| कथा (यू के) के मुख्य सचिव एवं प्रतिष्ठित कथाकार श्री तेंजेन्द्र शर्मा
								ने लंदन 
								से सूचित किया है कि वर्ष 2005 सम्मान के हिसाब 
								से अभिमन्यु का वर्ष है न कि
                              महारथियों का। इस वर्ष के लिए अंतर्राष्ट्रीय इंदु शर्मा कथा सम्मान श्री प्रमोद कुमार तिवारी को उनके पहले उपन्यास
                              'डर हमारी 
								जेबो में ' पर देने का निर्णय लिया गया है। इस पुरस्कार के अन्तर्गत दिल्लीलंदनदिल्ली का आने
								जाने का हवाई यात्रा का टिकट (एअर इंडिया द्वारा प्रायोजित), एअरपोर्ट
                              टैक्स, इंगलैंड के लिए वीसा शुल्क, एक शील्ड शॉल लंदन में एक सप्ताह तक
								रहने की सुविधा तथा लंदन के खास खास दर्शनीय स्थलों का भ्रमण आदि शामिल होंगे। यह सम्मान श्री तिवारी को लंदन के नेहरू सेंटर में 23 जुलाई 2005 की शाम को एक भव्य आयोजन में प्रदान किया जायेगा। 
                               इंदु शर्मा 
								मेमोरियल  ट्रस्ट की स्थापना संभावनाशील कथा लेखिका एवं कवयित्री इंदु शर्मा की स्मृति में की गयी थी। इंदु शर्मा का कैंसर
								से लड़ते हुए अल्प आयु में ही निधन हो गया था। अब तक यह प्रतिष्ठित सम्मान सुश्री चित्रा मुद्गल श्री संजीव श्री ज्ञान
								चतुर्वेदी‚ एस आर हरनोट तथा विभूति नारायण राय को प्रदान किया जा चुका है।
                                 श्री प्रमोद कुमार तिवारी का जन्म 30 अक्टूबर 1965 को बिहार राज्य के रोहतास
								 जिले के हथीदिहां गांव में हुआ 
								था। उन्होने अपनी स्नातक डिग्री पूर्णिया 
								कालेज  पूर्णिया
से प्राप्त की। वो 1991 बैच के आई.ए.एस हैं और असम व 
								मेघालय केडर में कार्यरत हैं। डर हमारी जेबों में उनका पहला उपन्यास 
								है। इसे पूरा 
								करने में उन्हें पांच वर्ष का समय लगा और इसका प्रकाशन 2003 में हुआ। इस उपन्यास को हिन्दी साहित्य के दिग्गजों
								ने एकमत
								से सराहा है। उनका दूसरा उपन्यास अरे चांडाल प्रकाशनार्थ है। इस समय वो 
								अपने तीसरे उपन्यास के 
								लेखन में व्यस्त हैं। श्री तिवारी को कविता 
								लिखने का भी शौक है।
 
                              वर्ष 2005 के लिए पद्मानन्द साहित्य सम्मान श्रीमती उषा
								राजे सक्सेना को उनके कहानी संग्रह वॉकिंग पार्टनर के लिए दिया जा रहा है। श्रीमती उषा 
								राजे सक्सेना का जन्म गोरखपुऱ उतर प्रदेश में हुआ था और उन्होंने एम.ए. अंग्रेज़ी तक शिक्षा प्राप्त  की।उनकी प्रकाशित रचनाओं में  'विश्वास की रजत सीपियाँ' 'इन्द्रधनुष की तलाश में' (कार्व्यसंग्रह)। प्रवास में (कहानी संग्रह)  'मिट्टी की सुगंध' (कहानी संग्रहसंपादित) शामिल हैं। वो सर्जनात्मक
                              प्रतिभासम्पन्न एक ऐसी 
								लेखिका हैं जिनके साहित्य में अपने देश सभ्यता संस्कृति तथा भाषा के प्रति गहरे और सच्चे राग के साथ प्रवासी जीवन के व्यापक अनुभवों और गहन सोच का मंथन मिलता है। उषा 
								सक्सेना लंदन
								से प्रकाशित होनो वाली हिन्दी साहित्यिक त्रैमासिक पत्रिका 'पुरवाई' की सहसंपादिका तथा हिन्दी समिति यू.के. की उपाध्यक्षा है। इससे पूर्व इंगलैण्ड के प्रतिष्ठित हिन्दी 
								लेखकों क्रमशः
                              डा सत्येन्द्र श्रीवास्तव सुश्री दिव्या माथुर श्री नरेश भारतीय भारतेन्दु विमल और
                              डा अचला शर्मा को पद्मानन्द साहित्य सम्मान
								से सम्मानित किया जा चुका है। 
                              ट्रस्ट उन सभी लोखकों पत्रकारों संपादकों मित्रों और शुभचिंतकों का हार्दिक आभार मानते हुए उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता है
                              जिन्होंने इस वर्ष के पुरस्कार चयन के लिए
								लेखकों के नाम सुझा कर हमारा मार्गदर्शन किया और हमें अपनी बहुमूल्य संस्तुतियां भेजीं।
                               सूरज प्रकाश 
								: भारत में ट्रस्ट के प्रतिनिधि |