ज़ाम्बिया के डाकटिकटों पर
राधाकृष्ण और त्रिदेव
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पूर्णिमा वर्मन
जाम्बिया
गणराज्य दक्षिणी अफ्रीका में स्थित एक देश है। इसकी सीमा उत्तर
में कांगो लोकतान्त्रिक गणराज्य, उत्तर-पूर्व में जिम्बाब्वे
और बोत्सवाना, दक्षिण में नामीबिया और पश्चिम में अंगोला से
मिलती है। देश की राजधानी लुसाका देश के दक्षिण-मध्य में स्थित
है।
दक्षिण
अफ्रीका में भारतीयों की आबादी के विपरीत, जाम्बिया में बसने
वाले गिरमिटिया मजदूरों का अनुपात काफी छोटा था इसके बजाय
अधिकांश भारतीय कुशल कारीगर या व्यवसायी थे। यहाँ की आबादी में
यूरोपीय लोगों की भी अच्छी संख्या है। उनकी तुलना में भारतीय
हमेशा आबादी का बहुत छोटा हिस्सा थे, लेकिन १९५० के दशक तक
उनकी संख्या में वृद्धि जारी रही। १९६४ में जाम्बिया को
स्वतंत्रता मिलने के बाद, सरकार ने भौतिक और नैतिक समर्थन के
लिए भारत की ओर देखना शुरू कर दिया और तब से भारतीय समुदाय ने
जाम्बिया की अर्थव्यवस्था में एक सार्थक भूमिका निभाई है।
२०१० की
जनगणना के अनुसार जाम्बिया में लगभग ३५,००० भारतीय या भारतीय
मूल के लोग हैं। इनमें से कुछ ने जाम्बिया की राष्ट्रीयता या
ब्रिटिश राष्ट्रीयता अपना ली है। अधिकांश भारतीय या भारतीय मूल
के लोग गुजरात राज्य से हैं। भारतीय मूल के जाम्बियावासी
जाम्बिया की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं,
विशेषकर व्यापार, उद्योग, आतिथ्य और परिवहन क्षेत्रों में।
इसलिये यहाँ भारतीयों का एक छोटा लेकिन समृद्ध समुदाय है। उनकी
संस्कृति और धर्म की यहाँ अच्छी पहचान है। समय समय पर इसी
पहचान को सम्मानित करने के लिये जाम्बिया सरकार ने भारतीय देवी
देवताओं और स्मारकों पर डाक टिकट जारी किये हैं।
वर्ष
१९९८ में जाम्बिया ने म्यूजिक स्कूल आर्ट ऑफ इंडिया शीर्षक से
चार डाकटिकटों का एक सेट जारी किया था जिसमें दो डाक-टिकटों पर
दो मुगल शैली और दो डाक-टिकटों पर मेवाड़ शैली के मिनियेचर
चित्रों को प्रकाशित किया गया था। मेवाड़ शैली के चित्रों में
से एक पर १६वी शताब्दी की मिनियेचर कलाकृति राग मेघ मल्हार को
प्रकाशित किया गया था जिसमें राधा कृष्ण को वर्षा उत्सव मनाते
हुए दिखाया गया है। इस सेट के सभी डाकटिकटों का मूल्य ७००
क्वाचा था।
इसी वर्ष जाम्बिया ने तीन टिकटों का एक मिनी शीट जारी किया था
जिस पर ताजमहल, गेट वे ऑफ इंडिया तथा इमामबाड़ा के चित्रों
वाले डाकटिकट थे। इस शीट पर एलिफेंटा में स्थित त्रिमूर्ति को
प्रकाशित किया गया था। त्रिमूर्ति भारतीय कलाओं में वह आकृति
है जिसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश को एक ही ग्रीवा पर तीन शीर्ष
के रूप में चित्रित किया जाता है। इस आकृति का प्रयोग मंदिरों,
चित्रकला, मूर्तिकला तथा अनेक स्थलों पर पाया जाता है। भारतीय
साहित्य और पुराण में इन तीनों देवताओं की महत्वपूर्ण भूमिका
है। यह माना जाता है कि ब्रह्मा जन्म, विष्णु पालन और शिव
संहार के देवता हैं और सारी सृष्टि इन्हीं के द्वारा संचालित
होती है।
इसी
प्रकार जाम्बिया की एक और मिनियेचर शीट पर १७वीं-१८वीं शती में
निर्मित दकन शैली की एक मिनियेचर कलाकति को अंकित किया गया है
जो राग हिंडोल के विषय में है। इस चित्र में दो सखियों द्वारा
राधा कृष्ण को झूला झूलाते हुए दिखाया गया है। इस मिनियेचर शीट
का मूल्य २५०० क्वाचा है। डाक-टिकट पर
बायीं और देश का नाम जाम्बिया और मूल्य अंकित है। इसके नीचे
महीन अक्षरों में लिखा है- हिंडोल राग,
स्कूल ऑफ दक्कन, १७वीं-१८वीं सेंचुरी। |