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क्रिसमस के
अवसर
पर
प्रकाशित
भारत के
डाक-टिकट
—
पूर्णिमा वर्मन
२५ दिसंबर,
१९९९ को ईसा मसीह की २०००वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष
प्रथम दिवस आवरण (एफडीसी) जारी किया गया था। यह प्रथम दिवस
आवरण कलात्मक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होने के साथ
साथ एक उत्कृष्ट कृति भी है। आवरण पर एक शांत और भावपूर्ण
चित्रण है, जिसमें ईसामसीह का चित्र बना हुअ है। इसके ऊपर
चिपके डाक टिकट में एक उगता हुआ सूर्य, एक ग्लोब और एक
क्रॉस के सामने एक लौ के अंदर एक हाथ दर्शाया गया है।
तीन रुपये मूल्य के इस डाक टिकट में बायीं ओर ऊपर हिंदी
में भारत और अंग्रेजी में इंडिया लिखा गया है। चित्र में दिखती
हुई बाँह में येशु ख्रीस्त जयन्ती २००० लिखा गया है। यही पाठ
इसके नीचे अंग्रजी में दिया गया है। नीचे की ओर बाएँ कोने में
प्रकाशन का वर्ष १९९९ अंकित है।
महत्व: यह डाक टिकट ईसाई इतिहास के दो सहस्राब्दियों और उसके
वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है, जो ईसा मसीह के जीवन से जुड़े
प्रेम, करुणा और मुक्ति के संदेश के प्रति एक श्रद्धांजलि है।
वर्ष २००० एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसे कैथोलिक चर्च में जयंती
वर्ष (या पवित्र वर्ष) के रूप में मान्यता प्राप्त थी और
विभिन्न अन्य ईसाई चर्चों में चिंतन और नवीनीकरण का समय था। कई
देशों और धार्मिक संस्थाओं ने इस अवसर को चिह्नित करने के लिए
विशेष डाक टिकट संग्रह जारी किए और कार्यक्रम आयोजित किए। इस
अवसर पर एक प्रथम दिवस आवरण भी जारी किया गया था। (चित्र नीचे)

इस प्रथम दिवस आवरण पर जॉन का एक संदेश लिखा है- जैसा मैंने
तुम लोगों से प्यार किया वैसे ही तुम एक दूसरे से प्यार करो।
अंग्रेजी में लिखा है - लव वन ऐनअदर ऐज आई हैव लव्ड यू इसके
बाद बाइबल के अध्याय का एक नंबर पड़ा है १५:१२
इसके अतिरिक्त वर्ष २००६ और २०१६
में भी भारतीय डाक विभाग द्वारा डाक-टिकट जारी किये गए थे पर
उनकी कहानी आगामी अंकों में फिर कभी। |