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कलम गही नहिं हाथ  

 

 

 

नया साल मंगलमय हो!

पुराने साल को विदा करने और नए साल का स्वागत करने का समय फिर आ गया। पिछले साल बहुत से नए स्तंभ प्रारंभ किये गए थे। चुटकुलों का पन्ना और कीर्तीश के कार्टून इनमें सबसे अधिक लोकप्रिय रहे। चौपाल, पुनर्पाठ, क्या आप जानते हैं और रसोई सुझाव का स्थान उसके बाद रहा। स्थायी स्तंभों में कहानियाँ सदा की तरह लोकप्रिय बनी रहीं। इस सबसे प्रेरणा लेकर भारत और विश्व की समसामयिक घटनाओं पर आधारित एक नया स्तंभ सामयिकी जोड़ा गया है। यह पत्रिका का समाचार आधारित पहला स्तंभ है आशा है पाठकों को पसंद आएगा।

शुक्रवाल चौपाल द्वारा इमारात में हिंदी के विकास का जो प्रयत्न हम कर रहे हैं उसकी संक्षिप्त झलक देने की कोशिश रहती है इसके साथ ही नवगीत की पाठशाला में देश विदेश के उन कवियों को नवगीत से जोड़ने की कोशिश की है जो नवगीत की संवेदना और कौशल तो रखते हैं किंतु भारत से नाता टूट जाने के कारण इस आंदोलन का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। इन दोनो चिट्ठों पर सबका सहर्ष स्वागत है। जो लोग इससे जुड़ना चाहते हैं उनके लिए ये रोचक, ज्ञानवर्धक और सार्थक सिद्ध हों हमारा यह प्रयत्न सदा बना रहेगा। कभी अपनी और कभी इमारात की बातें करने वाला यह स्तंभ कलम गहौं नहि हाथ भी आज एक वर्ष पूरा कर रहा है। इसको जिस स्नेह से आपने स्वीकार है उसका हार्दिक आभार।

१ जनवरी २००९ को अनुभूति भी अपने जीवन के ९ वर्ष पूरे कर दसवें में कदम रख रही है। सहृदय पाठकों के निरंतर उत्साह के बिना इतनी दूर तक चलना संभव नहीं था। यह सहृदयता और सहयोग सदा बना रहे यही कामना है। हम देश विदेश के उन सभी लेखकों, पत्रकारों और सहयोगियो का आभार व्यक्त करते हैं जिसके कारण इन पत्रिकाओं के प्रकाशन की निरंतरता बनी रही है। विशेष रूप से मेरे सहयोगी दीपिका जोशी और प्रो. अश्विन गाँधी जिन्होंने जीवन की अनेक व्यस्तताओं और चढ़ाव-उतराव के बावजूद समय पर पत्रिका के प्रकाशन को जारी रखा है। उनके उत्तरदायित्वपूर्ण सहयोग के बिना इस निरंतरता का बने रहना संभव नहीं था। कामना है हमारा यह समन्वय बना रहे और हिंदी के विकास में लगा अभिव्यक्ति और अनुभूति का सुंदर सलोना सफ़र इसी प्रकार जारी रहे।

हाल ही में हमने फेसबुक पर अभिव्यक्ति का एक पृष्ठ यहाँ बनाया है। इस पर नवीनतम अंकों की जानकारी तथा अन्य सूचनाएँ (जो हम अभिव्यक्ति में देते हैं) प्रकाशित होती रहती हैं। जिन पाठकों को फ़ेसबुक पसंद है वे इसके प्रशंसक बन सकते हैं और इसको अपनी पसंद सूची में शामिल कर सकते हैं। यहीं पर जानकारी और समस्याओं पर बातचीत करने के लिए एक समूह भी है जिसका आवश्यकता पड़ने पर उपयोग किया जा सकता है। नया साल मंगलमय हो, भारतीय साहित्य, संस्कृति, और भाषा के नव प्रयत्न सार्थक हों, तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्र में हमारी भाषा समर्थ बने और सफल हो इसी मंगल कामना के साथ,

पूर्णिमा वर्मन
२८ दिसंबर २००९
 

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