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 राम के 
					वंशज
 जो आज भी 
					जीवित हैं
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					अनिरुद्ध जोशी
 
 भरत के दो 
					पुत्र थे- तार्क्ष और पुष्कर। लक्ष्मण के पुत्र- चित्रांगद और 
					चन्द्रकेतु और शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु और शूरसेन थे। मथुरा 
					का नाम पहले शूरसेन था। लव और कुश राम तथा सीता के जुड़वाँ 
					बेटे थे। जब राम ने वानप्रस्थ लेने का निश्चय कर भरत का 
					राज्याभिषेक करना चाहा तो भरत नहीं माने। अत: दक्षिण कोसल 
					प्रदेश (छत्तीसगढ़) में कुश और उत्तर कोसल में लव का अभिषेक 
					किया गया।
 राम ने कुश को दक्षिण कौशल, कुशस्थली (कुशावती) और अयोध्या 
					राज्य सौंपा तो लव को पंजाब दिया। लव ने लाहौर को अपनी राजधानी 
					बनाया। आज के तक्षशिला मेँ तब भरत पुत्र तक्ष और पुष्करावती 
					(पेशावर) मेँ पुष्कर सिंहासनारुढ़ थे। हिमाचल में लक्ष्मण 
					पुत्रों अंगद का अंगदपुर और चंद्रकेतु का चंद्रावती में शासन 
					था। मथुरा में शत्रुघ्न के पुत्र सुबाहु का तथा दूसरे पुत्र 
					शत्रुघाती का भेलसा (विदिशा) में शासन था।
 
 राम के काल में भी कोशल राज्य उत्तर कोशल और दक्षिण कोशल में 
					विभाजित था। कालिदास के रघुवंश अनुसार राम ने अपने पुत्र लव को 
					शरावती का और कुश को कुशावती का राज्य दिया था। शरावती को 
					श्रावस्ती मानें तो निश्चय ही लव का राज्य उत्तर भारत में था 
					और कुश का राज्य दक्षिण कोसल में। कुश की राजधानी कुशावती आज 
					के बिलासपुर जिले में थी। कोसला को राम की माता कौशल्या की 
					जन्मभूमि माना जाता है। रघुवंश के अनुसार कुश को अयोध्या जाने 
					के लिए विंध्याचल को पार करना पड़ता था इससे भी सिद्ध होता है 
					कि उनका राज्य दक्षिण कोसल में ही था।
 
 राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बड़गुजर, जयास और 
					सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश 
					की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। 
					कुश से कुशवाह राजपूतों का वंश चला।
 
 ऐतिहासिक तथ्यों के अनुसार लव ने लवपुरी नगर की स्थापना की थी, 
					जो वर्तमान में पाकिस्तान स्थित शहर लाहौर है। यहां के एक किले 
					में लव का एक मंदिर भी बना हुआ है। लवपुरी को बाद में लौहपुरी 
					कहा जाने लगा। दक्षिण-पूर्व एशियाई देश लाओस, थाई नगर लोबपुरी, 
					दोनों ही उनके नाम पर रखे गए स्थान हैं।
 
 कुश के वंशज कौन?
 
 राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि 
					और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, 
					देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, छल से, 
					उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, 
					हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण 
					से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, 
					नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, 
					सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, 
					कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, 
					महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म 
					हुआ।
 
 कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। 
					सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक 
					हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही 
					कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। 
					एक शोधानुसार कुश की ५०वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत 
					युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यह इसकी गणना की जाए तो 
					कुश महाभारतकाल के २,५०० वर्ष पूर्व से ३,००० वर्ष पूर्व हुए 
					थे अर्थात आज से ६,५०० से ७,००० वर्ष पूर्व।
 
 इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, 
					प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, 
					सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, 
					सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणज्जय, संजय, शाक्य, 
					शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, 
					सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते 
					हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।
 
 तो यह सिद्ध हुआ कि वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), 
					मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत 
					वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर 
					राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग की राम के 
					पुत्र कुश के वंशज है। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को 
					दिए में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के ३०९वें वंशज थे।
 
 इस घराने के इतिहास की बात करें तो २१ अगस्त १९२१ को जन्मे 
					महाराज मानसिंह ने तीन शादियाँ की थी। मानसिंह की पहली पत्नी 
					मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी का नाम किशोर कंवर था और माननसिंह ने 
					तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। महाराजा मानसिंह और उनकी 
					पहली पत्नी से जन्मे पुत्र का नाम भवानी सिंह था। भवानी सिंह 
					का विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ। लेकिन दोनों का कोई बेटा 
					नहीं है एक बेटी है जिसका नाम दीया है और जिसका विवाह नरेंद्र 
					सिंह के साथ हुआ है। दीया के बड़े बेटे का नाम पद्मनाभ सिंह और 
					छोटे बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह है।
 
 मुसलमान भी राम के वंशज हैं?
 
 हालाँकि ऐसे कई राजा और महाराजा हैं जिनके पूर्वज श्रीराम थे। 
					राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश से ताल्लुक रखते 
					हैं। मुगल काल में इन सभी को धर्म परिवर्तन करना पड़ा लेकिन ये 
					सभी आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं।
 
 इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं 
					और छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी माने जाते हैं। राजस्थान, 
					बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव 
					या समूह हैं जो राम के वंश से संबंध रखते हैं। डीएनए शोधाधुसार 
					उत्तर प्रदेश के ६५ प्रतिशत मुस्लिम ब्राह्मण बाकी राजपूत, 
					कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं। लखनऊ 
					के एसजीपीजीआई के वैज्ञानिकों ने फ्लोरिडा और स्पेन के 
					वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किए गए अनुवांशिकी शोध के आधार पर यह 
					निष्कर्ष निकाला था।
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