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फुलवारी जंगल के पशु

बाघ

शेर जंगल का राजा है, लेकिन बाघ भी अपने दर्शनीय स्वरूप के कारण 'बंगाल का बादशाह' कहलाता है। वह भारत का राष्ट्रीय पशु भी है।

बाघ चालाक पशु है। वह सदा सजग और चौकन्ना रहता है और अपनी गतिविधि का बहुत कम पता देता है। वह हमेशा पेड़ों के झुरमुट, झाड़ियों और लम्बी घास की आड़ लेकर चलता है। अपने शरीर की धारियों के कारण वह जंगल में छुप जाता है इसलिए आसानी से देखा नहीं जा सकता है। उसकी आवाज़ बहुत कम सुनाई देती है। बाघ शेर की भाँति निडर पशु नहीं है। वह खुले में नहीं आता है।

बाघ बब्बर शेर से कुछ ही कम ऊँचा होता है, किन्तु उसकी लम्बाई अधिक होती है, उसके शरीर पर बादामी अथवा हल्की काली धारियाँ पड़ी होती हैं। दिन के समय बाघ नदी या तालाब के किनारे पेड़ों के झुरमुट में आराम करता है। वह बिल्ली जाति का एक पशु है, जिसे स्नान करने में विशेष आनन्द आता है। गर्मी के मौसम में वह अधिक समय तक पानी में लेटा रहता है।

बाघ शक्तिशाली पशु है। वह तेज़ दौड़ता है, लम्बी छलांग लगाता है और उसके शरीर में असाधारण शक्ति होती है। भैंस के समान भारी पशु को वह खींचकर ले जाता है और कभी-कभी कुछ दूर तक उसे मुँह में दबाए हुए उठाकर ले जा सकता है। बाघ का प्राकृतिक भोजन जंगली पशु हैं।

१ नवंबर २००३


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(यह लेखमाला श्रीचरण काला की पुस्तक भारतीय वन्य पशु पर आधारित है)
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