| नयी
                  दिल्ली में 18 अगस्त को श्री पुरूषोत्तम हिन्दी भवन के
                  सभागार में आयोजित एक विशेष समारोह में ' हिन्दी
                  वेबदशा और दिशा' विषय पर चर्चा का आयोजन
                  किया गया। इस अवसर पर दिल्ली के जाने माने लेखक
                  साहित्यकार, पत्रकार और प्रकाशक उपस्थित थे। 'अभिव्यक्ति'
                  की ओर से संपादक पूर्णिमा वर्मन और प्रकाशक श्री प्रवीन
                  सक्सेना को आमंत्रित किया गया था। सुप्रसिद्ध
                  कथालेखक श्री कमलेश्वर ने मुख्य अतिथि का पद सुशोभित
                  किया। इसके अतिरिक्त कवि
                  और साहित्यकार अशोक चक्रधर, हिन्दी को सूचना
                  प्रौद्योगिकी जगत में प्रतिष्ठित करने के प्रयास में कार्यरत
                  डा विजयकुमार मल्होत्रा, कवि और साहित्यकार गोविंद
                  व्यास तथा कवि शेरजंग गर्ग ने सभा को संबोधित
                  किया।  श्री
                  पुरूषोत्तम हिन्दी भवन न्यास समिति के मंत्री डा गोविन्द
                  व्यास ने अपने स्वागत भाषण में दर्शकों और
                  अतिथियों का स्वागत करते हुए आधुनिक काल में हिन्दी के
                  प्रौद्योगिक विकास की आवश्यकता पर बल दिया और इस दिशा
                  में अभिव्यक्ति और अनुभूति जाल पत्रिकाओं द्वारा किये
                  जा रहे प्रयत्नों की सराहना की। डा शेरजंग गर्ग ने
                  अपने संबोधन में हिन्दी के लेखकों को कंप्यूटर से
                  जुड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। डा अशोक चक्रधर ने
                  विश्वजाल पर उपलब्ध हिन्दी जालघरों का परिचय तथा
                  अभिव्यक्ति व अनुभूति पत्रिकाओं के विभिन्न स्तंभों के
                  विस्तृत विवरण देने वाली एक घंटे की लंबी पावर पॉइंट
                  प्रस्तुति से दिल्ली के बुद्धिजीवियों को मोह लिया। अभिव्यक्ति
                  की संपादक पूर्णिमा वर्मन ने अपनी पावर पॉइंट प्रस्तुति
                  में अभिव्यक्ति और अनुभूति के प्रारंभ और संचालन के
                  विषय में रोचक जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कैनेडा
                  में कंप्यूटर साइंस के प्रोफेसर अश्विन गांधी ने इन
                  पत्रिकाओं की परिकल्पना और परियोजना तैयार की जिसके
                  द्वारा अलग
                  अलग देशों में बसे अनेक सहयोगियों द्वारा  इनका
                  प्रकाशन किया जाता है।  संपादन के कार्य में
                  सहयोग के लिये कुवैत की दीपिका जोशी और प्रबंधन के
                  लिय स्वयं अश्विन गांधी दिन में दो बार वेबकैम से रूबरू होते हुए
                  इन पत्रिकाओं को
                  आकार देते हैं। उन्होंने अपने
                  अनुभवों, विश्वजाल पर हिन्दी में काम करने की दिक्कतों
                  और भावी योजनाओं के विषय में जानकारी दी और
                  उपस्थित बुद्धिजीवियों के प्रश्नों का समाधान किया।   आयोजन
                  के प्रारंभ में कथाकार कमलेश्वर ने श्री पुरूषोत्तम हिन्दी
                  भवन की ओर से
                  पूर्णिमा वर्मन को शॉल और मानपत्र भेंट कर के
                  सम्मानित किया। यह सम्मान उन्हें अभिव्यक्ति व अनुभूति
                  जाल पत्रिकाओं के निर्माण और कुशल संपादन के लिये
                  प्रदान किया गया।
 डा विजय
                  मल्होत्रा ने पूर्णिमा वर्मन का परिचय पढ़ा और श्रोताओं
                  को उनके कार्य से परिचित कराया।
                                     कथाकार
                  कमलेश्वर ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि वे हिन्दी
                  में कंप्यूटर और विश्वजाल के महत्व को स्वीकारते हैं
                  और स्वयं शीघ्र ही कंप्यूटर पर काम करना शुरू करने वाले
                  हैं।
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