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                                    |  1 | विदेशों में हिंदी
                              मीडियाउत्सव के तीसरे दिन सबेरे प्रथम सत्र में
                              विषय था 'विदेशों में हिंदी मीडिया'।
                              लंदन से आये प्रवासी टाइम्स एवं पुरवाई के
                              संपादक डा. पद्मेश गुप्त ने इस सत्र में हिंदी
                              अंतर्राष्ट्रीय अख़बार और प्रवासी चैनल की
                              आवश्यकता प्रतिपादित की। प्रसिद्ध मीडियाकर्मी
                              यशवंत देशमुख ने हिंदी को भारत के परिप्रेक्ष्य
                              से आगे बढ़ाने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।
                              दिल्ली विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका डा. स्मिता
                              मिश्र ने हिंदी फ़िल्मों के द्वारा वैश्विक हिंदी
                              प्रसार की चर्चा की। यू.के. मीडियाकर्मी
                              रामभट्ट ने हिंदी की विदेशों के स्थानीय
                              मसलों तक पहुंच बनाने का सुझाव दिया।
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                                    | 'विदेश
                                      में हिंदी मीडिया सत्र में बोलते हुए
                                      यू के हिंदी समिति के अध्यक्ष और
                                      प्रवासी टाइम्स के संपादक डा पद्मेश
                                      गुप्त प्रसिद्ध शायर व मीडियाकर्मी मुनव्वर राणा ने
                              हिंदी के साथ मन वचन और कर्म से
                              जुड़ने की ज़रूरत बताई। मीडिया प्राध्यापक
                              चैतन्य प्रकाश ने विदेशों में हिंदी मीडिया
                              के वैशिष्ट्य के लिए उसके प्रसार के
                              साथसाथ विषयवस्तु की गुणवता पर
                              भी ध्यान दिया जाना चाहिए। संचालन करते
                              हुए डा. जवाहर कर्नावट ने विदेशों में
                              हिंदी मीडिया के इतिहास को उजागर किया।
                              अध्यक्षीय भाषण में आकाशवाणी के निदेशक
                              सुभाष सेतिया ने हिंदी को विषय के तौर पर
                              नहीं बल्कि भाषा के रूप में ही प्रसारित किए
                              जाने पर बल दिया।  |  
                              विदेश में हिंदी
                              शिक्षण तथा अनुवाद'विदेश में हिंदी शिक्षण तथा अनुवाद' सत्र
                              में प्राध्यापक डा. प्रेम जनमेजय ने शिक्षण
                              की सुगम मैत्रीपूर्ण आधुनिक प्रणाली के
                              प्रयोग का सुझाव दिया। सोफिया
                              विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डा. देवेन्द्र
                              शुक्ल ने भारतीय विद्या को विद्यारत्न में
                              परिणत किये जाने पर बल दिया। इस सत्र में
                              अनिल जोशी ने कहा कि अगली पीढ़ी तक यह
                              भाषा कैसे पहुंचे इस पर विचार आवश्यक
                              है। उन्होंने पाठ्यक्रम की संरचना एवं सृजन
                              के प्रयासों की आवश्यकता चिन्हित की। डा.
                              कुसुम अग्रवाल ने हिंदी की अंतर्राष्ट्रीय यात्रा
                              और उसमें अनुवाद की भूमिका पर आलेख पढ़ा।
                              प्रो. वी. जगन्नाथन ने अध्यक्षता करते हुए
                              कहा कि हिंदी को शृंखला की पहली कड़ी होना
                              चाहिए तथा अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को दूसरी
                              तथा तीसरी। उन्होंने हिंदी भाषा के बचपन से
                              प्रयोग एवं मौलिक अधिकारों में राष्ट्रभाषा
                              सिखाने के अधिकार की मांग करने का आह्वान
                              किया। इस सत्र का संयोजन व संचालन डा.
                              राजेश कुमार ने किया।
 
