कलम गही नहिं हाथ
जगमग मर्सिडीज-
दुबई
में मर्सिडीज बेंज कार कोई मुड़ मुड़कर देखने की चीज नहीं। ढेरों हैं
और लोगों में उनके प्रति कोई विशेष उत्सुकता नहीं प्रतीत होती। लेकिन
ये मर्सिडीज? अगर एक बार आपकी नजर पड़ गयी तो देखते रह जाएँगे, आँखें
ठहर जाएँगी, आप मुड़ना भूल जाएँगे। इसकी चमक आपको स्तब्ध कर देगी। क्या
आप जानना चाहेंगे कि यह कार किसकी है और इसकी खासियत क्या है? स्पष्ट
है कि जिसके पास भी यह कार है वह सबसे अमीर जीवित बंदों में से एक है।
तो आप समझ सकते हैं कि सऊदी राजकुमार अल-वलीद बिन तलाल बिन अब्दुल-अजीज
हीरे से सजी इस कार के मालिक हैं और वे फोर्ब्स के अनुसार दुनिया के
शीर्ष दस सबसे अमीर लोगों में से एक हैं। हीरे से जड़ित इस मर्सिडीज की
कीमत उनके लिये विशेष रूप से मात्र ४८ लाख डॉलर रखी गयी थी और इसमें
३,०००,००० से अधिक हीरे हैं। इन ३,०००,००० हीरों के साथ चमकदार कवर पाने
के लिए, विश्व के १३ विशेषज्ञों ने कार पर दो सप्ताह तक काम किया। कहना
न होगा कि हीरे जड़ित कारें दुनिया की सबसे हॉट और महँगी मर्सिडीज में
से एक हैं।
क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे महंगी कार कैसी दिखती है? आप
में से कुछ शक्तिशाली इंजन, आश्चर्यजनक गति और भव्य डिजाइन वाली सुपर
कार के बारे में सोच सकते हैं। आप सही हैं लेकिन कार को सबसे महंगी कार
बनाना काफी नहीं है। रहस्य सरल है और वह यह कि हीरों के पार भी इसमें
महँगा बनाने वाला बहुत कुछ है। मिंक-सुसज्जित मर्सिडीज SL ६०० नामक इस
कार को सबसे पहले मर्सिडीज-बेंज SL ५५० की ५०वीं वर्षगांठ मनाने के लिए
दुबई ऑटो शो में प्रदर्शित किया गया था। हीरे जड़ी मर्सिडीज के २
संस्करण हैं, एक मूल चाँदी के रंग का है और एक सोने के रंग का। इसे
रुपहला और सुनहरा कह सकते हैं। मर्सिडीज-बेंज SL ६०० २००७ के अंदर भव्य
और शानदार सजावट है। यह अपनी खूबसूरत स्टाइल, अत्याधुनिक तकनीक और
प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण कई लोगों के लिये एक ड्रीम कार है। यह न
केवल मोहक है बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी अति स्मार्ट है। मर्सिडीज-बेंज
SL६०० २००७ शक्तिशाली V८ और V१२ इंजन से लैस है जो मर्सिडीज को ४.४
सेकंड में ० से ६० मील प्रति घंटे की गति दे सकता है।
एक ऐसी कार जिस पर बस एक टचअप करने पर १००० अमेरिकी डालर चुकाने होंगे।
यह तो निश्चित ही है कि सड़क पर हीरे जड़ित इस कार से अधिक भव्य कोई
कार नहीं हो सकती है। इसे ड्राइव करने से ज्यादा शान की कोई बात नहीं।
लेकिन एक बात पर गौर करना जरूरी है- क्या आपके पास इसे सड़क पर चलाने
के लिए पर्याप्त साहस है? जबकि बस एक छोटी सी खरोंच में हजारों डॉलर
खर्च होंगे।
हीरों वाली कारों का इतिहास २०१७ वीं सदी से शुरू होता है जब हीरों को
चूरे से पेंट की गयी राल्स रायस कार को जिनेवा मोटर शो में प्रदर्शित
किया गया था। रोल्स-रॉयस की बॉडी को शोभा देने के लिए पेंट में १०००
हीरों के चूरे को मिलाया गया था। यह बहुत ही महँगी लंबी और जटिल
प्रक्रिया थी। कार निर्माता के बेस्पोक डिवीजन की एक विशेषज्ञ टीम ने
हीरे के विशेषज्ञ जीन बोउले लक्ज़री ग्रुप के साथ मिलकर यह काम किया,
जिन्होंने विशेष रूप से नामीबिया से प्राकृतिक रत्न-गुणवत्ता वाले हीरे
प्राप्त किए, प्रकाश के संचरण और प्रतिबिंब का मूल्यांकन करने के लिए
प्रत्येक कीमती पत्थर के आयामों की सावधानीपूर्वक जाँच की। इसके बाद
उन्होंने एक बहुत महीन हीरे का पाउडर बनाया, जिसे रोल्स-रॉयस के
तकनीशियनों ने एक चिकनी सतह और सूक्ष्म झिलमिलाहट के लिए पेंट के साथ
लगाया। अंत में, रोल्स-रॉयस के मास्टर पेंटर ने गिलहरी के बालों वाले
पेंट ब्रश से इसे कार पर पेंट किया। और नतीजा वाकई जादुई था। इसकी चमक
ने लोगों के मन मोह लिया।
अगर आप सोचते हैं कि हीरे जड़ी कारों का भारत जैसे देश से कुछ लेना
देना नहीं तो आप बहुत बड़ी गल्ती कर रहे हैं। २०१९ में भारत हीरक
सर्राफे (भारत डायमंड बोर्स) ने १४ से १६ अक्टूबर तक भारत डायमंड वीक
की घोषणा की थी। मुंबई में चल रहे इस उत्सव में भाग लेने वाले एक
भाग्यशाली ग्राहक को हीरों से जड़ित मर्सिडीज बेंज एस क्लास जीतने का
मौका दिया गया था। सोमवार १४ अक्टूबर को प्रदर्शनी में पेश की गई
लग्जरी सेडान में ३.५ लाख स्वारोवस्की क्यूबिक जिरकोनिया हीरे लगे थे
और इसकी कीमत ५ करोड़ रुपये थी। लक्ष्मी डायमंड्स के प्रबंध निदेशक
अशोक गजेरा के अनुसार, कार किसी भी ऐसे ग्राहक को उपहार में दी जानी
थी जो ५० करोड़ रुपये का सामान खरीदता। ऐसा कोई ग्राहक न मिलने पर, यह
प्रदर्शनी के बाद नीलामी के लिए रख दी जानी थी।
इस मर्सिडीज एस क्लास
कार में ३.५ लाख क्यूबिक जरकोन हीरे लगाए गए थे। यह रिकॉर्ड लिम्का बुक
वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया। इससे पहले दुबई में एक लग्जरी
मर्सिडीज कार में २.५ लाख हीरे जड़ने का कीर्तिमान बनाया गया था और
२०१९ में भारत डायमंड वीक में लक्ष्मी डायमंड ने
इस कीर्तिमान को तोड़ दिया था।
हर तरह के कीर्तिमाम बनते हैं और टूटते हैं और फिर से बनते हैं।
खुशी की बात यह है कि भारतीय किसी से कम नहीं।
पूर्णिमा
वर्मन
१ जून २०२३
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