डाक टिकटों में शिरीष की
उपस्थिति
—
पूर्णिमा वर्मन
अनेक देशों
के डाक टिकट विभागों ने शिरीष के वृक्ष या फूल को अपने टिकटों
में स्थान देना महत्वपूर्ण माना है। इन्हीं में से एक देश है
रोमानिया। १९९५ में प्रकाशित एक डाक टिकट पर रोमानिया ने कृष्ण
शिरीष (अलबिजिया जूलिब्रिसिन) को स्थान दिया है। इसे काला
शिरीष इसलिये कहते हैं क्यों कि इसकी डालें गहरे रंग की होती
हैं। इस पर लाल या गुलाबी रंग के फूल लगते हैं। टिकट पर ऊपर
अलबिजिया जूलिब्रिसिन डुराज लिखा हुआ है।
इटली में एंटोनियो फ्रांसेस्को डुराजिनी (१७४०-१८१०) नाम के एक
प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्होंने वनस्पति की
प्रजातियों के वर्गीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। डुराज
उनके नाम का वह छोटा रूप है जिससे वे जाने जाते थे। उन्हीं को
सम्मानित करने के लिये टिकट के ऊपर शिरीष की प्रजाति के साथ
उनका नाम दिया गया है।
दक्षिण
अफ्रीका में जिम्बाब्वे से लगा हुआ एक छोटा सा देश है जिसका
नाम है वेंडा। ३ अगस्त १९८३ को इसने अपने देश के ४ प्रमुख
वृक्षों की एक शृंखला को डाक टिकटों में स्थान दिया था, जिसमें
शिरीष की एक प्रजाति अलबिजिया एडिएंटीफोलिया को स्थान मिला था।
इस पेड़ की छतरी खूब बड़ी और छायादार होती है अतः इसे फ्लैट
क्राउन ट्री भी कहते हैं। इसका स्थानीय नाम म्युलेला है जो
टिकट में नीचे की ओर बीच में लिखा है। बायीं ओर इसका वैज्ञानिक
नाम अलबिजिया एडिएंटीफोलिया लिखा गया है। दाहिनी ओर इस चित्र
के कलाकार का नाम डिक फिंडले तथा प्रकाशन वर्ष १९८३ लिखा है।
कैरेबियन सागर में मैक्सिको की खाड़ी और अटलांटिक महासागर से
घिरा अनेक द्वीप समूहों वाला एक देश है जिसे नीदरलैंड एंटीलेन
या नीदरलैंड एंटीलीज नाम से जाना जाता है। निरंतर राजनैतिक
अस्थिरता वाला यह द्वीप समूह अनेक सालों तक नीदरलैंड या हॉलैंड
के अधिकार में रहा।
२० जुलाई १९७७ को इस देश ने २५, ४० और ५५ सेंट मूल्य की तीन
टिकटों की फूलों वाली एक बहुरंगी शृंखला प्रकाशित की थी। इसमें
से ४० सेंट वाले डाकटिकट पर श्वेत शिरीष का फूल अंकित है। इस
चित्र के कलाकार का नाम नेफ्ताली है जो १९७७ के कापीराइट ऐक्ट
के अनुसार इस चित्र के कापीराइट का अधिकार रखते हैं। जिन दो
अन्य फूलों को इस शृंखला में शिरीष
के साथ शामिल होने का सौभाग्य मिला है उनके नाम हैं- कोर्डिया
सेबेस्टीना तथा टैमरिंडस इंडिका या इमली।
एलबिजिया समान नामक कृष्ण शिरीष की एक और प्रजाति है जिसे
साधारण बोलचाल की भाषा में सेमेनिया समान कहते हैं।
अंतरराष्ट्रीय वानस्पतिक विविधता दिवस को मनाने के
लिये २६ मई २०१० को सिंगापुर ने अपने वृझों के विषय में जानें
शीर्षक से एक टिकट शृंखला प्रकाशित की थी, जिसमें उस क्षेत्र
के १० प्रमुख वृक्षों के चित्रों को सम्मिलित किया गया था। इन
पेड़ों में से एक एलबिजिया सामान नामक वृक्ष ऐसा था जिसे सिंगापुर के फोर्ट कैनिंग पार्क में देखा जा सकता है। ६०
सेंट के इस टिकट के ऊपर छोटे अक्षरों में लिखा है केयर फॉर
नेचर। इसके अतिरिक्त मलेशिया में सबसे अधिक पाए जाने वाले जिन
पेड़ों को इस शृंखला में स्थान मिला था उनके नाम हैं-
पटेरोकार्पस इंडिकस, पेल्टोफोरम पटेरोकार्पम (राधाचूड़),
सेनेगल महोगनी, चौड़े पत्तों वाला महोगनी, टेम्बुसु, सी एपल,
ऐडेन्थेरिया पावोनिना, रोजी ट्रम्पेट ट्री और देसी बदाम।
मलेशिया एक ऐसा देश है जिसका आधे से अधिक भाग अभी भी जंगलों से
घिरा हुआ है। मलेशिया के ये जंगल घनी वर्षा वाले सदा बहार
उष्णकटिबंधीय वनों की श्रेणी में आते हैं।
१६ दिसंबर १९८१ में मलेशिया ने प्रथम दिवस आवरण पर वृक्षों
वाले तीन डाक टिकटों का एक सेट प्रकाशित किया था। १५, ५० और ८०
सेंट वाले इन टिकटों में से १५ सेंट वाला टिकट रेन ट्री
समानिया समान या एलबिजिया समान था। दो अन्य टिकटों पर डायरा
कौस्ट्यूलाटा और ड्रायोबालानोप्स एरोमेटिका या कपूर वृक्ष को
स्थान मिला था। प्रथम दिवस आवरण पर जंगलों का सुंदर दृश्य बना
हुआ था।
यह सब देखकर हमें पता चलता है कि लगभग हर देश के डाकविभाग अपने
देश और आसपास की वनस्पतियों के प्रति कितने सजग हैं और उनके
विषय में छोटी मोटी जानकारी अपने देश वासियों तक पहुँचाने में
कितने तत्पर रहते हैं। |