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 पर्व परिचय
हेमिस महोत्सव

जून माह के पर्व

हेमिस महोत्सव (लद्दाख)

जून माह में लद्दाख के सबसे बड़े बौद्धविहार हेमिस का परिसर हेमिस महोत्सव से रंगीन हो उठता है। इस अवसर पर वे गुरू पद्मसम्भव का जन्मदिन मनाते हैं। लम्बे सींगों के साथ मुखौटों से सुशोभित नर्तक विशेष प्रकार की ढोल के साथ नृत्य करते हैं तो यह समा देखते ही बनता है।

इस अवसर पर हस्तकला की कृतियों से भरा हुआ मेला दर्शकों के लिए आकर्षण का प्रमुख केन्द्र होता है।

ग्रीष्म महोत्सव (माउंट आबू, राजस्थान)

हर साल जून के महीने में राजस्थान के माउंट आबू शहर की पन्ने सी हरी पहाड़ियों, नीलम सी नीली झीलों नयनाभिराम वादियों और मनोरम जलवायु में ग्रीष्म महोत्सव मनाया जाता है।

तीन दिनों के इस उत्सव में शास्त्रीय संगीत लोक नृत्य दर्शकों के लिए भारत के सांस्कृतिक और लोक जीवन की एक खिड़की खोल देते हैं। कार्यक्रम का आरंभ लोक गीतों से होता है और गैर, घूमर और ढाप एक के बाद एक आपका दिल जीत लेते हैं।

खेल कार्यक्रम जैसे नक्की झील में नौका दौड़ तथा संगीत कार्यक्रम जैसे शाम ए ग़जल का लोगों को बेसब्री से इंतज़ार रहता है। कार्यक्रम ज़बरदस्त समापन होता है बेहतरीन आतिशबाज़ी से जो सभी पर्यटकों का मन मोह लेता है।

गंगा दशहरा (गंगा के तटों पर)

प्रतिवर्ष ज्येष्ठ शुक्ला दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। संपूर्ण उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार एवं भारत के अन्य क्षेत्रों में इस दिन विशेष आयेजन किये जाते हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार, वाराणसी, इलाहाबाद, चित्रकूट एवं गंगा के किनारे बडी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। वराह पुराण के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ला दशमी बुधवारी में हस्त नक्षत्र में श्रेष्ठ नदी स्वर्ग से अवतीर्ण हुई थी वह दस पापों को नष्ट करती है। इस कारण उस तिथि को दशहरा कहते हैं। गंगा के किनारे विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, संध्या काल मे तो इसकी शोभा अवर्णनीय सुंदर बन जाती है, गंगा के किनारे को दीपो से, फूलों से, रंगोली एवं अन्य प्रकार से सजाया जाता हैं। श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं।

सिंधु दर्शन महोत्सव

सिंधु दर्शन महोत्सव तथा यात्रा को लेह-लद्दाख क्षेत्र में हर वर्ष सिंधु नदी के उद्गम स्थल सिंधु घाट में जून के अंतिम सप्ताह में आयोजित किया जाता है। वर्ष 1996 में आरम्भ की गई इस यात्रा में देश के कोने कोने से आए हुए पर्यटक भाग लेते हैं। वैदिक संस्कृति का प्रतीक मानी जाने वाली सिंधु नदी के पावन जल को नमन, सांस्कृतिक संध्या तथा झूलेलाल का पूजन इस महोत्सव के प्रमुख आकर्षण होते हैं।

 
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