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फुलवारी

होली वाला रोबोट
- प्रेम जनमेजय

अक्षत, संकल्प, क्षितिज, आभा, स्वाति, विदित, नम्रता, प्रांजल - सबके सब सोचने की मुद्रा में कुछ गहरा ही चिंतन कर रहे हैं। चिंता का विषय है - छुट्टियाँ! छुट्टियों में किया क्या जाए! चारों ओर इतनी बड़ी-बड़ी इमारतें बन गई हैं कि खेलने का मैदान ही नहीं बचा है।
"क्यों न इन छुट्टियों में हम रोबोट बनाएँ।" संकल्प ने कहा।
"रोबोट!" सबने आश्चर्य से कहा।
और ऐसा ही आश्चर्य तुम लोगों को भी हो रहा होगा। बच्चे और रोबोट बनाएँगे! लग रहा होगा कि अंकल या तो हवा बाँध रहे हैं या बेपर की उड़ा रहे हैं, या हवाई क़िले बना रहे हैं या चुनाव में भाषण दे रहे हैं। यह ठीक है कि ये बातचीत तुम बच्चों की नहीं हो सकती, ये तुम्हारे बच्चों या कह सकते हो, उनके भी बच्चों की बातचीत हो सकती है।

वो दिन, वो रात भी अधिक वर्ष दूर नहीं है, जब बच्चे स्कूल की प्रयोगशाला में कंप्यूटर बनाना सीख ही नहीं गये होंगे, उसकी सहायता से होमवर्क के रूप में अनेक अत्याधुनिक यंत्र बना रहे होंगे। छुट्टियों में कुछ नया बनाने का प्रोजेक्ट इन बच्चों को मिला हुआ है।

"इसमें चौंकने की क्या बात है, क्या हम रोबोट नहीं बना सकते?" संकल्प ने कहा।
"नहीं, यह बात नहीं है, परंतु चक्कर यह है कि एक तो रोबोट बनाने में सारी छुट्टियाँ निकल जाएँगी और दूसरे रोबोट तो बड़ी क्लास के बच्चों ने भी बनाए ही हैं।" अक्षत ने कहा।
"हमारा रोबोट उन सबसे अलग होगा, वह छोटे-मोटे काम नहीं करेगा, वह अनोखा होगा।"
"कैसा अनोखा होगा हमारा अनोखेलाल! हमें ज़्यादा चक्कर में नहीं फसना है। कोई छोटा-मोटा यंत्र बना लेते हैं।" विदित ने उबासी लेते हुए कहा, "छुट्टियों में आराम नहीं करेंगे तो कब करेंगे।"
"तू तो सुस्तराम है, काम के नाम पर तो तुझे और प्रांजल को सुस्तेरिया हो जाता है। खेलने में समय नष्ट करने को हरदम तैयार रहते हो। हमारा रोबोट कोई छोटा-मोटा नहीं होगा, रोबोट के रूप में हम एक आदर्श-मानव का निर्माण करेंगे। वह दूसरों के बारे में सोचने वाला होगा, आजकल जिसे देखो अपने ही बारे में सोचता है, कोई किसी की सहायता नहीं करता। डूबते को बचाता नहीं है, आग को कोई बुझाता नहीं। हमारा रोबोट दो लड़ने वालों को बचाएगा, लगी आग बुझाएगा, बाज़ार से सामान खरीदेगा और जो अच्छे काम करवाने होंगे वैसी प्रोग्रामिंग हम कर देंगे।" संकल्प ने जैसे सबको समझाते हुए कहा।
"संकल्प, यह काम मुश्किल तो है।" इस बार आभा बोली।
"आभा, अगर हम मेहनत करें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। आदमी मेहनत करके ही यहाँ तक पहुँचा है। तुमने तो पिछले वर्ष ही कितना सुंदर अनुवाद-यंत्र बनाया था। मैंने कंप्यूटर में फीड करके सारा डायग्राम तैयार कर लिया, जिन पार्ट्स की ज़रूरत पड़ेगी उसकी लिस्ट भी कंप्यूटर की मेमोरी में डाल दी है। कंप्यूटर के हिसाब से साढ़े छह घंटे काम करें तो एक महीने में रोबोट तैयार हो सकता है। रोबोट का ढाँचा तुम और मैं करेंगे और उसमें जो कंप्यूटर लगेगा उसे तैयार करने में विदित और प्रांजल दोनों उस्ताद हैं।" संकल्प ने कहा।

सारे बच्चे काम में जुट गए। सबमें चुस्ती आ गई, पर प्रांजल और विदित में नहीं आई, पर प्रांजल और विदित में नहीं आई। दोनों ने सोचा था कि या तो छुट्टियों में आराम करेंगे या पापा के साथ किसी ग्रह की सैर करके आएँगे। परंतु संकल्प ने मरवा दिया। दोनों को चुस्त होकर दिखाना था परंतु काम करते-करते ऊंघने लगते। अपूर्व और क्षितिज उनकी सहायता भी कर रहे थे, परंतु उनका काम पीछे चल रहा था, रोबोट का ढाँचा तैयार हो गया परंतु इन दोनों ने उसके एक सप्ताह बाद रो-पीटकर कंप्यूटर तैयार किया।

जिस दिन रोबोट एसेम्बल हुआ उस दिन सबकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसका रिमोट विदित के हाथ में था और सब रोबोट के परीक्षण के लिए बाजार में घूम रहे थे। संकल्प ने रोबोट को पाँच हज़ार रूपए का नोट दिया और दस चॉकलेट लाने का निर्देश दिया।