 विदेश में कंप्यूटर व
                              हिंदी प्रौद्योगिकी
 'विदेश में कंप्यूटर व हिंदी प्रौद्योगिकी' सत्र
                              की अध्यक्षता भाषा विज्ञानी डा. सूरजभान
                              सिंह ने की। सत्र आरंभ करते हुए श्री विजय
                              कुमार मल्होत्रा ने कहा कि हिंदी के विद्वान अपने
                              लेखन के लिए कंप्यूटर का उपयोग करते भी
                              हैं तो वे भी कंप्यूटर को मात्र टाइपराइटर की
                              तरह ही इस्तेमाल करते हैं। स्पेल चैकर आटो
                              करेक्ट और सार्टिंग जैसे सामान्य फीचरों तक
                              का उपयोग नहीं किया जाता। इस संदर्भ में
                              सबसे पहले क्रांतिकारी परिवर्तन तो यही है कि
                              आज विश्व की सभी लिखित भाषाओं के लिए
                              युनिकोड नामक समान विश्वव्यापी कोड को
                              लगभग सभी कंप्यूटर कंपनियों ने अपना
                              लिया है। यह कोडिंग सिस्टम फान्ट्स मुक्त और
                              प्लेटफार्म मुक्त है। विंडोज 2000 या उससे उपर
                              के सभी सिस्टम युनिकोड को सपोर्ट करते हैं।
                              इसी युनिकोड के कारण ब्लागर आदि का निर्माण
                              भी हिंदी में सरलता से किया जा सकता है।
 आरंभिक
                              वक्ता के रूप में डा. अशोक चक्रधर ने अपनी
                              रोचक शैली में बारह खड़ी के माध्यम से
                              'बोड़म जी' नामक पात्र के ज़रिए आफ़िस
                              हिंदी2003 के नवीनतम और अधुनातन
                              लक्षणों को समझाने का प्रयास किया।  इसके
                              बाद शारजाह से पधारीं श्रीमती पूर्णिमा
                              वर्मन ने हिंदी गद्य और पद्य साहित्य की अपनी
                              लोकप्रिय वेबपत्रिकाओं 
								
								www.abhivyakti-hindi.org
                              और 
								
								www.anubhuti-hindi.org
                              का संक्षिप्त परिचय देते हुए श्रोताओं को हिंदी
                              में निःशुल्क वेबसाइट निर्माण की विधि से
                              परिचित कराया।  अंत
                              में प्रो. सूरजभान सिंह जिन्होंने सीडैक
                              में सलाहकार के रूप में कार्य करते हुए
                              राजभाषा विभाग के सहयोग से
                              लीलाहिंदी नाम से स्वयं हिंदी शिक्षक और
                              मंत्रा नाम से अंग्रेजीहिंदी मशीनी
                              अनुवाद के पैकेज विकसित करने में महत्वपूर्ण
                              भूमिका का निर्वाह किया है ने अपना
                              अध्यक्षीय वक्तव्य दिया। प्रो. सिंह ने अपने
                              वक्तव्य में इन पैकेजों के बारे में विस्तार
                              से बताते हुए यह स्पष्ट किया कि भाषिक
                              विश्लेषण के बिना कोई भी कंप्यूटर
                              वैज्ञानिक इस प्रकार के पैकेजों का निर्माण
                              नहीं कर सकता। सभी
                              अकादमिक सत्रों का आयोजन साहित्य अकादमी के
                              रवीन्द्र भवन सभागार में किया गया था।
 सम्मान अर्पण समारोह
                              व कवि सम्मेलन
 22 जनवरी 2006 हिंदी भवन सभागार में
                              हिंदी के वैश्विक विमर्श के लिए आयोजित
                              प्रवासी भारतीय उत्सव का समापन
  कार्यक्रम
                              गौरव गरिमा और भव्यता लिए हुए था।
                              राजधानी दिल्ली के आई.टी.ओ. स्थित हिंदी
                              भवन में शरद ऋतु की वह शाम इतिहास लिखने
                              के लिए तत्पर थी। इस अपूर्व संगम का उत्कर्ष
                              भावनात्मक उन्मानों का दस्तावेज़ बन गया। समापन कार्यक्रम में पहले सम्मान अर्पण हुआ
                              और फिर प्रवासी संवेदना से एकात्मकता के
                              मानसरोवर में हिलोरे लेने वाली
                              भावपूर्ण कविताओं के रसास्वादन कराने वाला
                              अनूठा चतुर्थ प्रवासी भारतीय कवि सम्मेलन
                              सम्पन्न हुआ। 1
 डॉ सुषम बेदी को
                              'अक्षरम साहित्य सम्मान 2006 से सम्मानित
                              करतीं भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की उप
                              महानिदेशक श्रीमती मोनिका मेहता
 
