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दो पल

ठंडे से गरम, गरम से ठंडा
-अश्विन गांधी

दरवाजे की घंटी बजी। दोपहर के दो बजे थे। हवा के आवागमन के लिये अंदर का लकड़ी का दरवाजा खुला था, जाली का दरवाजा बंद। वैसे तो कोई दोपहर को दरवाजा खटखटाये या फोन की घंटी बजे तो अच्छा नहीं लगता। दोपहर की दो घंटे की नींद में खलल हो जाता है मगर आज कोई और बात थी। घर के रेफ्रिजरेटर को दुरूस्त करने के लिये किसी के आने की प्रतीक्षा थी। इस गरमी के मौसम में कुछ दिनों से ठंडा पानी मिलना बंद हो गया था।
"आप कौन?" मैंने पूछा। दरवाजे पर एक आदमी एक हाथ में काली, गोल, भारी सी चीज़ और दूसरे हाथ में औजार का बैग लिये खड़ा था।
"मैं राकेश हूँ। व्हर्लपूल कंपनी से आया हूँ, आपका रेफ्रिजरेटर रिपेयर करने के लिये।"
"आइये, आइये . . . . आप का ही इंतजार था, " मैंने खुशी से दरवाजा खोल दिया।
राकेशजी अंदर आए, और बोले, "आपको मालूम है ना कि कितने पैसे लगेंगे?"
"हाँ, कल मिस्टर राजीव से बात हुई थी। कम्प्रेसर बदलने का तो कोई खर्च नहीं होगा, सात साल की गारंटी जो है। सर्विस चार्ज, ट्रान्स्पोर्ट चार्ज और कोई दो पार्ट् के चार्ज, सब मिला कर कुछ सात सौ रूपये की बात कर रहे थे। कुछ बात आगे बढ़ी तब राजीवजी सात सौ रूपये में एक साल का सर्विस कॉन्ट्रेक्ट भी शामिल करने को राजी हो गये थे। कॉन्टे्रक्ट साथ लाये हो ना?"
"नहीं, कॉन्ट्रेक्ट मेरे साथ नहीं है। उसका पाँच सौ पचीस रूपये अलग से लगेंगे।" राकेश जी ने फरमाया।
"अरे! ये क्या चक्कर है? तुम्हें कुछ नहीं मालूम? ठीक है, काम शुरू करो, मैं राजीव को फोन करता हूँ," ऐसा लगा कि ये सौदा इतना सरल नहीं।
पिछले साल जब मैं बम्बई आया तब बाजी को साथ लेकर ये नया रेफ्रिजरेटर खरीदा था। नये रेफ्रिजरेटर के साथ एक साल की गारंटी थी। बाजी ने अपने पचहत्तर साल के जीवन में पैसे बहुत सोच समझ के खर्च किये हैं। बाजी की सोच में इतने ज्यादा पैसे खर्च करने के बाद, और पाँच सौ पच्चीस रूपये खर्च करने की जगह नहीं थी। उन्होंने सर्विस कॉन्ट्रेक्ट का एक्स्टेन्शन लेने से साफ इन्कार कर दिया था।

