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व्यक्तित्व


अभिव्यक्ति में
डा विद्यानिवास मिश्र की
रचनाएं

साहित्यिक निबंध के अंतर्गत

राम का अयन वन


डा विद्या निवास मिश्र

जन्म : २८ जनवरी १९२५

जन्म स्थान : पकरडीहा गोरखपुर

शिक्षा : गोरखपुर विश्वविद्यालय से पी एच डी की उपाधि।

कार्य क्षेत्र :डा0 मिश्र हिंदी और संस्कृत के अग्रणी विद्वान, प्रख्यात निबंधकार, भाषाविद और चिंतक है। प्रारंभ में आप मध्य प्रदेश सरकार के सूचना विभाग से संबद्ध रहे। 1956 से विश्वविद्यालय सेवा में आए और गोरखपुर विश्वविद्यालय, आगरा विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, काशी हिंदू विद्यापीठ और फिर संस्कृत विश्वविद्यालय में प्राध्यापक, आचार्य, निदेशक अतिथि आचार्य और कुलपति के विभिन्न पदों को सुशोभित करते रहे। वाशिंगटन विश्वविद्यालय, सियाटल में अतिथि प्रोफेसर रहे तथा यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्निया बर्कले में महत्वपूर्ण शोध कार्य प्रस्तुत किए।

पत्रकारिता के क्षेत्र में आप ललित एवं रोचक निबंध लेखक के रूप में लोकप्रिय हुए। आगे चल कर आपके लेखों का विषय साहित्य के साथ–साथ प्रकृति, परंपरा और संस्कृति की ओर विकसित हुआ। आप भारतीय संस्कृति व दर्शन के विद्वान व चितंक माने जाते हैं। आप द्वारा लिखित भारतीय दर्शन, भाषा साहित्य समीक्षा और हिंदुत्व अनेक आलोचनात्मक तथा विवेचनात्मक कृतियां के लेखक अनेक पत्र पत्रिकाओं तथा संग्रहों में प्रकाशित हो चुकी हैं। इस सबके साथ–साथ आप उच्चकोटि के कवि भी हैं। उनकी रचनाएं देश और भोजपुरी क्षेत्र के लोकजीवन और लोक संस्कृति से ओतप्रोत हैं।

डॉ• मिश्र भारतीय ज्ञानपीठ के न्यासी बोर्ड के सदस्य थे। वह मूर्तिदेवी पुरस्कार चयन समिति के अध्यक्ष के साथ–साथ ज्ञानपीठ पुरस्कार चयन समिति के सदस्य भी थे। अपने अंतिम समय तक वे नवभारत टाइम्स इनसाइक्लोपीडिया आफ हिन्दूज के प्रधान सम्पादक एवं साहित्य अमृत नामक पत्रिका के सम्पादक पद पर काम करते रहे। 

प्रकाशित कृतियां व सम्मान :
साहित्य सेवाऔं के लिये आप भारतीय ज्ञानपीठ के मूर्ति देवी पुरस्कार, के के बिडला फाउंदेशन के शंकर सम्मान तथा भारत सरकार के पद्मश्री और पद्रमभूषण से सम्मानित। अपने अंतिम समय तक वे राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे।

१४ फ़रवरी २००५ को देहावसान।

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