| 
						 
						
						 पंडित 
						किशोरीलाल ने घर में कदम रखा ही था कि बेटी कम्मो पानी का 
						गिलास ले आयी, तिपाई पर रख कर चाय बनाने टीन की नाममात्र 
						की रसोईनुमा ओटक में घुस गयी! पानी पीकर दम भी नहीं ले पाए 
						थे कि पंडिताइन ने धोती की छोर से पत्र निकाल कर पकड़ा 
						दिया!  
						पत्र होने वाले समधी का था जिसमे शादी की तारीख पूछी थी! 
						उन्होंने एक उसाँस ली! 
						"बिटिया की शादी की कौन सी तारीख सोची है?" सहमते और ठन्डे 
						स्वर में पंडिताइन ने पुछा ! 
						"हम्म ! यही गणना कर रहा था! लगते अगहन की पञ्चमी बता देना 
						उनको!" कहकर पंडित जी बुदबुदाने लगे .....  
						पंद्रह दिन कनागत के नौ दिन नवरात्रि के, फिर दशहरा पूजन, 
						दीपावली के पाँच त्योहार शादी करने लायक दक्षिणा, 
						कपडे-लत्ते, बर्तन सब जुट जाएँगे, बस दावत के पैसे जुटाने 
						हैं, ईश्वर करेंगे कुछ एक...  
						वे निःश्वास लेकर कपडे बदलने लगे ! 
						तभी दरवाज़े की कुण्डी खटकी पंडिताइन ने जाकर खोला, कुछ देर 
						में वापिस आकर बताया, 
						"बगल की गली के सेठ धर्मदास का नौकर रामदीन था, सेठ जी के 
						पड़पोता हुआ है!" 
						दोनों की आँखों में जुगनू सी चमक कौंध उठी! 
						
						१ नवंबर 
						२०२३  |