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						नवजात 
						शिशु का चौथा सप्ताह 
						
                      
                      — 
						इला 
						गौतम 
                       
                      
						स्वर की 
						पहचान 
						
						चार सप्ताह का शिशु कुछ 
						आवाजें निकालने लगता है। भले ही इन आवाजों का कोई अर्थ 
						नहीं लेकिन जब वह ऐसी आवाज निकाले तो उसी आवाज को दोहरा कर 
						प्रत्युत्तर देना शिशु को सुनने और बोलने के लिये 
						प्रोत्साहित करता है। यदि माँ अपना चेहरा शिशु के पास लाए 
						तो वह कुछ देर तक अपनी दृष्टि भी माँ के चेहर पर स्थिर कर 
						पाता है। 
						
						व्यायाम के 
						पल- 
						 
						शिशु जब जग रहा हो तो 
						उसे पेट के बल ज़रूर लिटाएँ। बच्चे को पीठ के बल सुलाना 
						चाहिए लेकिन रोज़ उन्हें कुछ समय पेट के बल लेट कर भी 
						बिताना चाहिए। इससे उनकी गले की मासपेशियाँ मज़बूत होती 
						हैं जो उन्हे उठने में, पलटने में, बैठने में, और घुटने के 
						बल चलने में मदद करती हैं। पेट के बल समय बिताने से बच्चे 
						के सिर का पिछला हिस्सा चपटा भी नही होगा जो कि पीठ के बल 
						अधिक समय तक लेटने से हो जाता है। 
						 
						इस हफ़्ते के अन्त तक शिशु पेट के बल लेटते समय अपना सिर 
						हल्के से उठा सकेगा और उसे सम्भवतः एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ 
						घुमा पाएगा। माँ अपना चेहरा बच्चे के चेहरे के करीब रख 
						सकती है ताकि बच्चा माँ का चेहरा देखने के लिये अपना सिर 
						उठाने को प्रोत्साहित हो। जब बच्चा पेट के बल लेटा हो तो 
						एक मोटा कपड़ा या बच्चे का कंबल रोल कर के उसके सीने के 
						नीचे रख दें इससे उसे ऊपर उठने में मदद मिलेगी। बहुत जल्द 
						उसका तंत्रिका तंत्र और मासपेशियों पर नियंत्रण परिपक्व हो 
						जाएगा और उसके झटकेदार अंग संचालन सामान्य हो जाएँगे। 
						 
						अपने चैन की खोज में- 
						 
						शिशुओं को चूसना बहुत 
						अच्छा लगता है और ये उनकी ज़रूरत भी होती है इसलिए उन्हे 
						चूसने से रोकना नही चाहिए। 
						 चुसनी 
						शिशु को शांत रखने में जादू की तरह काम करते हैं। 
						 
						अमरीकी बालचिकित्सा अकादमी शिशु को सोते समय चुसनी इसतेमाल 
						करने की सलाह देती है उनकी विचार है कि यह शिशु की आकस्मिक 
						मृत्यु से रक्षा करती है। चुसनी के स्थान पर शिशु अपनी 
						अँगुली भी चूस सकता है। 
						 
						स्नान सुरक्षा 
						 
						शिशु को नहलाते समय 
						कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है- 
						
							- 
							
शिशु 
							को एक मिनट के लिए भी किसी की निगरानी के बिना ना 
							छोङें। यदि कभी फ़ोन बजे या दरवाजे़ की घंटी बजे और 
							उसको उत्तर देना ज़रूरी हो तो बच्चे को तौलिए मे लपेट 
							कर अपने साथ ही ले जाएँ।  
							- 
							
जब 
							टब में पानी भर रहा हो तो कभी भी शिशु को चलते पानी 
							में ना डालें। पानी का तापमान बदल सकता है या पानी की 
							गहराई बढ़ सकती है।  
							- 
							
शिशु 
							को एक पल भी निगरानी के बिना ना छोड़ें। यह बात अत्यंत 
							आवश्यक है इसलिए इसे दुबारा बताया जा रहा है। याद रखें 
							- एक बच्चा एक इन्च से भी कम पानी में डूब सकता है और 
							६० सेकंड से भी कम समय में !  
						 
						
						मुक्ति का समय 
						 
						यदि माता पिता में से कोई भी धूम्रपान करता है तो यह इस 
						आदत को छोड़ने का सही समय है। दूसरों के धूम्रपान के कारण 
						शिशु तक पहुँचता हुआ धुआँ शिशु के लिए अत्यंत खतरनाक हो 
						सकता है। इससे उसके फेफड़े कमजोर हो सकते हैं, यह बच्चों 
						को कान में संक्रमण होने का खतरा बढा देता है, इससे 
						खर्राटे लेने और नींद से संबंधित बीमारियों का खतरा बढ़ 
						जाता है जो आगे चलकर स्वास्थ्य, व्यवहार और सीखने की 
						क्षमता पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। यदि शिशु के कमरे में 
						होने के समय धूम्रपान न भी किया जाए तो भी हानिकारक रसायन 
						मिनटों में घर भर में फैल जाते हैं। 
						
  
						 याद रखें, हर बच्चा अलग होता है 
						 सभी 
						बच्चे अलग होते हैं और अपनी गति से बढते हैं। विकास के 
						दिशा निर्देश केवल यह बताते हैं कि शिशु में क्या सिद्ध 
						करने की संभावना है - यदि अभी नही तो बहुत जल्द। ध्यान 
						रखें कि समय से पहले पैदा हुए बच्चे सभी र्कियाएँ करने में 
						ज़्यादा वक्त लेते हैं। यदि माँ को बच्चे के स्वास्थ 
						सम्बन्धित कोई भी प्रश्न हो तो उसे अपने स्वास्थ्य केंद्र 
						की सहायता लेनी चाहिए।  |