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                         गीता को 
						पुरस्कार में एक कैमरा मिला। वह दीपावली के दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम 
						प्रतियोगिता में प्रथम आई थी न, इसीलिये। 
						 गीता कैमरा लेकर 
						फोटो खींचने निकल पड़ी। उसने काफी फोटो लिये- मनु के 
						जन्मदिन के फोटो, सड़क पर सैर करते हुए फोटो और संगीत 
						कार्यक्रम के फोटो। गीता और छुटकू भालू के बैले नृत्य का 
						फोटो मीता ने लिया, गीता के कैमरे से। वे लोग कैमरा लेकर 
						घूमने भी गए। बहुत से चित्र खींचे। फिर कैमरा लेकर गीता, 
						माँ के साथ एक दूकान में गई। वहाँ फोटो धुलने के लिये दिये 
						गए। थोड़ी देर में फोटो धुलकर आ गए। कितने सुंदर फोटो थे। 
						सबको पसंद आए। सारी बातें फिर से ताजी हो गईं। 
						 कैमरे से 
						फोटो खींचकर हम स्मृतियाँ सहेजते हैं। किसी जगह, उत्सव या 
						व्यक्ति को याद रखने के लिये उसका फोटो खींचकर रख लेने से 
						अच्छी कोई बात नहीं। फोटो खींचना एक कला भी है। गीता इसी 
						कला के अभ्यास में लगी है। 
						- पूर्णिमा वर्मन  |