रोबोट चल पड़ा। बच्चे उत्सुकता से देख रहे थे। रोबोट दूकान तक पहुँचा तो सब खुश थे। रोबोट ने दूकान में घुसकर अपने आप चॉकलेट का डिब्बा उठा लिया और चल दिया। दूकानदार ने उसको पकड़ना चाहा तो रोबोट ने उसको एक घंूसा जड़ दिया। बेचारे का जबड़ा हिल गया, वह 'चोर-चोर' च़िल्लाने लगा।

इधर बच्चे हत्प्रभ, विदित की तो कुछ समझ में नहीं आया। उसने रीमोट संकल्प के हाथ में पकड़ा दिया। संकल्प भी कम असमंजस में नहीं था, उसकी उंगलियाँ हड़बड़ी में रिमोट पर दौड़ने लगीं।

रोबोट दूकान से बाहर निकला। उसने आपस में बात करते दो आदमियों के सिर भिड़ा दिये। दोनों दर्द से बिलबिला उठे, चिल्लाने लगे। रोबोट ने एक अंधे की लाठी छीनकर फेंक दी। एक रेस्तरां की किचन में जल रही गैस बुझा दी और लाइटर से रेस्तरां को आग लगाने लगा। संकल्प ने बड़ी कठिनाई से रिमोट द्वारा उसे कंट्रोल किया।

सारे बाज़ार में हड़बड़ी मच गई थी। लोगों ने लेसर गन निकाल ली थी! पर सब ये सोचकर रोबोट पर आक्रमण नहीं कर रहे थे कि पता नहीं कितना पावरयुक्त है। बच्चों की मेहनत पर पानी फिरने वाला था।

संकल्प ज़ोर से चिल्लाया, "रुको!" उसने सबको हाथ जोड़े समझाया कि उन्होंने रोबोट किसलिए बनाया था। यह उनका पहला प्रयास था, वे बिचारे बच्चे हैं, उन्हें माफ़ किया जाय। बड़ी कठिनाई से लोग माने जिनके सिर भिड़े वे तो मुआवज़ा माँग रहे थे। परंतु अंत में सबने बच्चा समझकर छोड़ दिया।

सब वहाँ से रोबोट समेत भागे और नदी के किनारे एकांत में आ गए। सब सोचने लगे कि गड़बड़ कहाँ हुई है। विदित और प्रांजल गायब थे, संकल्प का थोड़ा माथा ठनका।

"हमने तो इसे आदर्श बनाने का सोचा था, ये तो सारे काम गंदे कर रहा है, उलटे-उलटे-से। ये उलटराम क्यों हो गया है।" अपूर्व ने कहा।
"ये गड़बड़झाला सारे काम गलत कर रहा है, ये अब हमारे लिए बेकार हो गया है। इसे बेकार कर देना चाहिए।" स्वाति ने कहा।
"नहीं, इस तरह हमारी मेहनत बेकार हो जाएगी। हम एक बार और परीक्षण करके देखेंगे कि गड़बड़ क्या है।" संकल्प ने कहा और फिर सोचते हुए बोला, "यहाँ सामने नदी है और हमारी प्रोग्रामिंग के अनुसार इसे डूबते हुए को बचाना चाहिए। क्षितिज तुम जरा डूबने का अभिनय करना।"

क्षितिज ने नदी में डूबने का अभिनय किया। रोबोट संचालित होते ही हरकत में आ गया। बच्चे उत्सुकता से देख रहे थे। वह नदी की ओर बढ़ रहा था। अचानक रोबोट ने तेज़ी से नम्रता को उठाया और नदी की ओर उछाल दिया। इसके बाद वह अपूर्व की ओर बढ़ने लगा। संकल्प ने रिमोट द्वारा शीघ्रता से उसे कंट्रोल किया। नम्रता को क्षितिज ने नदी से निकाला।

संकल्प को जैसे सारी गड़बड़ समझ आ गई। उसने सबको इकट्ठा करके कहा, "मित्रो, मुझे सारी गड़बड़ समझ आ गई है और इस गड़बड़ के दोषी है सुस्तराम प्रांजल और विदित। उन दोनों ने ऊँघते हुए अपना काम किया है। दोनों ने प्रोग्रामिंग में गलती की है। ये रोबोट अब हमारे किसी काम का नहीं है।"

ये सुनते ही सब बच्चे उदास हो गए। उन्हें विदित और प्रांजल पर बहुत गुस्सा आ रहा था। 'अब क्या करे' का भाव सबके चेहरे पर था।
"अब ये रोबोट क्या हमारे किसी काम का नहीं है?" नम्रता ने रोते हुए पूछा।
"आइडिया!" अचानक आभा ने कहा, "ये रोबोट बेकार नहीं है, हमारे काम आएगा।"
"कैसे?"
"ये होली वाले दिन हमारे काम आएगा। मेरे पापा बताते हैं कि जब वो छोटे थे तो खूब रंग डालते थे, गीली होली खेलते थे। आजकल तो ऐसा करने से लोग बहुत लड़ते है, तब भी लड़ते थे, पर आज ज़्यादा लड़ते हैं। हम इस बार रोबोट द्वारा होली खेलेंगे। एक बड़ा गड्ढ़ा खोदकर उसमें रंगवाला पानी भरेंगे। तुमने देखा होगा कि कैसे उसने उल्टी प्रोग्रामिंग के कारण क्षितिज को पानी से बचाने की बजाय नम्रता को पानी में फेंक दिया। बस, अब यही रोबोट सबको रंगवाले गड्ढ़े में फेकेगा और हम ताली बजाएँगे। रोबोट का कोई क्या कर लेगा..."
"यानी कि इस बार हम रोबोट वाली होली मनाएँगे।" अक्षत ने खिलखिला कर कहा।
"हिप-हिप ह़ुर्रे, रोबोट वाली होली..." सब जैसे झूम उठे।

१ मार्च २००३

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