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स्वाद और स्वास्थ्य

सुन सुन लहसुन 

 क्या आप जानते हैं?

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लहसुन को सब से पहले चीन में उगाया गया व चीन से ही यह दुनिया में फैल गया।
 

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विश्व में सबसे अधिक लहसुन (लगभग ९० प्रतिशत) अमेरिका के कैलिफोर्निया प्रांत में उगाया जाता है।
 

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ठंडे पानी के भीतर स्टील के बर्तन से हाथों को रगड़ने से हाथों में बसी लहसुन की महक दूर हो जाती है।

दुनिया में सदियों से लहसुन का प्रयोग सब्जी में मसाले या फिर चटनी के रूप में होता आया है। कई घरों में तो लहसुन के बिना सब्जी बनती ही नहीं, क्योंकि इसकी वजह से सब्जी में जो खास खुशबू आती है, वह भोजन को बेहद जायकेदार बना देती है। प्राचीन लेखों से पता चलता है कि लहसुन को सब से पहले चीन में उगाया गया व चीन से ही यह दुनिया में फैल गया। लहसुन को उगाने के लिए खनिज पदार्थों से युक्त मिट्टी के अलावा ठंडा मौसम चाहिए।

एलियम सैटाइवम नाम से प्रसिद्ध लहसुन खाने में तीखा, गरम, वृष्य, स्निग्ध, रुचिकर, पाचन कारक होता है। लहसुन वास्तव में एक द्विवर्षी पौधा है, जिसमें दूसरे साल फूल व बीज बनते हैं। पर इसे एक वर्षीय पौधे के रूप में भी उगाया जाता है। प्याज के ही परिवार के सदस्य लहसुन की जड़ें रेशेदार, तना बेहद पतला व चिपटा तथा पत्तियाँ गूदेदार होती हैं व इन्हीं गूदेदार, चपटी व हरी पत्तियों के नीचे लहसुन की गाँठ मिलती है, जिसमें करीब २०-३० छोटी गाँठें या पूतियाँ पतले सफेद आवरण द्वारा एक दूसरे से बँधी दिखाई पड़ती हैं। हर पूती के चारों ओर भी सफेद शल्कनुमा आवरण मिलता है।  एक कलीवाला लहसुन भी पाया जाता है जो अपेक्षाकृत अधिक गुणकारी है।

रोचक तथ्य-

लहसुन का प्रयोग, सूप, सब्जी दाल रोटी नान आदि भोजन की लगभग सभी चीजों में होता है। अनेक देशों में इसे मिठाइयों और पेय में भी डाला जाता है। अनेक प्रकार की वाइन में इसका प्रयोग होता है। महान यूनानी चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने भी लहसुन को कई रोगों की अचूक दवा बताते हुए लहसुन के गुणों के बारे में विस्तार से लिखा है। ईसाई देवीदेवता शास्त्र के अनुसार जब शैतान ने ईडेन गार्डेन का त्याग किया तब उसके बाएँ पदचिह्न से लहसुन की उत्पत्ति हुई। अनेक जनजातियों में इसका प्रयोग भूत और चुड़ैलों को भगाने में किया जाता है। मच्छरों, दीमकों और कीटों को भगाने के लिये भी इसका प्रयोग किया जाता है। १९ अप्रैल को अंतरराष्ट्रीय लहसुन दिवस मनाया जाता है। लहसुन की तीन सौ से भी अधिक किस्में विश्व में पाई जाती हैं और इसके प्रयोग के प्रमाण ईसापूर्व ४,००० वर्ष से भी पहले के मिलते हैं। मिस्र में पिरामिड बनाने वाले मजदूरों को भोजन में लहसुन नमक और रोटी का भोजन दिया जाता था। मिशिगन झील के किनारे उगने वाली लहसुन की एक प्रजाति शिकागुआ, के नाम पर शिकागो शहर का नामकरण किया गया था। लहसुन को सब से पहले चीन में उगाया गया व चीन से ही यह दुनिया में फैल गया।

