तरबूजों का
मौसम
-पूर्णिमा वर्मन
१ जून २००२
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गरमी के दिन
धमा चौकड़ी
मस्ती हल्ला तुम हम
आया फिर इस साल लौट कर
तरबूज़ों का मौसम
दिन भर खेल खेल कर थकते
रात गये सुस्ताते
लंबे लंबे दिन होते और
छोटी छोटी रातें
पढ़ने से फिर लम्बी फुरसत
खरबूजों का मौसम
आया फिर इस साल लौट कर
तरबूज़ों का मौसम
छाँटो काटो मिल कर बाँटो
ठंडे ठंडे खीरे
रंग बिरंगे शरबत मीठे
पीते धीरे धीरे
चना चबेना लइया सत्तू
भड़भूजों का मौसम
आया फिर इस साल लौट कर
तरबूज़ों का मौसम |