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स्वदेश राणा

स्वदेश राणा हिन्दी की उन लेखिकाओं में से हैं जिन्होंने परदेस की आबोहवा में भी अपनी जुब़ान की खुशबू को बनाए रखा है। विद्यार्थी जीवन में वे मेधावी छात्र रहीं और बाद में देश विदेश के अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य करती रहीं।

बी. ए. की डिग्री में अंग्रेज़ी और हिंदी दोनों में तब तक के सबसे अधिक अंक प्राप्त किये। राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि चंडीगढ़ विश्वविद्यालय से स्वर्ण पदक के साथ। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में शोध, तब तक के रेकॉर्ड में सबसे कम समय में। दिल्ली में इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज़ एण्ड एनालिसिस में सीनियर रिसर्च असोसियेट रहीं और फिर संयुक्त राष्ट्र में डिसआर्ममेंट विभाग की कन्वेन्शनल आर्मस शाखा की प्रमुख का पद संभालने वाली प्रथम महिला बनीं। काम के सिलसिले में ३५-४० देशों की यात्राएँ कीं और १०० - १५० राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों व मानदों से सम्मानित हुईं।

जर्मनी, स्विटज़रलैंड, कीनिया व अर्जेन्टीना की सरकारों के लिए सलाहकार रहीं और अब वर्ल्ड पालिसी इंस्टीट्यूट की सदस्य हैं।

लेखन में बचपन से रूचि रही। कुछ नज्में भारत की विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित। 'कोठेवाली' कहीं भी प्रकाशित होने वाला उनका पहला उपन्यास है।

ई मेल:  Srana641@aol.com

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