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लघुकथाएँ

लघुकथाओं के क्रम में महानगर की कहानियों के अंतर्गत प्रस्तुत है
रजनी पूनम गुप्ता
की लघुकथा- अंधा कानून


आशीष और राहुल बचपन से साथ खेलते-खाते, पढ़ते दो भाई जो एक दूसरे के बिना एक पल भी नहीं रह पाते..
कब बड़े हो जाते हैं पता ही नहीं चलता|
अब बचपन का प्यार धीरे-धीरे खेल-खिलौनों से परे जमीन-जायदाद के पचड़ों में फँस गया|
अब तो इन लोगों में बात भी नहीं होती|
यहाँ तक कि आशीष ने राहुल पर मुकदमा दायर कर दिया कि राहुल उस पर जानलेवा हमला करवाना चाहता है और अपने पैसे की ताकत से आशीष केस जीत गया|
क्या कानून में स्वयं कुछ शक्ति नहीं है....
कानून सच में अंधा है... बिना सत्य की जाँच के एक निर्दोष को झूठी सजा मिल गई।

१ सितंबर २०१८

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