रासायनिक विश्लेषण-

१०० ग्राम लहसुन का रासायनिक विश्लेषण करने पर पता चलता है कि इसमें करीब ६.३ ग्राम प्रोटीन, ०.१ ग्राम वसा, २९.८ ग्राम कार्बोज, ६२ ग्राम नमी, ०.८ ग्राम रेशा, ३० मि.ग्रा. कैल्शियम, ३०१ मि.ग्रा. फॉस्फोरस, १.२ मि.ग्रा. लौहतत्व,०.०६ मि.ग्रा. थायेमीन, ०.२३ मि.ग्रा रिबोफ्लेविन, ०.४ मि.ग्रा. नियासिन, १३ मि.ग्रा. विटामिन सी, १४५ कि. कैलोरी ऊर्जा होती है। लहसुन में १७ अमीनो ऐसिड पाए जाते हैं, साथ ही प्रोबायोटिक इन्युलिन भी पाया जाता है जो पाचक बैक्टीरिया को बढ़ाता है, इसी के कारण पाचन तंत्र को लाभ मिलता है। इसकी एक पुति में केवल ४ कैलोरी ही पाई जाती हैं।

लहसुन के औषधीय प्रयोग-

  • उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए लहसुन का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है, क्योंकि यह धमनियों की ऐंठन को दूर कर देता है। हर रोज दो या तीन पूतियाँ खाने से ही काफी राहत मिलती है।

  • वायु (गैस) गैस से पीड़ित लोग कच्चा या अचार के रूप में लहसुन खाएँ तो फायदा होता है।

  • आलस्य, नींद आती रहना व मन गिरे रहने की स्थिति में भी लहसुन का प्रयोग उचित माना गया है। हर रोज दो या तीन पूतियाँ खाने से लाभ मिलता है।

  • हृदय की धमनियों में कोलेस्ट्रॉल की अधिक मात्रा जम जाने के कारण धमनियाँ कड़ी हो जाती हैं व हृदयगति रुक जाने का खतरा बना रहता है। लहसुन में कोलेस्ट्रॉल को धमनियों से निकाल देने की क्षमता होती है, इसीलिए हृदय रोगों से बचने के लिए लहसुन का सेवन करना हितकर रहता है।

  • लहसुन में कैंसर से लड़ने की भी भरपूर शक्ति होती है व प्रयोगों से पाया जाता है कि लहसुन कैंसर कोशिकाओं को मारने में सहायक हो सकता है। लहसुन खून को साफ करने का काम भी करता है। रक्त में से अवांछित तत्वों को निकाल शरीर को नई शक्ति देता है।

  • जोड़ों में दर्द व सूजन को दूर करने के लिए एक दिन में चार या पाँच पूती लहसुन (कच्चा या आचार के रूप में) खाने से काफी राहत मिलती है। नियमित प्रयोग से जोड़ों का दर्द व सूजन दोनों खत्म हो जाती है।

  • काली खाँसी होने पर लहसुन के रस की पाँच छह बूँदें एक दिन में तीन या चार बार लेने से काफी लाभ मिलता है। खाँसी काफी आ रही हो तो हर तीन घंटे पर पाँच छह बूँदें लेनी चाहिए।

  • लहसुन का लेप चेहरे पर लगाने से मुँहासे दूर हो जाते हैं व इनका दाग तक नजर नहीं आता। लहसुन का लेप लगाने के साथ अगर लहसुन खाया भी जाए, तो राहत और जल्दी मिलती है। त्वचा पर खुजली हो जाने पर भी लहसुन का लेप आराम देता है।

  • घावों को धोने के लिए लहसुन के रस का एक भाग तीन भाग पानी में मिलाकर प्रयोग करना चाहिए। लहसुन में रोगाणु नाशक शक्ति होती है, इसलिए इस प्रकार धोने से घाव रोगाणु मुक्त हो जाता है। घाव को धोने के बाद लहसुन को पीसकर घाव पर लगाकर पट्टी बाँध देनी चाहिए। इससे लाभ और जल्दी मिलता है। लहसुन घाव के दर्द को भी दूर करता है।

  • लहसुन पाचन शक्ति बढ़ाने में भी काम आता है। आँतों की गति बढ़ाने के साथ यह पाचक रसों की मात्रा आहार तंत्र में बढ़ाता है। अपच होने पर लहसुन को पीसकर पानी या दूध में मिलाकर पीने से काफी लाभ मिलता है। आँतों में सूजन आ जाने पर लहसुन के प्रयोग से राहत मिलती है लहसुन का प्रयोग बालों की जड़ मजबूत करने के लिए भी किया जाता है। बालों की मजबूती के लिए तीन-चार पूती रोज खानी चाहिए।

३१ मार्च २०१४

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