SHUSHA HELP /लेखकों से/ UNICODE  HELP
केवल नए पते पर पत्रव्यवहार करें


9. 4. 2007

आज सिरहाने उपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घाकविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व-पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटकपरिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

इस सप्ताह—

समकालीन कहानियों में
भारत से
डॉ० मधु संधु  की कहानी फ्रैक्चर
अस्पताल में मोबाइल की लाइफ़-लाइन के सहारे उन्होंने डेढ़ सप्ताह काट लिया। कभी यह लाइफ़-लाईन कैंटीन से जुड़ती, कभी मेडिकल स्टोर से, कभी रिश्तेदारों-परिचितों से, कभी अड़ौसी-पड़ौसियों से। दोपहर को लोग सारे काम निपटाकर एक औपचारिकता का बोझ उतारने आ जाते और फिर घर जाकर अस्पताल जाने की थकावट उतारने में जुट जाते। नहाते-धोते, लेटते-सोते, फ्रेश होते, अंग-अंग से अंगड़ाइयाँ लेते। चारपाई से जुड़ा मरीज़ हर दोपहर आने वालों की प्रतीक्षा में दीवार पर टकटकी लगाए रहता। दुनिया-जहान घूमने वालों का संसार भी यहाँ आकर ऐसे ही सीमित हो जाता है। पत्नी उनके साथ छाया की तरह बनी रहती।

*

हास्य-व्यंग्य में गुरमीत बेदी का आलेख
प्री-मैच्योर रिटायरमेंट लेकर अपुन क्या करेगा!

मैं प्री-मैच्योर रिटायरमैंट लेकर कोई ऐसा काम करना चाहता हूँ जिससे अख़बारों से लेकर पत्रिकाओं के मुखपृष्ठों पर मेरी ही तस्वीरें छपें। मुझे छींक भी आ जाए तो अलग-अलग न्यूज़ चैनल मेरे स्वास्थ्य के बारे में स्पैशल बुलेटन जारी करना शुरू कर दें और मेरे स्वास्थ्य लाभ की कामना के लिए चैनलों को एस.एम.एस भेजने वालों की होड़ लग जाए। मुझे अगर मच्छर काट जाए तो मेरे चाहने वाले उस मच्छर के खून के प्यासे हो जाएँ। मैं अगर शर्ट उतारकर हवा में लहराऊँ तो पूरे मुल्क की रूपसियाँ सर्द आहें भरती नज़र आएँ। इसके अलावा भी मुल्क में बहुत कुछ हो सकता है, जिसके बारे में आपको विस्तार से बाद में बताया जाएगा।

*

नाटकों में
कुमार आशीष का संकल्प
व्यक्ति व्यवस्था का साधन भी है और प्रयोजन भी। व्यक्ति के अभाव में न तो समाज की कल्पना की जा सकती है और न ही राज्य की। इसलिए आवश्यक है कि सर्वप्रथम व्यक्ति के अस्तित्व से जुड़े हुए प्रश्नों को हल किया जाए। उन्हें नकार कर आगे बढ़ जाना संभव नहीं। बालक ने उचित ही कहा है. . . व्यवस्था की सार्थकता तभी है जब वह व्यक्ति के अस्तित्व की रक्षा करने में समर्थ हो। स्वयं के कर्तव्य की अवहेलना कर दूसरों से कर्तव्यपालन की अपेक्षा करना बुद्धिमानी नहीं। बालक को मुक्त ही नहीं किया जाना चाहिए, अपितु, इसके परिवार को पर्याप्त भरण-पोषण भी राज्य द्वारा प्रदत्त किया जाना चाहिए।
 

*

फुलवारी में मौसम की कहानी का अगला भाग
तूफ़ान क्यों आते हैं?

