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व्यक्तित्व

 

अभिव्यक्ति में गोविन्द झा की रचनाएँ

साहित्य संगम में कहानी
गाड़ी पर नाव

 


गोविन्द झा

आधुनिक मैथिली साहित्य के मूर्धन्य सेवक। साहित्य की लगभग सभी विधाओं पर प्रायः समान अधिकार से लेखन परंतु ज्यादातर नाटकों के माध्यम से मैथिल समाज में व्याप्त समस्याओं का निरूपण। बिहार के राजभाषा विभाग के निदेशक पद से अवकाश ग्रहण। भारत एवं नेपाल में साहित्य के कई प्रमुख पुरस्कारों से सम्मानित। संस्कृत असमिया बंगला नेपाली इत्यादि से बीस पचीस प्रमुख ग्रंथों का मैथिली एवं हिन्दी में अनुवाद भी इनकी प्रमुख देन है । आर्य भाषाओं के भाषा विज्ञान एवं खासकर मैथिली भाषा से संबंधित बहुत से निबंध प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।

प्रकाशित कृतियाँ—
नाटक– बसात १९५४, .राजा शिवसिंह १९७३, अन्तिम प्रणाम १९७३,. लोढ़ानाथ १९८८, रूक्मिणी हरण १९९०. कालकूट (अप्रकाशित)
कहानी संग्रह– सामाक पौती १९९० (साहित्य अकादमी पुरस्कृत), नखदर्पण १९९५
कविता संग्रह– प्रलाप, सीरध्वज
उपन्यास– विद्यापतिक आत्मकथा १९९२
भाषाशास्त्र– उच्चतर मैथिली व्याकरण १९७९, मैथिलीक उदगम ओ विकास १९८८, लघु विद्योतन १९६३, छन्दशास्त्र १९८६, मैथिली भाषा का विकास १९७३, मैथिली शब्दकोश १९९२
आलोचना मैथिली नाटक : अधुनातन संदर्भ १९८८
जीवनी– उमेश मिश्र १९८३. विद्यापति

 

 
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