 सम्मान अर्पण समारोह
 सम्मान अर्पण समारोह में मुख्य अतिथि के रूप
                              में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की
                              उपमहानिदेशक श्रीमती मोनिका मोहता ने इस
                              आयोजन को अपूर्व बताते हुए अपनी
                              शुभकामनाएं दी। इस कार्यक्रम में प्रख्यात
                              मनीषी एवं ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त
                              रहे डा. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी अध्यक्ष के नाते
                              उपस्थित रहे। इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों
                              में प्रवासी एवं निवासी भारतीयों का
                              सम्मान किया गया। 'अक्षरम साहित्य सम्मान'
                              अमेरिका में रहने वाली प्रसिद्ध हिंदी कवयित्री
                              डा. सुषम बेदी को दिया गया। यही सम्मान
                              प्रख्यात साहित्यकार डा. हिमांशु जोशी को
                              देश में उनकी साहित्य साधना के लिए दिया
                              गया।
 इसी तरह 'अक्षरम हिंदी सेवा सम्मान' डा. कृष्ण
                              कुमार (ब्रिटेन) को दिया गया तथा देश में
                              यही सम्मान ओम विकास को प्रौद्योगिकी के
                              क्षेत्र में हिंदी को स्थापित करने के लिए प्रदान
                              किया गया। मीडिया के क्षेत्र में 'अक्षरम
                              प्रवासी मीडिया सम्मान' पूर्णिमा वर्मन
                              (दुबई) रामभट्ट (यू.के.) एवं सुधा
                              ढींगरा (यू.एस.ए.) को दिया गया। 'अक्षरम
                              विशिष्ट सम्मान' डा. शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव
                              को विश्व हिंदी दिवस की संकल्पना प्रस्तुत करने
                              के लिए तथा 'अक्षरम विशिष्ट सहयोग सम्मान'
                              केशव कौशिक को दिया गया। इस अवसर पर
                              'अक्षरम संगोष्ठी' पत्रिका के प्रवासी विशेषांक
                              का तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद की
                              पत्रिका 'गगनांचल' का लोकार्पण भी किया
                              गया।
 
 चतुर्थ प्रवासी भारतीय
                              कवि सम्मेलन
 चतुर्थ प्रवासी भारतीय कवि सम्मेलन की
                              अध्यक्षता देशविदेश के प्रख्यात कवि डा.
                              अशोक चक्रधर ने की। इस कवि सम्मेलन में
                              प्रसिद्ध गीतकार डा. कुंवर बेचैन ग़ज़लकार
                              श्री बालस्वरूप राही एवं प्रसिद्ध कवि गोविंद
                              व्यास ने अपनी रचनाओं का पाठ कर खूब
                              प्रशंसा प्राप्त की। विदेश से आमंत्रित कवियों
                              में डा. सुषम बेदी (यू.एस.ए.) डा.
                              पद्मेश गुप्त (यू.के.) वेद प्रकाश बटुक
                              (यू.एस.ए.) उषा राजे सक्सेना (यू.के.)
                              शैल अग्रवाल (यू.के.) डा. सुधा
                              ढींगरा (यू.एस.ए.) पूर्णिमा वर्मन (दुबई),
                              डा. कृष्ण कुमार (यू.के.) नरेन्द्र
                              ग्रोवर (यू.के.) शैल चतुर्वेदी (यू.के.)
                              एवं रामभट्ट (यू.के.) ने अपने काव्यपाठ से
                              उपस्थित श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।
 प्रसिद्ध
                              ग़ज़लकार मुनव्वर राना ने अपनी मर्मस्पर्शी
                              ग़ज़लों की प्रस्तुति से सभी को भावविभोर
                              कर दिया। बृजेंद्र त्रिपाठी अनिल जोशी
                              गजेंद्र सोलंकी नरेश शांडिल्य राजेश
                              'चेतन' हरेन्द्र प्रताप कमलेश रानी
                              अग्रवाल जैसे देश के नामी कवियों ने इस
                              कवि  सम्मेलन में अपनी संवेदनशील
                              कविताओं दोहों गीतों और ग़ज़लों
                              से श्रोताओं को भावनात्मक ऊर्जा से भर
                              दिया। कवि  सम्मेलन का कुशल संचालक
                              आकाशवाणी के उपनिदेशक लक्ष्मीशंकर वाजपेयी
                              ने किया। कार्यक्रम में भारी संख्या में
                              गणमान्य साहित्यकार और हिंदी प्रेमी उपस्थित
                              थे। दिल्ली के अतिरिक्त दूसरे राज्यों से भी
                              साहित्यकारों की उपस्थिति ने समारोह की
                              गरिमा को विशेष रूप से बढ़ाया। कार्यक्रम के
                              अंत में चतुर्थ प्रवासी हिंदी उत्सव के मुख्य
                              संयोजक अनिल जोशी ने सभी का धन्यवाद
                              ज्ञापन किया। 
 चतुर्थ प्रवासी भारतीय कवि सम्मेलन में
                              मंच से काव्यपाठ करती शारजाह (यू ए ई) से पधारी
                              कवयित्री श्रीमती पूर्णिमा वर्मन
 अक्षरम संगोष्ठी ब्यूरो |