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साहित्य गरिमा पुरस्कार’ व ‘पुष्पक’-९ लोकार्पण समारोह संपन्न

साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति एवं कादम्बिनी क्लब के संयुक्त तत्वावधान में २८ सितम्बर २००८, रविवार को आंध्र प्रदेश हिन्दी अकादमी के परिसर में तृतीय साहित्य गरिमा पुरस्कार एवं 'पुष्पक'-९ का लोकार्पण समारोह संपन्न हुआ। इस अवसर पर उस्मानिया विश्वविद्यालय, आर्ट्स कालेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. टी. मोहन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित समारोह में केंद्रीय साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त, पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ कवि प्रो. एन.गोपि मुख्य अतिथि, स्वतंत्र वार्ता के संपादक डा. राधेश्याम शुक्ल पुष्पक के लोकार्पणकर्ता के रूप में, हिन्दी मिलाप के समाचार संपादक श्री राम जी सिंह उदयन सम्मानीय अतिथि के रूप में, आयकर आयुक्त श्री सुरेन्द्र मिश्र गौरवनीय अतिथि के रूप में, उद्योगपति रामगोपाल गोयनका विशेष अतिथि के रूप में व तृतीय साहित्य गरिमा पुरस्कार के संयोजक विजय शंकर वर्मा मंचासीन थे। प्रो. एन. गोपि एवं अन्य अतिथियों ने सरस्वती पूजन एवं दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की संस्थापक व अध्यक्ष डॉ. अहिल्या मिश्र ने अतिथियों का परिचय दिया एवं सभी अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ, मोती माला एवं अंगवस्त्रम से किया। साहित्य गरिमा पुरस्कार समिति की कार्यकारी कार्यदर्शी डॉ. रमा द्विवेदी ने संस्था का प्रतिवेदन व कादम्बिनी क्लब की कार्यदर्शी मीना मूथा ने क्लब का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। मुख्य अतिथि प्रो.एन.गोपि के करकमलों द्वारा डॉ. गुणमाला सोमानी को उनकी निबंध की पुस्तक 'ललित निबंध माला' पर तृतीय साहित्य गरिमा पुरस्कार के रूप में ग्यारह हज़ार की राशि का चेक, प्रशस्ति-पत्र, शाल एवं सरस्वती की प्रतिमा देकर उन्हें सम्मानित किया गया। 'पुष्पक' भाग-९ का लोकार्पण डॉ. राधेश्याम शुक्ल के द्वारा संपन्न हुआ और डॉ. शुक्ल ने डॉ. कर्ण सिंह ऊटवाल कृत 'कहानी का रंगमंच और नाट्य रूपांतरण' पुस्तक का विमोचन किया।

डॉ. शुक्ल ने अपने संबोधन में कहा कि 'पुष्पक' अपने उच्चतम अंक तक पहुँच गया है अब इसका विस्तार होना चाहिए। पुष्पक विमान में श्रीराम-सीता के साथ उनकी सेना उसमें बैठी थी, फिर भी उसमें स्थान खाली था। इसी प्रकार पुष्पक पत्रिका में भी सभी रचनाकारों की रचनाएँ समाहित करने की शक्ति है। सुरेन्द्र मिश्र ने कहा कि आजकल लेखन में गंभीरता का अभाव है। राम गोपाल गोयन्का ने अपने विचार व्यक्त किए। श्री राम जी सिंह उदयन ने कहा कि इन दिनों बढ़ती नकारात्मकता ने लेखन के लिए संकट की स्थिति खड़ी कर दी है। अपनी जड़ों से कटने के कारण लेखकों में यह प्रवृत्ति पनप रही है। साथ ही यह भी कहा कि कुछ हद तक यह प्रवृत्ति आरोपित भी है। उन्होंने लेखकों का आह्वान किया कि वे अपनी जड़ों से जुड़ कर लिखें। प्रो. एन. गोपि ने कहा कि महिला द्वारा महिला लेखिकाओं को पुरस्कार दिया जाना एक सराहनीय कार्य है। महिला द्वारा किसी संस्था का संचालन करना आसान कार्य नहीं होता क्योंकि उनके अन्य दायित्व भी होते हैं। संस्था के सभी कार्यकर्ताओं एवं पुरस्कार ग्रहीता को अपनी शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। प्रो. टी. मोहन सिंह ने अपनी अध्यक्षीय टिप्पणी में कहा कि पुष्पक का स्तर काफी ऊँचा है उन्होंने डॉ. मिश्र व पुष्पक के संपादक मंडल को एवं पुरस्कार ग्रहीता डॉ. सोमानी को अपनी शुभकामनाएँ दीं।

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रवि श्रीवास्तव, प्रो. सत्यनारायण, प्रो. शुभदा वांजपे एवं एफ.एम. सलीम को उनकी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया। शुभ्रा मोहन्तो की सरस्वती वंदना से कार्यक्रम आरंभ हुआ। डॉ. सीता मिश्र ने प्रशस्ति-पत्र पढ़ा एवं पवित्रा अग्रवाल ने धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मदन देवी पोकरणा ने किया गया।

दूसरे सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी में प्रो. सत्य नारायण अतिथि, वरिष्ठ कवि नरेन्द्र राय अध्यक्ष, डॉ.अहिल्या मिश्र, डॉ. मदनदेवी पोकरणा मंचासीन हुए। भंवरलाल उपाध्याय के संचालन में डॉ. रमा द्विवेदी, मीना मूथा, भावना पुरोहित, संपत मुरारका, डॉ. देवेन्द्र शर्मा, रत्नकला मिश्र, उषा शर्मा, संजीव बोहोत, सुरेश गंगाखेडकर, डॉ.कर्ण सिंह ऊटवाल, भगवानदास जोपट, नीरज त्रिपाठी, विजय विशाल, पवित्रा अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण अग्रवाल, सुरेश जैन, उमा सोनी, विनीता शर्मा, शकुंतला चोकड़ा, नीरजा पप्पी, डॉ.फौजदार सिंह, कृष्ण कुमार सोनी, विजय लक्ष्मी काबरा, अपर्णा दीप्ति, अमित आज़ाद, शान्ति अग्रवाल, मीता जोशी, तेजराज जैन, अवधेश झा, गौतम दीवाना, प्रमोद कुमार शर्मा, पवन कुमार उपाध्याय, शोभादेश पाण्डे, किरण सिंह, सविता सोनी,वी. वरलक्ष्मी, अनुराग शर्मा आदि ने काव्य-पाठ करके समां बाँध दिया। ब्रजभूषण बजाज,हरिश्चन्द्र विद्यार्थी, अशोक कुमार तिवारी, मुनीन्द्र मिश्र, चन्द्रमौलेश्वर प्रसाद, डॉ. गोरखनाथ तिवारी, आदि कई गणमान्य व्यक्ति इस अवसर उपस्थित थे। लक्ष्मी नारायन अग्रवाल के धन्यवाद ज्ञापन से कार्यक्रम संपन्न हुआ।

प्रस्तुति : डॉ. रमा द्विवेदी

२७ अक्तूबर २००८

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