचित अंग्रेज़ी ही है।

लेकिन यह एहसास होने पर कि विश्व में तीसरे स्थान पर बोली जाने वाली भाषा आज भी हिंदी है और इसकी और अधिक उपेक्षा से माइक्रोसॉफ्ट के व्यापारिक हितों को भी नुकसान पहुँच सकता है, माइक्रोसॉफ्ट ने वर्ष 1998 में वर्ड २००० के दक्षिण पूर्वेशिया संस्करण में हिंदी को सीमित स्थान देकर इसकी शुरुआत की। उस समय तक भारत की अनेक कंपनियों ने हिंदी और अनेक भारतीय भाषाओं में विभिन्न प्रकार के फ़ांट बनाने का काम शुरू कर दिया था। यही कारण है कि आरंभ में माइक्रोसॉफ्ट की इस शुरुआत पर लोगों ने इतना ध्यान नहीं दिया, किंतु कुछ समय के बाद ऑफ़िस एक्स पी के लोकार्पण के बाद कंप्यूटर जगत में एक हलचल-सी मच गई। ऑफ़िस एक्स पी के माध्यम से पहली बार हिंदी को ऑपरेटिंग सिस्टम में समाहित किया गया था और उपयोगकर्ता सरलता और सहजता के साथ कंप्यूटर पर अपने सभी कार्य हिंदी में संपन्न कर सकते थे। यहाँ तक कि अपनी फ़ाइलों के नाम भी हिंदी में लिख सकते थे, किंतु ये सभी कार्य विंड़ोज़ २००० और उससे ऊपर के सिस्टम में ही संभव थे। इसका प्रमुख कारण यह था कि माइक्रोसॉफ्ट ने यूनिकोड़ के विश्वव्यापी मानक को अपनाया था, जिसका न्यूनतम आधार विंड़ोज़ २००० है। इसके विपरीत बाज़ार में उपलब्ध अधिकांश हिंदी फ़ांट विंड़ोज़ 1999 पर भी चल सकते थे।

इस सीमित पृष्ठभूमि के बाद, आइए अब हम सबसे पहले ऑफ़िस हिंदी की उन विशेषताओं की झलक देखें, जिनके कारण यह ऑफ़िस हिंदी के नाम से लोकप्रिय होने लगा है। वस्तुत: माइक्रोसॉफ्ट ने अब ऑफ़िस हिंदी के साथ-साथ विंड़ोज़ हिंदी का भी लोकार्पण कर दिया है।

इसकी सबसे महत्वपूर्ण परिणति यह हुई है कि अब विंड़ोज़ हिंदी का संपूर्ण इंटरफ़ेस ही हिंदी में रूपांतरित हो गया है अर्थात इसका मेनू, सबमेनू, सहायता आदि भी हिंदी में हो गए हैं। इससे अंग्रेज़ी न जानने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए काफ़ी सुविधा हो गई है। इसी प्रकार अब फ़ाइलों के नाम भी हिंदी में रखे जा सकते हैं।
हिंदी और अंग्रेज़ी में तथा हिंदी के विभिन्न कुंजीपटलों के बीच स्विच करने के लिए एक भाषा पटि्टका दी गई हैं। इस पटि्टका की सहायता से उपयोगकर्ता हिंदी के विभिन्न कुंजीपटलों में से अपनी पसंद के कुंजीपटल का चुनाव कर सकते हैं।

इनमें प्रमुख कुंजीपटल हैं : रेमिंगटन, इन्स्क्रिप्ट और ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण कुंजीपटल, रेमिंग्टन कुंजीपटल उन उपयोगकर्ताओं के लिए सहज है जो टाइपराइटर पर काम करने के अभ्यस्त रहे हैं। इन्स्क्रिप्ट कुंजीपटल कंप्यूटर का तर्कसंगर कुंजीपटल है, जिसे देवनागरी के वर्णक्रम के अनुरूप बनाया गया है। मूलत: कंप्यूटर पर हिंदी में काम करनेवाले उपयोगकर्ताओं के लिए यह बहुत उपयुक्त है। ध्वन्यात्मक लिप्यंतरण कुंजीपटल रोमन लिपि के माध्यम से काम करने वाले उपयोगकर्ताओं के लिए आदर्श हैं। इसमें हिंदी की बारहखड़ी की पद्धति का पूरा उपयोग किया गया है। यदि आप कृष्ण टाइप करना चाहते हैं तो जैसे ही आप क टाइप करेंगे तो क का कि की कु कू के कै को कौ कृ कं क: की पूरी बारहखड़ी नीचे दिखाई पड़ने लगेगी और उसके नीचे k kaa ki kee ke kai ko kau kR k^ kH दिखाई पड़ने लगेगा। इसे देखकर उपयोगकर्ता कृष्ण के कृ को सहजता से टाइप कर सकेगा। इसके बाद जब वह स टाइप करेगा तो स की पूरी बारहखड़ी के अलावा स से बनने वाले श (sh) और ष (Sh) के रोमन अक्षर भी दिखाई पड़ने लगेंगे और अंत में n टाइप करते ही ण (N) भी दिखाई पड़ने लगेगा।

ऑटो करेक्ट ऑफ़िस हिंदी की अन्यतम विशेषता है। ऑटो करेक्ट और स्पेल चेकर में मुख्य अंतर यही है कि स्पेल चेकर केवल अशुद्धियों को रेखांकित करता है और ऑटो करेक्ट उन्हें ठीक भी कर देता है। हिंदी में थिसॉरस का प्रवेश भी पहली बार ऑफ़िस हिंदी में ही किया गया है। दाहिने क्लिक करके आप किसी भी शब्द के पर्याय, विलोम और संबद्ध शब्दों को देख सकते हैं।

हिंदी में अकारादि क्रम से अनुक्रमणिका तैयार करने का कार्य सॉर्टिंग के माध्यम से वर्ड, एक्सेस और एक्सेल के माध्यम से सहजता से किया जा सकता है। इसका उपयोग कोश निर्माण, पुस्तकालय और वरियता सूची आदि के लिए किया जा सकता है।

खोजें और बदलें के माध्यम से आप हिंदी या अंग्रेज़ी के किसी भी शब्द या वाक्य को खोजकर पूरे पाठ में एक साथ भी बदल सकते हैं।

वाटर मार्क या जलचिह्न का उपयोग करेंसी नोट या गोपनीय दस्तावेज़ों में किया जाता है।

वर्ड आर्ट डीटीपी की ख़ास विशेषता मानी जाती है। अब यह विशेषता ऑफ़िस हिंदी में भी सुलभ हो गई है। इससे यह स्पष्ट है कि ऑफ़िस हिंदी के आगमन से आज कंप्यूटर के क्षेत्र में कोई वर्जित प्रदेश नहीं रह गया है।

१६ सितंबर २००४
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