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						एक बड़े 
						बर्तन में दूध को उबालें। उबाल आने के बाद आँच को धीमा कर 
						दें, दूध में मट्ठा डालें। अच्छी तरह मिलाएँ, कुछ पल 
						(१०-१५) के लिये आँच तेज करके फिर बंद कर दें। आप देखेगें 
						की दूध फट गया है और उसमें हरा सा पानी अलग हो गया है। अब 
						इसमें १ कप ठंडा अपनी डालें और एक मिनट के लिये इसे ऐसे ही 
						छोड़ दें। 
						 
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						एक बड़ी छन्नी के ऊपर मलमल का कपड़ा लगाएँ। छलनी को किसी 
						भगोने के ऊपर रखें जिससे छेने का पानी बाहर न गिरे। छन्नी 
						के ऊपर फटा दूध डालें और बड़े चम्मच से दबा कर सारा पानी 
						निकाल दें। छेने को एक घंटे के लिये अलग रखें। जिससे इसका 
						पानी निकल जाए। 
						 
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						एक सौस पैन में २ कप शक्कर को ६ कप पानी में उबालें। 
						शक्कर के पिघलने के बाद पानी को एक उबाल दें। इस विधि के 
						लिये हमें एकदम पतली चाशनी चाहिए। अब इसमें १ बड़ा चम्मच 
						गुलाबजल डालें। 
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						छेने में एक छोटा चम्मच सूजी डालें और छेने को दोनों 
						हाथों के बीच अच्छी तरह तब तक मलें जब तक कि वह पूरी तरह 
						से चिकना न हो जाए। इस प्रक्रिया में ७-८ मिनट तक का समय 
						लगता है। (छेना जितना चिकना होगा उतने ही मुलायम रसगुल्ले 
						बनेगें।) 
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						छेने को २५ हिस्सों में बाँटें और एकदम चिकने गोले 
						बनाएँ। अगर कहीं पर किनारे फट रहे हैं तो उनको हथेली में 
						घुमाकर बिल्कुल चिकना करें। दरार वाले गोले चाशनी में फट 
						सकते हैं। 
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						जो चाशनी जो हमने पहले से बना कर रखी है उसे गरम करें। 
						धीरे से सारी छेने की गोलियाँ गरम चाशनी में डालें और लगभग 
						१० मिनट तक मध्यम आँच पर उबालें। 
						 
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						छेने की गोलियाँ चाशनी में उबालने के लगभग ७ मिनट बाद 
						एकदम फूलकर लगभग दोगुनी हो जाती हैं।
						 
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						अब आँच बंद कर दें। रसगुल्ले तैयार हैं।