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फुलवारी

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खेल का मैदान

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गीतू और मीतू के स्कूल में एक खेल का मैदान है।
हम सबके स्कूलों में खेल का मैदान होता है। खेल के मैदान में सब बच्चे खेलते हैं। कभी झूला झूलते हैं कभी फिसलपट्टी पर फिसलते हैं। चोर सिपाही भी खेलते हैं। और भी बहुत से खेल खेलते हैं। खेल खेलना सबको अच्छा लगता है।

इस समय खाने की छुट्टी है। मीतू खेल के मैदान में रस्सी कूद रही है। गीतू अपनी बारी का इंतजार कर रही है। जब मीतू बीस तक रस्सी कूद लेगी तब गीतू बीस तक रस्सी कूदेगी। कुछ बच्चों को रस्सी कूदना आता है। कुछ बच्चों को रस्सी कूदना नहीं आता। रस्सी कूदना अच्छा खेल है।

जब पढ़ाई की घंटी बजेगी तब गीतू और मीतू रस्सी कूदना बंद कर देंगी। फिर वे कक्षा में पढ़ाई करेंगी।

- पूर्णिमा वर्मन

२८ जनवरी २०१३  

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