| यूके हिंदी समितिएक अविस्मरणीय आयोजन  लंदन की ' हिन्दी ज्ञान प्रतियोगिता' में सैंकड़ों हिंदी के विद्यार्थियों ने भाग लिया।
 हिंदी परामर्श मंडल के तत्वावधान में यू  .के  . हिंदी समिति ने आर्य समाज लंदन और भारतीय उच्चायोग के सहयोग से गत 24 नवंबर को दर्शकों से खचाखच भरे
      आर्य समाज के सभागार में हिंदी का अपने ढंग का पहला और अविस्मरणीय आयोजन किया।  इस आयोजन के दो भाग थे  एक भाग में हिंदी सीख रहे विविध स्तर
      के बच्चों के लिए ज्ञान प्रतियोगिताएँ हुई और दूसरे में हिंदी शिक्षकों के कार्य से संबंधित समस्याओं पर विचार गोष्टी हुई।  हिंदी ज्ञान प्रतियोगिताओं के दो वर्ग थे। 
 एक में बच्चों की लिखित परिक्षा हुई और दूसरे में उनकी भाषण कला को परखा गया।  दोनों प्रतियोगिताओं के
      विजेता बच्चों को पुरस्कार दिए गए।  लिखित परिक्षा के लिए बच्चों की तीन श्रेणियाँ बनाई गई थीं, जिन्हें वर्णमाला का ज्ञान है और जो पशुपक्षियों, रंगों, शरीर के अंगों और मात्राओं आदि के प्रारंभिक ज्ञान के साथसाथ
      हिंदी में 1 से 10 तक के अंक पहचानते हैं।  हिंदी परिचय प्रतियोगिता उन विद्यार्थियों के लिए थी, जो वाक्य रचना कर सकते हैं और जिन्हें लिंग, वचन, क्रिया तथा
      विपर्याय शब्दों का ज्ञान है।  उन्हें पहले से दिए गए विषय पर पाँच वाक्य लिखने थे।  तीसरी प्रतियोगिता हिंदी का पर्याप्त ज्ञान रखने वाले बच्चों के लिए थी और
      उन्हें अनुवाद के अतिरिक्त किसी विषय पर 100 शब्द लिखने थे।  भाषण प्रतियोगिता में बच्चों को पूर्व निर्धारित विषय पर अधिक से अधिक 3 मिनट बोलना था। 
      सभी प्रतियोगिताओं में बच्चों ने भारी संख्या में और सोत्साह से भाग लिया।  उन्हें देखकर चारो निर्णायकों  डॉ गौतम सचदेव, नरेश अरोड़ा, दिव्या माथुर और
      तेजेन्द्र शर्मा तथा दर्शकों समेत सबने यह अनुभव किया कि ब्रिटेन में हिंदी को आगे ले जाने वाली नई पीढ़ी पूरी लगन के साथ तैयार हो रही है।
 
 भाषण प्रतियोगिता के दौरान आर्य समाज के बाल कलाकारों ने संपूर्ण रामायण का संक्षिप्त मंचन भी किया, जो इस आयोजन की एक और उपलब्धि थीं।  बच्चों की
      वेशभूषा उनके हिंदी संवादों और अभिनय कला की दर्शकों ने बहुत सराहना की।
 
 प्रतियोगिता का पुरस्कार वितरण किया कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय उच्चायोग लंदन  के प्रथम सचिव श्री गोपाल बागले
      ने। अपने संबोधन में आयोजकों को एवं विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि अपनी भाषा और संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करने से हमे विश्व और जीवन को देखने के लिए दृष्टि प्राप्त होती है।  उन्होंने इस
      कार्य में जुटी संस्थाओं को साधुवाद किया और इन प्रयत्नों में सदा की तरह भारतीय उच्चायोग के सहयोग का आश्वासन दिया।  कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए
      आर्य समाज लंदन के अध्यक्ष श्री एमएन भारद्वाज ने यूके हिंदी के दैनिक प्रकाशन की आवश्यकता की और ध्यान दिलाया।
 
 केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक और हिंदी परामर्श मंडल के अध्यक्ष डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई विचार गोष्ठी का सफल संचालन
      लेखकप्रसारक भारतेन्दु विमल ने किया।  विषय प्रवर्तन करते हुए कवि, कहानीकार, प्रसारक और प्राध्यापक तथा हिंदी परामर्श मंडल के उपाध्यक्ष डॉ गौतम
      सचदेव ने ब्रिटेन ने हिंदी शिक्षा की समस्याओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।  उन्होंने बताया कि यहाँ पठनपाठन के लिए हिंदी पाठय पुस्तकों का इस सीमा तक
      अभाव है कि पुस्तकालयों तक में हिंदी की पुस्तकें सुलभ नहीं हैं।  जहाँ पंजाबी, गुजराती, उर्दू और बंगला आदि भाषाओं में पर्याप्त सामग्री का प्रायः अभाव है। 
      उन्होंने यह भी बताया कि लंदन विश्वविद्यालय द्वारा स्कूली स्तर की हिंदी की परीक्षाओं को बंद कर दिए जाने से स्कूलों में हिंदी शिक्षा का कोई प्रबंध नहीं है।  आर्य
      समाज, सनातन धर्म मंदिर और भारतीय विद्या भवन आदि संस्थाओं तथा हिंदी सेवी व्यक्तियों द्वारा हिंदी शिक्षा तो दी जाती है, लेकिन सहायता और साधन बहुत सीमित
      हैं।  डॉ गौतम सचदेव ने हिंदी में किए जा रहे अनुवाद को हलके स्तर का उल्लेख भी किया और हिंदी सेवियों को प्रेरित किया कि वे इस ओर गंभीरता से ध्यान
      दें।  उन्होंने मातापिताओं से आग्रह किया कि वे हिंदी सीखने की मांग पैदा करें और स्कूलों को हिंदी शिक्षा के प्रबंध करने के लिए बाध्य करें।  डॉ गौतम सचदेव
      का सुझाव था कि यदि बोर्ड या विश्वविद्यालय परीक्षाएँ नहीं लेते, तो यूके हिंदी समिति इस कार्य को अपने हाथ में ले सकती है।
 
 डॉ गौतम सचदेव के विचारों क समर्थन और भारत भवन पत्रिका में प्रकाशित उनके बहुचर्चित लेख (ब्रिटेन में हिंदी का भविष्य) से अनेक उदाहरण देते हुए आंग्ल
      भाषाभाषी श्रीमती युट्टा ऑस्टिन ने एक पर्चा पढ़ा और हिंदी
      सीखनेसिखाने में आ रही कठिनाइयों का उल्लेख किया।  उन्होंने अपने अनुभव भी बताए।  जर्मन मूल
      की श्रीमती युट्टा कौलचैस्टर में हिंदी पढ़ाती हैं।  लेखकप्रसारक नरेश अरोड़ा ने विगत 35 वर्षों के हिंदी सेवा के अपने अनुभवों की चर्चा करते हुए इस क्षेत्र में आने
      वाली कठिनाइयों पर प्रकाश डाला।  समाज सेवी राजेंद्र चोपड़ा ने शुद्ध हिंदी बोलने और शुक्रिया जैसे उर्दू शब्दों से बचने का आग्रह किया, लेकिन उनके इस आग्रह
      का जवाब देते हुए बीबीसी सेवा के भूतपूर्व अध्यक्ष कैलाश बुधवार ने कहा कि हमें धर्म को भाषा से दूर रखना चाहिए।  उनका कहना था कि भाषा किसी धर्म विशेष
      की नहीं होती।  कैलाश बुधवार ने सुझाव दिया कि हमें बच्चों को अलगअलग धर्मों या संप्रदायों के स्कूलों में नहीं पढ़ाना चाहिए, वर्ना तालिबान आगे भी पैदा होते
      रहेंगे।  भारतीय दर्शन के अध्येता और हिंदी के शिक्षक डॉ तानाजी आचार्य ने हिंदी पुस्तकें और पत्रिकाएँ प्राप्त करने में आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख किया। 
      उनकी कठिनाई को चुनौती के रूप में लेते हुए ब्रिटेन में अमरदीप नाम का हिंदी का अकेला समाचारपत्र निकालने वाले जगदीश मित्र कौशल ने कहा कि इस कार्य में
      यथासंभव सहयोग 
						दूँगा।  उन्होंने इस संदर्भ में अपने 30 वर्षों के अनुभव से अवगत कराया।  इस विचार
      गोष्ठी में हिंदी शिक्षकों कृष्ण अरोड़ा और सुदर्शन भाटिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए।  गोष्ठी के अंत में गोष्ठी के संचालक श्री भारतेन्दु विमल ने हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता को आयोजित करने के लिए भारतीय उच्चायोग के
      हिंदी एवं सांस्कृतिक अधिकारी श्री अनिल शर्मा एवं यूके हिंदी समिति के अध्यक्ष श्री पद्मेश गुप्त की भूरिभूरि प्रशंसा की।
 
 कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि हिंदी परामर्श मण्डल के अध्यक्ष एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने कहा कि "आज वे हिंदी के विद्यार्थियों
      में हिंदी का भविष्य देख रहे हैं।  ये वो भावी पीढ़ी है जिससे हिंदी को बहुत आशाएँ हैं।"
 
 पुरस्कार समारोह के संचालक यूके हिंदी समिति के अध्यक्ष डॉ पदमेश गुप्त ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि "हिंदी ज्ञान प्रतियोगिता" में भाग लेना ही
      सभी प्रतिभागियों के लिए एक पुरस्कार है।  इतनी भारी तादाद में हिंदी के छात्रों की प्रतिभागिता देख कर मुझे
      इतना हर्ष हो रहा है जितना संभवतः आज तक हिंदी समिति के किसी और आयोजन में नहीं हुआ है।"
 