और अब आई ये नये सात सौ रूपये खर्च करने की बात! अगले सात दिनों से रेफ्रिजरेटर ने ठंडा करने का काम बंद कर दिया था, और बाजी के दिमाग में गरमी ही गरमी रही!!
"मिस्टर राजीव, मैं अश्विन. . . कांदिवली से. . . व्हर्लपुल रेफ्रजिरेटर. . . कम्पे्रेसर. . . मेरे भांजे नीरज ने कल आप से बात की थी. . . ," दस मिनट के बाद राजीव जी फोन पर आये थे, और मैं उनकी याददाश्त मजबूत करने की कोशिश में लग गया।
मेरा भांजा, नीरज, बड़ा ही होशियार, मुम्बई में बिजनेस कर चुका हैं, और मेनेजमेन्ट पढ़ा–लिखा भी है। बाजू .में रहता है और कभी न कभी बाजी की मदद कर देता है। जब बाजी अपने रेफ्रिजरेटर की व्यथा–कथा सुन रही थी, नीरज भी हाजिर था। वैसे नीरज को आज कल ज्यादा समय नहीं मिलता मगर इस बात में सुकान अपने हाथ में ले लिया। मुम्बई में जैसे हर तरह के लोग, हर तरह की भाषा इस्तमाल होती है, हिन्दी, मराठी, अंग्रेजी, गुजराती। बिजनेस में जब कोई सोच जोर से व्यक्त करनी हो तो अंग्रेजी बोल का जादू चलाया जाता है। नीरज ने फटाफट फोन लगाने शुरू किये। जनरल मैनेजर मिस्टर सुरेश का फोन नंबर पा लिया। मिस्टर सुरेश नहीं मिले, कोई बात नहीं, उसके नीचे के मिस्टर राजीव को पकड़ा। फटाफट अंग्रेजी बोलना शुरू किया। कथा का वर्णन दे दिया, और सौदा भी पक्का कर लिया।
हाँ, . . . . तो कोई तकलीफ है क्या?" राजीव ने फरमाया।
"हाँ तकलीफ तो दिखाई दे रही है। ये राकेश कम्प्रेसर के साथ आया है, रेफ्रिजरेटर रिपेयर करने। बोलता है सात सौ रूपये रिपेयर के और सर्विस कॉन्ट्रेक्ट चाहिए तो पाँच सौ और लगेंगे। ऐसी तो हमारी बात नहीं हुई थी कल!" मैं सोचने लगा, ये राजीव, ये राकेश . . . उन लोगों ने आपस में क्या बातें की होगी, शायद कुछ भी बात ना हुई हो!
"ठीक है, राकेश को फोन दो, मैं उससे बात करता हूँ।"
राकेश ने काम शुरू कर दिया था। एक मिनट के बाद फोन लेने आया। राजीव और रमेश ने कुछ विचार विमर्श कर लिया, कोई पाँच मिनट लगे होंगे।
"राजीव जी बोलते हैं कि हम सर्विस चार्ज और ट्रान्स्पोर्ट चार्ज नहीं लेंगे। सिर्फ दो पाटर्स के ढाई सौ रूपया और सर्विस कॉन्ट्रेक्ट के पाँच सौ पचीस।
"ये तो कुल मिला कर सात सौ पचहत्तर हो गये, पचहत्तर ज्यादा! ठीक है, कोई बात नहीं, आज ये रेफ्रिजरेटर ठीक से चालू हो जाना चाहिये, "बहुत दिन हो गए, ठंडा पानी पिये हुए।"
राकेश ने अपना काम फिर से शुरू कर दिया। टॉर्च जलायी और टॉर्च की गरमी पुराने कम्प्रेसर के बंधनों को पिघलाने लगी। राकेश अपने काम में व्यस्त था, मैं खड़े खड़े देख रहा था, और सोचने लगा कि कुछ बातचीत साथ में होती रहे तो अच्छा रहेगा।
"राकेश, ये कौन सा गैस यहाँ इस्तमाल होता है? कोई रंग, कोई बास? अगर ये गैस लीक हो रहा है तो हमें कैसे पता चलेगा? शायद ये गैस स्वास्थ्य को नुकसान भी करे . . . "
राकेश ने नज़र मिलाई, और मुस्कराकर बताया, "गैस का नाम तो मुझे मालूम नहीं, हम लोग इस गैस को वन–टू–थ्री बोलते हैं! नहीं, कोई नुकसान तो नहीं होना चाहिए, अगर गैस कम हो रही तो काम्प्रेसर से आयल बाहर आने लगेगा।"
काम आगे बढ़ रहा था। करीब एक घण्टा हो गया। वो ही टॉर्च, वो ही ज्वाला, पुराने कम्प्रेसर के पुराने बंधन पिघल गये थे, नये कम्प्रेसर के नये बंधन बँध रहे थे।
इस दरम्यान बाजी उठ गई थी और आ गई थी मैदान में। कारवाही हो रही थी किचन में, और वो बैठ गई थी डट के सामने....
"ये कैसा मशीन है तुम्हारा? अभी अभी नया नया एक साल पहले लिया। बराबर एक साल पूरा होने के बाद ही बिगड़ जाता है? और अब हमें मरम्मत करने के लिये पैसे देने पड़ेंगे?" बाजी ने राकेश को निशाना बनाया, और सुना दी अपनी, कुछ हिन्दी में, कुछ गुजराती में। राकेश के पास बाजी के लिये कोई अच्छा जवाब नहीं था!
"गुजराती समझते हो राकेश?" बात कुछ हल्की बनाने की कोशिश की मैंने।
"थोड़ा बहुत समझता हूँ, बोल नहीं सकता। वैसे तो मैं गुजराती हूँ, अहमदाबाद से!"
"ये कैसे हो सकता है? घर में कोई गुजराती नहीं बोलता क्या? घर में कोई है या अकेले हो?"
"मैंने महाराष्ट्रीयन लड़की से लवमैरेज की है, " राकेश ने कुछ शरमा के जवाब दिया।
"क्या बात है! एक गुज्जू की मूछों पे महाराष्ट्रीयन लड़की फिदा हो गई!" मेरी बातों से राकेश जी खुशखुशाल नजर आ रहे थे।
"देखो राकेश, ये जो पार्ट बदलोगे, पुराने यहाँ छोड़ कर जाना। मालूम नहीं हम क्या करेंगे, कुछ दिन देखते रहेंगे!"
"पुराना कम्प्रेसर तो कंपनी को वापस भेजना पड़ेगा दूसरे पार्ट बदलने की जरूरत नहीं, सब ठीक है।"
क्या मैं ठीक सुन रहा था? खुशी की लहर छाने लगी।
"सचमुच? तो फिर बाजी के ढ़ाई सौ रूपये बच गये?"
"हाँ, कोई पैसे देने नहीं होंगे!" राकेश ने जाहिर किया, और बाजी का दिन बढ़िया बनने जा रहा था। रेफ्रिजरेटर ने ठीक से अपना काम करना शुरू कर दिया था।
"बहुत अच्छी बात है। और वो पाँच सौ पचास वाला सर्विस कॉन्ट्रेक्ट का क्या करेंगे हम?"
"अगर आप चाहें तो में अनिल को सर्विस कॉन्ट्रेक्ट के साथ भेज सकता हूँ।"
"ठीक है, कल की बात कल पर। अभी चाय का समय हो रहा है, चाय पी कर जाना" बाजी ने राकेश को फरमान किया।
"नहीं, अभी मुझे देर हो रही है। कहीं और कम्प्रेसर से गैस लीक हो रही है!"
"चाय तो पीनी चाहिये। ठीक है, ये ले के जाओ, शायद उसमें से एक चाय हो जायेगी।" मैंने एक दस रूपये का नोट निकाल के राकेश को दिया।
"ओह्, मैं तो भूल ही गया! ये भी ले लो, वो महाराष्ट्रीयन लड़की की चाय के लिये . . . " मैंने और एक दस का नोट दे दिया।
"और सुनो, वो चाय पी मत लेना, जब तक हमारा सर्विस कॉन्ट्रेक्ट साइन ना हो जाये। क्या मालूम ये रेफ्रिजरेटर फिर कब बिगड़ जाये!!"

 

१५ जुलाई २००१

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