जब नमी से भरी हुई ढेर-सी गर्म हवा तेज़ी से ऊपर की ओर उठती है तब तूफ़ान आते हैं। तुमने तूफ़ान की शुरुआत से पहले हवा को तेज़ होते हुए देखा होगा। जब बादल को बड़े होते जाते हैं और गहरे होते हुए आसमान में अँधेरा छाने लगता है। ये तूफ़ान के लक्षण हैं। बादलों के अंदर पानी के कण तेज़ी से घूमते हैं और आपस में टकराते हैं, जिससे बिजली पैदा होती है। बिजली पैदा होने का काम तब-तक चलता रहता है जब तक वह बड़ी-सी चिंगारी बन कर एक बादल से दूसरे बादल तक होती हुई धरती तक ज़ोरदार चमक बन कर कौंध नहीं जाती।

*

रसोईघर में गृहलक्ष्मी माइक्रोवेव अवन में पका रही हैं
हरे प्याज़ और मटर, गाजर के साथ

मटर, गाजर, हरा प्याज़ और सलाद के पत्ते! स्वाद का स्वाद और स्वास्थ्य भरपूर! जल्दी पक जाए साथ ही ज़्यादा चिकनाई न हो तो खाने में इससे बेहतर कुछ नहीं। इसे सब्ज़ी की तरह भी खा सकते हैं और नाश्ते की तरह भी- ब्रेड, रोटी और चावल सभी के साथ मज़ेदार। चटपटा चाहिए तो बारीक कटी हरी मिर्च, ताज़े नीबू का रस और चाट मसाला मिलाकर परोसें।


सप्ताह का विचार
संवेदनशीलता न्याय की पहली अनिवार्यता है। –कुमार आशीष

 

राम सनेही लाल शर्मा, अचला दीप्ति कुमार, विक्रांत, शांतनु गोयल, शशि भूषण, रमेश देवमणि और संजय ग्रोवर की नई रचनाएँ

ताज़ा हिंदी चिट्ठों के सारांश
नारद से

-पिछले अंकों से-
कहानियों में
चश्मदीद-एस आर हरनोट
बैसाखियाँ - इला प्रसाद
पगडंडियों की आहटें - जयनंदन
अगर वो उसे माफ़ कर दे-अर्चना पेन्यूली
होली का मज़ाक-यशपाल
एक और सूरज-जितेन ठाकुर

*

हास्य व्यंग्य में
वाह डकैत हाय पुलिस-डॉ. नवीनचंद्र लोहानी
जिस रोज़ मुझे भगवान मिले-तरुण जोशी
ग्लोबल वार्मिंग...- शास्त्री नित्यगोपाल कटारे
आखिर ऐसा क्यों होता है?-अलका पाठक

*

दृष्टिकोण में
महेश चंद्र द्विवेदी खोल रहे हैँ
भारतीय दंड-संहिता की कमज़ोर कड़ियाँ

*

संस्मरण में
भीष्म साहनी की आपबीती
हानूश का जन्म

*

महानगर की कहानियों में
कृष्णानंद कृष्ण की लघुकथा
स्वाभिमानी

*

प्रौद्योगिकी में
श्रीश बेंजवाल शर्मा सिखा रहे हैं

कंप्यूटर पर
यूनिकोड हिंदी टाइपिंग

*

विज्ञानवार्ता मे
गुरु दयाल प्रदीप सुलझा रहे हैं
रचना-प्रक्रिया की प्रक्रिया

*

प्रकृति और पर्यावरण में
स्वाधीन की पड़ताल
गरमाती धरती घबराती दुनिया

*

आज सिरहाने
ज्ञानप्रकाश विवेक का उपन्यास

दिल्ली दरवाज़ा

*

संस्कृति में
ममता भारती का आलेख

संस्कृति में सात का महत्व

अपनी प्रतिक्रिया   लिखें / पढ़ें

Click here to send this site to a friend!

आज सिरहानेउपन्यास उपहार कहानियाँ कला दीर्घा कविताएँ गौरवगाथा पुराने अंक नगरनामा रचना प्रसंग पर्व पंचांग
घर–परिवार दो पल नाटक परिक्रमा पर्व–परिचय प्रकृति पर्यटन प्रेरक प्रसंग प्रौद्योगिकी फुलवारी रसोई लेखक
विज्ञान वार्ता विशेषांक हिंदी लिंक साहित्य संगम संस्मरण साहित्य समाचार साहित्यिक निबंध स्वास्थ्य
हास्य व्यंग्य

© सर्वाधिकार सुरक्षित
"अभिव्यक्ति" व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक माह की 1 – 9 – 16 तथा 24 तारीख को परिवर्धित होती है।

प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|-
सहयोग : दीपिका जोशी

 

 

Google
Search WWW Search www.abhivyakti-hindi.org