श्री
            एस- आर- हरनोट की दारोशऔर अन्य कहानियां एक ऐसी ही कृति
            है। मैं कथा यू .के . को इस महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्य के लिए
            बधाई देता हूं। उन्होंने हरनोट की कहानियों में उपस्थित दुख,
            पीड़ा और संवेदनशीलता की अंतरधारा की सराहना की।
                            कथा
            यू़ .के़. . के महासचिव एवं कथाकार तेजेन्द्र शर्मा ने उपस्थित
            सुधिजनों का स्वागत करते हुए सम्मान समारोह के प्रारम्भ
            में दिवंगत हुए साहित्यकारों डा . हरिवंश राय बच्चन, कैफ़ी
            आजमी, भीष्म साहनी, एवं ओंकारनाथ श्रीवास्तव को
            श्रद्धांजलि अर्पित की। उनकी याद में एक मिनट का मौन रखा गया। 
                            
                            
                            सम्मान
            प्राप्त करते हुए श्री एस-आर- हरनोट ने अपना सम्मान अपनी
            श्रद्धेय माता जी एवं हिमाचल प्रदेश को समर्पित करते हुए कहा कि
            वे कथा यू .के . के आभारी हैं जिन्होंने कहानियों के भोले
            भाले पहाड़ी पात्रों को टेम्स नदी के तट तक पहुंचा दिया।
            उन्होंने मीडिया एवं उन सभी समीक्षकों और पत्र पत्रिकाओं के
            प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने दारोश को बराबर चर्चा
            में बनाए रखा।
                            डा-
            गौतम सचदेव ने अपने सारगर्भित वक्तव्य में कहा कि
            'हरनोट के प्रस्तुत संग्रह की कहानियां जीवन संघर्ष की
            कहानियां हैं, विशेष रूप से बूढ़ों और बच्चों के संघर्ष
            की, जो पुराने जीवन मूल्यों और आदर्श भविष्य के हथियार
            लेकर भ्रष्ट, स्वार्थी, गलघोंटू लेकिन छीजते हुए वर्तमान
            से टक्कर लेते हैं। मेरे विचार में हरनोट में प्रेमचंद की
            परम्परा के मूल तत्वों के अलावा किंचित रूप में कुछ और भी है
            और वह है फ़णीश्वर नाथ रेणु की आंचलिकता।'
                            भारतीय
            उच्चायोग के काउंसलर श्री विकास स्वरूप ने मजेदार लहजे में
            हरनोट जी का परिचय पढ़ा। दीप्ति शर्मा ने अत्यंत ख़ूबसूरत
            ढंग से हरनोट जी की कहानी बिल्लियां बतियाती हैं का नाटकीय
            प्रस्तुतिकरण करके सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।
                            भारतेन्दु
            विमल ने पद्मानंद साहित्य सम्मान प्राप्त करते हुए
            सुधिजनों को बताया कि किस तरह उन्हें जान से मार डालने
            की धमकियां तक दी गईं जब यह उपन्यास मुंबई के महानगर
            में धारावाहिक रूप में प्रकाशित हो रहा था। इसी कारण उपन्यास
            के पात्रों एवं स्थान के नाम बदलने पड़े। उन्होंने कथा यू .के
            . को धन्यवाद दिया कि उन्होंने सोनमछली को सम्मान के
            काबिल समझा।
                            डा-
            पद्मेश गुप्त, संपादक पुरवाई, ने भारतेन्दु विमल के साथ
            अपने पन्द्रह वर्ष पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए श्री विमल
            का परिचय एक लेखक, रेडियो पत्रकार, संचालक एवं पुरोहित के रूप
            में दिया। सोनमछली के एक अंश की नाटकीय प्रस्तुति जाने
            माने रेडियो कलाकार श्री राम भट्ट, अंजना शर्मा, शबनम
            एवं दीप्ति शर्मा ने की जिसे दर्शकों ने खुले दिल से सराहा।
                            भारतीय
            उच्चायोग के हिन्दी एवं संस्कृति अधिकारी श्री अनिल शर्मा ने
            सोनमछली के विवध आयामों पर गंभीरता पूर्वक प्रकाश
            डाला। उन्होंने पठनीय साहित्य और सस्ते साहित्य के बीच अंतर
            स्पष्ट करते हुए सोनमछली को एक रूचिकर और महत्वपूर्ण कृति
            माना। 
                            
                            भारतीय
            उच्चायोग के मंत्री समन्वय श्री पी-सी- हलदर ने अपने
            अध्यक्षीय भाषण के दौरान कथा यू-के- द्वारा इंगलैण्ड में
            हिन्दी साहित्य क्षेत्र में किए जा रहे कार्य की भूरि भूरि प्रशंसा
            करते हुए सम्मानित दोनों रचनाकारों को बधाई दी। उन्होंने
            कहा कि वे इस सम्मान के साथ पिछले तीन वर्ष से जुड़े हैं
            और कथा को बधाई देते हैं जिसने भारतीय और स्थानीय
            साहित्यकारों को एक साझा मंच प्रदान किया है। 
                            
                            कथा
            यू .के . की उपाध्यक्षा श्रीमती नैना शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन
            प्रस्तुत करने के अतिरिक्त स्वादिष्ट भोजन का भी प्रबन्ध किया।
                            
                            कार्यक्रम
            को गरिमा प्रदान करने के लिए अन्य लोगों के अतिरिक्त श्री
            कैलाश बुधवार, अचला शर्मा, परवेज आलम, उषा राजे
            सक्सेना, के .बी .एल . सक्सेना, शैल अग्रवाल, रमेश
            पटेल, विभाकर बख्शी, दिव्या माथुर, राम मितल, के-सी-मोहन,
            नरेश भारतीय, विरेन्द्र सन्धु, वेद मोहला, हालेैण्ड की
            पंजाबी साहित्यकारा अमर ज्योति, गायक साहित्यकार अवतार उप्पल,
            उर्दू के जाने माने हस्ताक्षर मुहम्मद अमीन, मौजूद थे।