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टिकट संग्रह                              





एंटीगुआ और बारबूडा के टिकटों पर
गरुण, इंद्र, वायु और राक्षस
पूर्णिमा वर्मन


 


एंटीगुआ और बारबूडा, उत्तर अमेरिका महाद्वीप में केरिबियन सागर और अन्धमहा सागर के बीच स्थित दो द्वीप हैं। ये दोनो १ नवंबर, १९८१ को राष्ट्रमंडल राष्ट्र के भीतर एक स्वतंत्र राज्य बन गए, जिसमें महारानी एलिजाबेथ एंटीगुआ और बारबूडा की पहली रानी थीं और वेरे कॉर्नवाल बर्ड इसके पहले प्रधान मंत्री थे।

एंटीगुआ और बारबूडा की २०११ की जनगणना के अनुसार इनमें से हिंदू धर्म का पालन करने वाले ०.४% है। यह जनसंख्या मुख्य रूप से भारतीय प्रवासियों से बनी है, जो अकेले कुल जनसंख्या का १.१% से अधिक हैं। अधिकांश हिंदू भारतीय/पूर्वी भारतीय हैं, जो ५% से कुछ कम है।

अगस्त २०१३ में, एंटीगुआ और बारबूडा ने निवेश (सीआईपी) कार्यक्रम द्वारा नागरिकता की शुरुआत की, जो पूर्व-अनुमोदित रियल एस्टेट परियोजना में $४००,००० से अधिक का निवेश करने वाले व्यक्तियों को नागरिकता प्रदान करता है। कार्यक्रम मुख्य रूप से अमीर भारतीयों को नागरिकता के लिये आकर्षित करना था। इस कारण यहाँ बसने वाले अधिकतर भारतीय धनी हैं और अर्थव्यवस्था मे महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। भारतीयों की इस महत्वपूर्ण सहयोग और घनिष्ठ सम्बंधों को रेखांकित करते हुए इस देश ने २०१३ में गरुड़ पर एक लघु पत्रक जारी किया था। इस पर हाथ में कलश धारण किये हुए गरुण का चित्र है।

गरुण के चित्र के नीचे अंग्रेजी में पौराणिक पात्र अंकित है और डाक टिकट पर एंटीगुआ और बारबूडा देश का नाम तथा मूल्य पूर्वी कैरिबियाई डालर ९ अंकित है जो इस देश की मुद्रा है।

इसके बाद एक अन्य लघु पत्रक (मिनियेचर शीट) भी जारी किया जिसमें राक्षस, इंद्र और वायु को चित्रित किया गया था। दूसरे लघु पत्रक में तीन डाकटिकट हैं जिन पर तीन पौराणिक पात्रों के चित्र हैं। ये हैं हिरन पर सवार वायु देव, हाथी पर सवार इंद्र और राक्षस। सभी देवता और राक्षस अपने अपने अस्त्रों से सुसज्जित हैं। तीनों डाकटिकटों का मूल्य है ३.७५ पूर्वी कैरेबियन डॉलर। इन मिनियेचर शीट के नीचे दाहिनी ओर थाईलैंड २०१३ का एक चिह्न दिखाई देता है जो यह प्रदर्शित करता है कि इन टिकटों को २०१३ में थाइलैंड में होने वाली डाकटिकटों की प्रदर्शनी में प्रदर्शित किया गया था और उस अवसर के लिये विशेष रूप से प्रकाशित किया गया था। यहाँ यह जानना भी रोचक है कि इसके अतिरिक्त भारत के साथ इस देश के व्यापार और शिक्षा से जुड़े महत्वपूर्ण सम्बंध हैं।

२०१५- १६ में एंटीगुआ और बारबूडा और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार कुल २.५७ मिलियन अमेरिकी डॉलर था। भारत ने एंटीगुआ और बारबूडा को २.५६ मिलियन डॉलर का माल निर्यात किया और १०,००० डॉलर का आयात किया। एंटीगुआ और बारबूडा को भारत द्वारा निर्यात की जाने वाली मुख्य वस्तुएं गैर-रेलवे वाहन, लोहा और इस्पात, फार्मास्यूटिकल्स और परिधान और कपड़े हैं। एंटीगुआ और बारबूडा से भारत द्वारा आयात की जाने वाली प्रमुख वस्तुएं फल, मेवे और एल्यूमीनियम हैं।

मणिपाल शिक्षा समूह इस देश में शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक निवेश और विकास करने वाली संस्था बन गया हैं। भारत ने २००८ में आईटी पार्क के लिए व्यवहार्यता अध्ययन और २००९ में सीवेज उपचार केंद्र के लिए व्यवहार्यता अध्ययन करने के लिए एंटीगुआ और बारबूडा की सहायता की इसके अतिरिक्त २० मार्च २०१७ को सौर पैनल स्थापित करने के लिए $४००,००० प्रदान किए। एंटीगुआ और बारबूडा के नागरिकों को भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रवृत्ति भी दी जाती है।

१ जून २०२३

 
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