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डॉ. प्रतिभा अग्रवाल

संगीत नाटक एकेडमी एवार्ड २००५ से पुरस्कृत प्रतिभा अग्रवाल एक ऐसी प्रतिभा संपन्न महिला है जिन्होंने अपने नाम को सार्थक किया है।

उनका जन्म १९३० में बनारस में एक ऐसे घराने में हुआ जिसने हिंदी भाषा और हिंदी नाटक को सशक्त बनाने में विशेष भूमिका निभाई। १३ वर्ष की छोटी उम्र में आपने अपने दादाजी द्वारा प्रदर्शित ‘महाराणा प्रताप नाटक’ में अहम् भूमिका निभाई। आपकी शिक्षा बनारस-कलकत्ता एवं शांति निकेतन में हुई। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के निर्देशनों में आयोजित ‘शतरंज के खिलाड़ी’ कथा पर आयोजित नृत्य नाटक में अपनी भूमिका से श्रीमती अग्रवाल ने अपनी विशेष छाप छोड़ी।

१९४० के उत्तरार्द्ध से १९५० के प्रारंभ तक हिंदी रंगमंच की एक बड़ी नायिका के रूप में उभरी इस समय काल में ‘तरुण संघ और बाद में अनामिका’ के ध्वज तले अपनी प्रतिभा को नई ख्याति प्रदान की। आपने १९५० से १९७० तक कलकत्ता की प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान शिक्षायतन में शिक्षिका के रूप में कार्य किया। १९५० उत्तरार्द्ध से १९९० तक हिंदी रंगमंच की निर्देशिका एवं नायिका के साथ-साथ श्रीमती प्रतिभा अग्रवाल ने साहित्य की विशेष सेवा की। बंगला भाषा से हिंदी में महत्त्वपूर्ण रचनाओं के अनुवाद, समीक्षा, जीवनी आदि में उनका योगदान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। दूब सेन के नाटक ‘‘जनता का शत्रु’’ का हिंदी अनुवाद आपने १९५९ में किया।

अपने समकालीन भारतीय नाटक लेखकों की कई कृतियों पर आयोजित श्री श्यामनंद जालान, श्री शिव कुमार जोशी, श्री विमल लाठ आदि विशिष्ट निर्देशिकों के निर्देशन में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई और बेहद ख्याति प्राप्त की।

१९८१ में ‘नाट्य शोध संस्थान’ की कलकत्ता में स्थापना करना इनकी जीवन की बड़ी उपलब्धि रही है।

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