| कंप्यूटर
            पूरी तरह से हिन्दी का हो गया और हिन्दी में कंप्यूटर की
            परिकल्पना साकार हो गयी यह समाचार हिन्दी जगत के लिये एक
            बहुत बड़ा समाचार है। लेकिन भारत के सभी समाचार पत्रों
            में यह एक कॉलम की दस पन्द्रह पंक्तियों का समाचार भर
            बनकर रह गया। 16 फरवरी को इम्पीरियल हॉटेल में माइक्रोसॉफ्ट
            ऑफिस 2003 का लोकार्पण हुआ। मुख्य अतिथि श्री अरूण शौरी ने
            अंग्रेजी में इसका स्वागत किया। लेकिन जो बातें उन्होंने
            कही वो हिन्दी के विकास के लिये इमानदारी से कही और
            व्यावहारिक कठिनाइयों को देखते हुए कहीं। इम्पीरियल होटल में जितने
            लोग इस लॉन्च पर आये उनमें से अधिकांश भारत सरकार के
            विभिन्न मंत्रालयों के उच्च पदस्थ सचिव गण थे अथवा
            समाचार पत्रों के संवाददाता। हिन्दी सॉफ्टवेयर सामने लाया
            गया, एक नाटिका दिखायी गयी, प्रबंध निदेशक माइक्रोसॉफ्ट
            इंडिया के राजीव पॉल ने उसके अनेक कार्यों पर प्रकाश डाला
            और एक नाटिका के जरिये आज के जमाने की नयी पीढ़ी की
            व्यावहारिक समस्याओं को सामने लाया गया कि जहां हिन्दी
            चाहिये वहां अंग्रेजी अंग्रेजी का शोर होता है और जहां
            अंग्रेजी के सहयोग से हिन्दी आगे बढ़ सकती है वहां
            हिन्दीवादी लोग अंग्रेजी को जरा भी पसन्द नहीं करते।  सबसे ज्यादा विशेषता यह है कि
            जब आप चाहें इसे संपूर्ण हिन्दी बना सकते हैं और जब
            अंग्रेजी की सुविधा लाना चाहें वह भी उपलब्ध रहेगी। उम्मीद
            है कि ऑफिस 2003 के आने के बाद हिन्दी एवं भाषाई कंप्यूटिंग
            के नए दरवाजे खुलेंगे लेकिन इसमें संदेह नहीं कि एक नये
            युग का सूत्रपात हुआ है जहां हम कंप्यूटर में उन सुविधाओं
            से सम्पन्न हैं जो माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में अंग्रेजी को प्राप्त
            हैं। मुख्य अतिथि श्री अरूण शौरी ने एक
            बहुत महत्वपूर्ण बात कही कि माइक्रोसॉफ्ट के उत्पाद महंगे होते
            हैं। अंग्रेजी में यदि ये सोलह हजार में उपलब्ध है तो अच्छी
            बात है कि उन्होंने हिन्दी के दाम उन्होंने लगभग आठ हजार
            रूपये रखा है। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट को चुनौती देने के लिये
            हमारे देश में ही बहुत सारी संस्थाएं हैं जो इसी प्रकार के
            कार्यक्रम बना रही है।  उन्होंने संकेत किया कि चेन्नई
            की आई आई टी के विद्यार्थियों की एक टीम लगभग इसी प्रकार का
            पॅकेज मात्र अठारह सौ रूपये में बाजार में ले आये। किस
            पॅकेज में क्या शक्तियां हैं और क्या सीमाएं हैं यह तो
            उपयोग के बाद ही पता लगेगा लेकिन कंप्यूटर में  हिन्दी
            की सम्पूर्णता का स्वागत किया जाना चाहिए।  फोटो व आलेख
            रामविलास
            
                                 |