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                        भालू भारतीय भालू को मीठे फल 
                        बहुत प्रिय हैं। शहद को भी वह बड़े चाव से खाता है। 
                        मधुमक्खी के छत्तों की खोज में वह प्राय: गाँवों में घुस 
                        जाता है। क्रोधित मधुमक्खियाँ उस पर आक्रमण करती हैं, 
                        किन्तु उसके शरीर के लम्बे, झबरे और रूखे बालों पर 
                        मधुमक्खी के डंको का कोई असर नहीं होता। हमारे देश में जब 
                        महुआ फूलता है, तो भालू प्रात:काल गिरे हुए फूलों को खाने 
                        के लिए आते हैं। कभी-कभी भालू स्वयं महुए के वृक्ष पर चढ़ 
                        जाते हैं, और डालियों को हिलाकर फूल गिराते हैं। इसी 
                        प्रकार पहाड़ों पर जंगल में बुरांस के लाल खटमिठ्ठे रसीले 
                        फूल फूलते हैं। भालू पेड़ पर चढ़कर उन्हें खाते हैं। आडू, 
                        सेब, खुबानी आदि पर्वतीय फलों के उद्यानों में भी भालू रात 
                        को प्राय: धावा बोलते हैं। उनकी रात भर चौकसी करनी आवश्यक 
                        हो जाती है। पकी हुई फसल को भी वे काफी हानि पहुँचाते हैं। बांज के पेड़ों का फल 
                        लिक्वाल उसका प्रिय भोजन है। इसमें पर्याप्त मात्रा में 
                        चर्बी होती है। जाड़े के मौसम के लिए हिम प्रदेश का भालू 
                        इन्हें खाकर शरीर में चर्बी एकत्र कर लेता है। मीठे फलों 
                        की खोज में भालू जंगलों में जगह-जगह फिरता है, और मौसम के 
                        अनुसार रसीले फलों के पकने पर वहाँ पहुँच जाता है। भालू की लड़खड़ाती चाल और 
                        उसके भारी शरीर को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि वह कभी 
                        दौड़ नहीं सकेगा। लेकिन वह अड़तालीस किलोमीटर प्रति घंटे 
                        की रफ्तार से दौड़ लेता है। भालू के पिछले पाँव अगले पाँव 
                        से अधिक लम्बे होते हैं, इस कारण वह ढाल पर तेज़ी से नहीं 
                        दौड़ सकता, पर कभी-कभी गोल-मटोल बनकर हल्के ढाल में लुढ़क 
                        जाता है, भालू के पंजे में भोथरे नाखून होते हैं, जो खुदाई 
                        के लिए उपयुक्त हैं। वह प्राय: कन्द खोदता है।  उसका भोजन कन्द, मूल और 
                        फल है। वैसे वह सर्वभक्षी पशु है। फलों के मौसम में वह फल 
                        खाकर ही संतुष्ट हो जाता है। जब फल अलभ्य हो जाते हैं तो 
                        वह कन्द खोदकर खाता है। नदियों के किनारे मछली पकड़ कर भी 
                        वह अपना पेट पर लेता है। कीड़े-मकोड़े भी उसके भोजन में 
                        सम्मिलित हैं। चींटियों तथा दीमकों को भी वह नहीं छोड़ता 
                        है। अपने लम्बे नाखूनों से वह दीमक के बाम्बी को खोदता है, 
                        और अपने श्वास के साथ दीमकों को अपने मुँह के अन्दर खींच 
                        लेता है। अमेरिका का ग्रिजली भालू तो हिंसक पशुओं की भाँति 
                        बड़े पशुओं का शिकार करता है। साधारणत: भालू दो रंग में 
                        पाए जाते हैं - एक सफ़ेद और दूसरा काला! ठंडे इलाके में 
                        पाए जाने वाले भालू सफ़ेद रंग के होते हैं। दूसरे प्रकार 
                        के भालू भारत, बर्मा, मलाया आदि गर्म प्रदेश में पाए जाते 
                        हैं।  १ दिसंबर २००३   |