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          कलम गही नहिं हाथ   
          
           
 
 हिम कमल
 
          चीन के थ्येनशान पर्वत माला में समुद्र तल 
          से तीन हजार मीटर ऊँची सीधी खड़ी चट्टानों पर उगता है हिम कमल। रामबाण की 
          शक्ति रखने वाला हिमकमल स्थानीय प्राकृतिक वनस्पति तो है ही इसका फूल एक 
          प्रकार की दुर्लभ और मूल्यवान जड़ी बूटी है, जिस का पारंपरिक चीनी औषधि 
          में प्रयोग किया जाता है। ठीक से संरक्षण न होने के कारण इसके विकास में 
          तेजी से गिरावट आई। ह चिंग काऊंटी में पहले जंगली हिम कमल का क्षेत्रफल 
          कोई सत्तर हजाह हैक्टर था, लेकिन अंधाधुंध तोड़ने था खोदने से जंगली हिम 
          कमल का जीवन संकट में आ गया। 
 जंगली हिम कमल की ऐसी हालत देख श्री यो फङ ने हिम कमल के संरक्षण का 
          बीड़ा उठाया। वर्ष २००४ से उन्होंने कमल प्रदेश के आसपास बसी जनता की 
          चेतना जगाने के लिए प्रयत्न शुरू किए, जिसके फलस्वरूप हिम कमल को चोरी से 
          खोदने वाले पहाड़ी किसान और चरवाहे भी इसके संरक्षक बन गए। इस के बाद 
          उन्होंने हर संभव अवसर पर हिम कमल संरक्षण के बारे में प्रचार प्रसार 
          शुरू किया, यहाँ तक हवाई यात्रा के दौरान भी वे विमान में हिम कमल के 
          संरक्षण के महत्त्व का प्रचार करते रहे। उन्होंने आवासीय बस्ती की 
          दीवारों पर भी हिम कमल रक्षा संबंधी पोस्टर लगाए।
 
          श्री योफङ ने अपने पैसे पर एक हिम कमल 
          वैज्ञानिक सर्वेक्षण दल भी गठित किया, यह दल देश के विभिन्न स्थानों में 
          हिमकमल के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण व प्रचार अभियान का काम 
          करता था। उनके द्वारा सिन्चांग में स्थापित हिम कमल मंच भी हिम कमल 
          संरक्षण के लिए प्रचार प्रसार का प्रभावशाली स्थल बन गया। इसके अतिरिक्त 
          श्री योफङ ने अपने समर्थकों के साथ हिम कमल का वैज्ञानिक शिक्षा केन्द्र 
          और हिम कमल संरक्षण कोष स्थापित करने की योजना बनाई, जिससे मूल्यवान हिम 
          कमल के वैज्ञानिक प्रयोग व संरक्षण की गारंटी निश्चित हो गई। हिम कमल कोष 
          की स्थापना से हिम कमल संरक्षण को स्थानीय किसानों व चरवाहों के समृद्धि 
          पाने के साथ जोड़ने का रास्ता खोला गया और हिम कमल की खेती के विकास से 
          स्थानीय किसानों को अमीर बनाने का कार्य प्रारंभ हो गया। सरकारी मदद और 
          अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से श्री यो फङ का सपना साकार हुआ और हिम कमल 
          संरक्षण का महत्त्व सभी की समझ में आने लगा। आज श्री यो फङ कहते हैं कि 
          अपने इस लक्ष्य के साकार होने पर मुझे असीम आनंद मिला है।
          
           
          सफलता की यह कहानी हमें अपनी पारंपरिक 
          धरोहरों के संरक्षण की शिक्षा देती है, साथ ही संरक्षण कैसे किया जाना 
          चाहिए उसका रास्ता भी दिखाती है। भारत में हमारे चारों ओर ऐसा बहुत कुछ 
          बिखरा पड़ा है जिसे संरक्षण और देखभाल की आवश्यकता है। अगर हम उस ओर देख 
          सकें और उसे संभाल सकें तो हम भी श्री यो फङ की तरह सफलता और असीम आनंद 
          की एक कहानी गढ़ सकेंगे। 
          
          पूर्णिमा वर्मन२१ जून २०१०
 
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