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घर-परिवार बचपन की आहट


शिशु का ३६वाँ सप्ताह
इला गौतम


चलने को तैयार

बहुत जल्द वह समय आनेवाला है जब शिशु अपने पैरों पर खड़ा होकर चल रहा होगा। फिलहाल वह संभवतया घुटनों के बल चलकर सीढ़ी चढ़ सकता है और इधर-उधर घूम सकता है। वह फर्नीचर पकड़ कर उसके सहारे सीधा खड़ा होकर भी चल सकता है। इस उम्र का बच्चा हो सकता है कि एक दो कदम चल भी दे। (कुछ बच्चे तो इस समय चल भी देते हैं - और कुछ ऐसे भी हैं जो दो साल तक भी नही चल पाते। उम्र की बहुत विस्तृत श्रेणी है जिसमें बच्चे यह मील का पत्थर पार कर पाते हैं।)

शिशु अभी अपने घुटने मोड़ना भी सीख रहा है और यह भी कि खड़े होने के बाद कैसे बैठते हैं। इसमें महारथ प्राप्त करना आपकी सोच से कहीं अधिक कठिन है। हो सकता है कि शिशु अपने पालने में खड़ा होकर अटक जाए। अगर ऐसा होता है तो उसे कोमलता से बताएँ कि वह कैसे बैठ सकता है।

शिशु को चलने कि कोशिश करने में मदद करने के बहुत से तरीके हैं। शिशु के सामने अपने पैरों पर या घुटने के बल खड़े हो जाएँ और शिशु को अपनी ओर चलकर आने में मदद करें उसके दोनो हाथ पकड़कर। बाद में सिर्फ़ शिशु को प्रोत्साहित करने के लिए अपने दोनो हाथ बढ़ाएँ। कई बच्चों को वह खिलौने पसंद आते हैं जिन्हे पकड़कर वह चल सकें। यह खिलौने शिशु को सहारा और गतिशीलता दोनो प्रदान करते हैं। जब भी ऐसा खिलौना खरीदें तो ध्यान रखें कि उसका तला चौड़ा हो।

अपने घर को शिशु सुरक्षित बनाना अब बहुत ही आवश्यक हो गया है। शुरूआत के लिए सबसे अच्छी जगह है रसोई जहाँ सभी बच्चे खिंचे चले आते हैं। समय आ गया है कि सफ़ाई करने का सारा समान और ज़हरीले केमिकल ऊँची अलमारियों में रख दिये जाएँ। इस समय आपके शिशु के पालने का गद्दा सबसे नीची वाली सैटिंग पर होना चाहिए।

इस उम्र में शिशु को सब वस्तुएँ उंगली से दबा-दबाकर देखने में बहुत मज़ा आता है खासतौर पर उंगली छेदों में घुसाना। इसलिए यही सही समय है अपने घर के बिजली के सौकेटों पर कवर लगाकर बंद करने का।

जूते ? अभी नहीं

एक बार जब शिशु चलने लगेगा तब हो सकता है कि आप सोच में पड़ जाएँ कि उसके लिए अभी जूते पहनना ज़रूरी है या नही। जब तक आपका शिशु रोज़ बाहर नही चल रहा है तब तक सभी बच्चों के चिकित्सक और विकास विशेषज्ञ शिशु को जूते पहनाना ज़रूरी नहीं समझते। शिशु के लिए कमान की आकार की टाँगें करके चलना या बाहर कि और टाँगें मोड़कर चलना एक सामान्य बात है। इस वक्त उसके तलवे भी चपटे लगेंगे। नंगे पैर चलने से शिशु के मुड़े हुए पैर और शक्तिशाली बनेंगे और उसके पैर की मासपेशियों में ताकत आएगी। यदि शिशु जिस सतह पर चल रहा है उसे अपने नंगे पैरों से महसूस कर पाएगा तो यह उसको अपना शरीर संतुलित करने में भी मदद करेगा।

खेल खेल खेल

  • ऊँची कुर्सी पर कलाकृति - आप देखेंगे कि आजकल खाना खाने के समय शिशु बहुत गंदगी फैलाने लगा है। उसको खाना खाना नहीं होता बल्कि उसके साथ खेलना होता है। अरे भई अपनी उँगलियों से वह क्या-क्या कर सकता है यह देखने का इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता है कि खाना फैलाकर देखा जाए! परेशान होने के बजाए सोचें कि कैसे आप खाने से शिशु के लिए एक मज़ेदार कला कक्षा बना सकते हैं। इस खेल के लिए हमें चाहिए पकी हुई थोड़ी अलग-अलग रंगों की लिसलिसी सब्ज़ियाँ जैसे गाजर, मटर, आलू आदि और बच्चों की खाना खाने वाली ऊँची कुर्सी जिसकी ट्रे के किनारे ऊँचे हों। पकी हुई सब्ज़ी के अलग-अलग रंगों से शिशु को उसकी ऊँची कुर्सी पर रचनात्मक होने दें। हो सकता है कि यह थोड़ा गंदा लगे लेकिन झिझकें नही। जैसे-जैसे शिशु अपने हाथों से रंग मिला रहा होगा या सब्ज़ी वाले रंगों में गोल-गोल हाथ चला रहा होगा तब उसको बताएँ कि यह कौन सा रंग है और इनको मिलाकर कैसे माध्यमिक रंग बनते हैं। (इस उम्र में शिशु से यह अपेक्षा बिल्कुल ना रखें कि वह रंगों के नाम याद रखेगा और दोहराएगा)। इस खेल से शिशु रंगों से परिचित होता है और उसका हाथ और आँख का समन्वय भी विकसित होता है।

याद रखें, हर बच्चा अलग होता है

सभी बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र की सहायता लेनी चाहिए।

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