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टिकट संग्रह                              



चेक गणराज्य के टिकटों पर
शिव और राम
पूर्णिमा वर्मन


चेक गणराज्य के टिकट पर शिव परिवार


चेक गणराज्य ने २१ फरवरी, २००७ को आर्ट ऑफ इंडिया पर एक डाक टिकट जारी किया जिसमें शिव, पार्वती और गणेश को चित्रित किया गया था। चेक गणराज्य दुनिया के कुछ देशों में से एक है जिसने हिंदू देवताओं को अपने टिकट पर जारी किया। २४ करुना या क्राउन मूल्य वाले इस डाक टिकट पर १९वीं सदी की एक भारतीय कलाकृति को प्रदर्शित किया गया है जिसमें हिंदू देवताओं- शिव, पार्वती और गणेश चित्रित किये गए है। करुना चेक गणराज्य की मुद्रा है जिसे क्राउन भी कहते हैं। इसके ऊपर काले रंग में गणेश की मुखाकृति की सील भी लगाई गयी है। यह कलाकृति चेक गणराज्य की राजधानी प्राहा या प्राग के राष्ट्रीय नाप्रोस्तकोवो संग्रहालय में रखी हुई है। यह संग्रहालय एशियाई, अफ्रीकी और अमेरिकी मूल की कलाकृतियों का घर है

चेक गणराज्य के टिकट पर राम, सीता और हनुमान१८ मार्च २००९ को चेक गणराज्य द्वारा एक और टिकट जारी किया गया जिसमें राम सीता और हनुमान की आकृति है। रामायण पर आधारित यह चित्र इंडोनेशिया में २०वीं सदी के २०वें दशक में बनाया गया था। इसका मूल्य भी २० क्राउन है और यह चित्र भी प्राहा के राष्ट्रीय नापरस्तकोवो संग्रहालय में संग्रहीत है।

इस प्रसिद्ध संग्रहालय का एक रोचक इतिहास है। १८७४ में चेक राष्ट्रीय पुनरुत्थानवादी राजनेता वोजटेक नैप्रस्टेक द्वारा स्थापित यह संग्रहालय अपनी मूल अवस्था एक व्यक्तिगत संग्रहालय था, जो चेक औद्योगिक संग्रहालय के रूप में जाना जाता है। इसे नैप्रस्टैक महोदय ने अपनी पुश्तैनी शराब की भट्ठी में स्थापित किया था। उनकी मृत्यु के बाद संग्रहालय नृवंशविज्ञान संग्रहालय बन गया, और द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से यह गैर-यूरोपीय संस्कृतियों पर केंद्रित रहा है। १९वीं शताब्दी में यह संग्रहालय चेक बुद्धिजीवियों के सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्रों में से एक था। इसका अधिकांश संग्रह नैप्रस्टेक और उनके मित्रों द्वारा किया गया है जो चेक प्रवासी, यात्री और नृवंशविज्ञानी थे। संग्रहालय के बड़े संग्रह का केवल एक हिस्सा ही जनता के लिए उपलब्ध है।

इन दोनो डाकटिकटों के साथ इनके प्रथम दिवस आवरण भी जारी किये गए हैं। शिव परिवार वाले डाक टिकट के साथ प्रकाशित प्रथम दिवस आवरण पर शिव जी का तपस्वी रूप दिखाया गया है, जबकि पार्श्व मे गणेश और पार्वती दिखाई दे रहे हैं। राम सीता और हनुमाव वाले चित्र के साथ प्रकाशित सील पर राम के रेखाचित्र वाली मोहर है और प्रथम दिवस आवरण पर इंडोनेशियन मूर्तिकला का चित्र अंकित है। दोने प्रथम दिवस आवरणों के चित्र क्रमशः नीचे हैं-

प्रथम दिवस आवरण
प्रथम दिवस आवरण

१ मई २०२३

 
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