कलम गही नहिं हाथ
नव वर्ष की मंगल कामनाएँ
इस अंक के साथ पुराना साल हमसे विदा ले रहा है
और अगले अंक से पहले नया साल शुरू हो चुका होगा इसलिए नववर्ष के
उपलक्ष्य में कुछ नए परिवर्तनों के साथ प्रस्तुत है नव वर्ष विशेषांक।
अभिव्यक्ति का प्रारंभ सन २००० में हुआ था।
अब २००९ में प्रवेश करते हुए इसके नौ साल पूरे होने को हैं। इसी बात को
ध्यान में रखते हुए 'नौ साल पहले'
नाम से एक नया स्तंभ प्रारंभ हो रहा है, जिसमें पुराने अंकों के
चुने हुए लेखों का पुनर्प्रकाशन किया जाएगा। रसोई के कुछ कामगार सुझाव नए
जोड़े गए हैं। विकि के चुने हुए अंश, सप्ताह का विचार और क्या आप जानते
हैं पहले की तरह जारी रहेंगे। चुटकुलों का पन्ना और कीर्तीश के कार्टून
कैसे लग रहे हैं लिखना न भूलें। इस वर्ष प्रति शुक्रवार शारजाह में
होने वाली साहित्यिक गोष्ठी की नियमित सूचना भी देने का यत्न करेंगे। साल
के अंत में कथा महोत्सव की अंतिम तिथि भी पार हो रही है। देश विदेश से बहुत
सी कहानियाँ प्राप्त हुई हैं। इनके परिणामों की सूचना के विषय में अगले
अंक में जानकारी देंगे। मुखपृष्ठ पर नीचे दी गई सूची में डाउनलोड लिंक पर कुछ रोचक पीडीएफ फ़ाइलें पाठकों के
लिए मुफ़्त उपलब्ध हैं। इसका आनंद लें
और अपने विचार हमें भेजें।
नए साल के साथ ही आता है अनुभूति का
जन्मदिन। अनुभूति का पहला अंक १ जनवरी २००१ को प्रकाशित हुआ था। २००९ में
पग रखते हुए अनुभूति आठवाँ साल पूरा करके नवें
साल में कदम रख रही है।
सहृदय पाठकों और कुशल लेखकों के निरंतर सहयोग के बिना इतनी दूर तक
चलना संभव नहीं था। यह सहृदयता और सहयोग सदा बना रहे यही कामना है।
कहते है, शुभ कामों की ओर ध्यान देने से
शुभता की वृद्धि होती है और बुराइयों की ओर ध्यान देने से दुख-दर्द की,
इसलिए दुखद घटनाओं की पुनरावृत्ति के बिना उन वीरों के
अप्रतिम साहस को प्रणाम जिन्होंने मुंबई के आतंकवादी हमलों में सारे
विश्व के सामने देश की प्रतिष्ठा बनाए रखी। हम सब एकजुट रहें,
भारतीय साझा संस्कृति के प्रति हमारी निष्ठा और एकता बनी रहे, हम संगठित हो
हर दिशा में उन्नति को प्राप्त करें। इसी मंगल कामना के
साथ अपनी टीम की ओर से सभी पाठकों का नए साल में हार्दिक अभिनंदन-
पूर्णिमा वर्मन
२९ दिसंबर २००८
|