 प्रवेश वर्ग में प्रथम पुरस्कार मिला भारतीय विद्या भवन, लंदन के छात्र एसआर श्रीवास्तव को तथा भारतीय उच्चायोग की ऋचा कावड़ा को।  द्वितीय पुरस्कार प्राप्त
      किया सेवन ओक्स स्कूल की पूजा पटेल ने तथा भारतीय उच्चायोग की आरूषी ने।  तृतीय पुरस्कार की विजेता रहीं भारतीय ज्ञान दीप की राखी विस्वादिया।
 
 परिचय वर्ग में प्रथम पुरस्कार मिला आर्य समाज, लंदन की छात्रा तानवी को तथा भारतीय उच्चायोग के अरविंद नायर को।  द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया आर्य समाज
      के अमित केहर ने तथा बर्मिंघम की आस्था आदित्य ने।  तृतीय पुरस्कार के विजेता रहे विश्व हिंदू मंदिर, साउथहाल के विशाल कोहली।
 
 प्रबोध वर्ग में प्रथम पुरस्कार मिला महालक्ष्मी सत्संग मंदिर के छात्र आर प्रसाद को तथा भारतीय उच्चायोग की रूचि तनेजा को।  द्वितीय पुरस्कार प्राप्त किया
      महालक्ष्मी सत्संग मंदिर की रानी प्रसाद तथा भारतीय उच्चायोग की कृति शर्मा ने।  तृतीय पुरस्कार की विजेता रहीं भारतीय उच्चायोग की कीर्ति बरार।
 
 इस अवसर पर डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव की माता श्रीमती सावित्री श्रीवास्तव की स्मृति में एक भाषण प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।  इस प्रतियोगिता में प्रथम
      पुरस्कार प्राप्त किया भारतीय ज्ञान दीप की डिम्पल भाटिया एवं भारतीय उच्चायोग की कृति शर्मा ने, द्वितीय रहीं हिंदी बाल भवन की सुंदर जैरोम तथा भारतीय
      उच्चायोग की कीर्ति बरार एवं तृतीय पुरस्कार जीता कथा यूके मयंक शर्मा ने।  सांत्वना पुरस्कार मिला विश्व हिंदू मंदिर, साउथहाल के सुकृति लुथरा को एवं हिंदी
      बाल भवन के कार्तिक शुभराज को।
 
 भाषण प्रतियोगिता में यूके हिंदी विद्यार्थियों ने 'क्या युद्ध आवश्यक है' 'परिवार में बड़ों का महत्व' जैसे विषयों पर जिस आत्मविश्वास के साथ अपने विचार रखे और
      जिन गंभीर मुद्दों को जनता के समक्ष रखा वे अत्यंत प्रशंसनीय थे एवं सभी के द्वारा सराहे गए।  दो सौ से अधिक श्रोताओं के लिए श्री
      भारद्वाज ने आर्य समाज लंदन की ओर से प्रीति भोज का आयोजन किया था।
 
 भाषण प्रतियोगिता के लिए डॉ सत्येन्द्र श्रीवास्तव ने अगले पाँच वर्षों तक 100 पाउण्ड की धनराशि विजेताओं को देने का निर्णय लिया एवं इस वर्ष समस्त विजेताओं
      एवं प्रतिभागियों के पुरस्कार का खर्च भी पद्मेश गुप्त ने अपने उस पुरस्कार में से दिया जो धनराशि उन्हें उप्र हिंदी संस्थान ने इस वर्ष विदेशों में हिंदी के प्रचार एवं
      प्रसार के लिए दी है।  कार्यक्रम से प्रेरित हो कर विश्व हिंदू मंदिर साउथहाल के सचिव श्री सुदर्शन भाटिया से प्रस्ताव दिया कि अगले वर्ष हिंदी प्रतियोगित का
      आयोजन विश्व हिंदू मंदिर साउथहाल के सौजन्य से उनके परिसर में हो जिसका सभी ने हार्दिक स्वागत किया।
 
 इसी गोष्ठी में भारत से पधारी श्रीमती अंजु सिन्हा की पत्रिका कला दीर्घा के तीसरे अंक का औपचारिक विमोचन हुआ और उन्होंने अपने संकल्प की चर्चा करते हुए
      कला संबंधी पत्रिकाओं को आने वाली कठिनाइयों का उल्लेख किया।
 
 प्रतियोगिता में भारतीय विद्या भवन लंदन, आर्यसमाज लंदन, विश्व हिंदू मंदिर साउथहाल, हिंदी बाल भवन सरे, सेवन ओक्स स्कूल, भारतीय ज्ञानदीप, कथा यूके तथा
      अन्य केंद्रों के हिंदी विद्यार्थियों ने भाग लिया इस अविस्मरणीय आयोजन को सफल बनाने में श्री वेदमित्र मोहला, श्री रामचन्द्र शास्त्री, श्री कृष्ण अरोड़ा, श्री सुदर्शन
      प्रसाद साबू एवं श्री रमेश वैश्य सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे।
  डॉ गौतम सचदेव
      
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