प्यारे कुँवारों-कुँवारियों एवं
उनके अभिभावकों,
आशा है इन दिनों आप पर्याप्त बैचेन होगें क्योंकि जिस घड़ी का आपको इंतजार था वह आ
पहुँची है। देव उठ गए हैं और इसके साथ शादियों पर लगा प्रतिबंध भी उठा लिया गया है।
आपकी बैचेनी का कारण स्वाभाविक है कि कम से कम अब यह सीजन तो खाली न जाए, जैसा कि
पिछला सीजन चला गया था। ऐसा न हो कि फिर देवों के सो जाने का समय हो जाए और अपन
अगले सीजन तक फिर लटक जाएँ। इस सीजन में आप भी कुँवारेपन के बोझ से मुक्त हों, उठ
चुके देवों के चरणों में यही प्रार्थना है।
अब इस सीजन के लिए कुछ आवश्यक सूचनाएँ। ये सूचनाएँ भावी दूल्हा, दुल्हन, उनके
अभिभावकों के साथ अन्य सभी पर समान रुप से लागू होंगी जो किसी भी रुप में इस सीजन
में, किसी भी शादी से ताल्लुक रखते हों।
जैसा कि आप सभी को पता है, शादी दो आत्माओं का मिलन है। अतः शादी से पहले इन
आत्माओं को आपस में बोलने, सुनने का पर्याप्त मौका न दें वरना ये आत्माएँ मिलने से
पहले ही भटक जाएँगी। शादी एक गाँठ भी है जो उपरवाला पहले ही बाँध देता है तो उसकी
बाँधी हुई गाँठ को खोलकर कहीं दूसरी जगह बाँधने का प्रयत्न न करें। यदि गलती से भी
आपने ऐसा किया तो ऊपर वाला आपकी गाँठ को मुश्किल में डाल सकता है। कुंडली अवश्य
देखे और दिखाएँ इससे पंडित का आशीर्वाद बना रहता है। पर साथ ही लड़के और लड़की को
भी आँख खोलकर देख लें। अपने सुपुत्र या सुपुत्री की शिक्षा, हुनर,नौकरी,नैन-नक्श के
बारे में जितनी भी चाहें ऊँची-ऊँची हाँकें लेकिन इतना याद रखें कि शादी के बाद सबकी
पोल खुल जाती है और अगर ऐसा हुआ तो उससे आप कैसे निबटेंगे।
यह ठीक है कि शादी दो आत्माओं का मिलन है। लेकिन आत्माएँ चूँकि शरीर के अंदर हैं
अतः शरीर की लीपापोती करने में, महँगे कपड़े, गहने, जेवरात, नोटों के हार आदि में जी
भर कर खर्च करें। ऐसा न हो कि शादी निबट जाए और आपका बैंक बैलेंस बचा रह जाए। अच्छी
शादी वही होती है जिसमें एक एक पाई खर्च हो जाए और शादी के अगले दिन आप सड़क पर आ
जाएँ। शादी के समारोह का एक-एक क्षण अविस्मरणीय होता है इन क्षणों का ब्यूटीपार्लर
के आईने के सामने बैठकर आनंद लें। क्यों कि यह आनंद तो जीवन में दुबारा मिलने वाला
नहीं है। शादी में जाने का अपना ही मजा है, इसलिये स्वागत मंच पर देरी से पहुँचकर
मेहमानों को इंतजार न करवाएँ। उन्हें दूसरी शादियों में भी जाना होता है।
दहेज लेने देने के मामलों में आजकल सख्त सजा का प्रावधान है। जेल की हवा भी खानी
पड़ती है। अतः सावधानी से काम लें। जो कुछ दहेज में खर्च करने के नाम पर बचाया था
उसे अपने ऊपर खर्च करें भला इससे अच्छा अवसर आपके पास फिर कहाँ आएगा। बड़े बड़े
ज्ञानी कह गए हैं कि पैसा हाथ का मैल है इसलिये इसे जितनी जल्दी निकाल दिया जाए
उतना अच्छा। फिर भी अगर आप बुढ़ापे के लिये बचाना चाहते हैं तो आपकी मर्जी।
पर इतना समझ लें कि बुढ़ापे के लिये बचाया गया पैसा सिर्फ अस्पताल में खर्च होता है
इसलिये इतना लंबा जीना ही क्यों कि अस्पताल में बुढ़ापा बीते। ऐश करें और बुढ़ापे
से दूर रहें।
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना बनना काफी रोचक हो सकता है। लेकिन ध्यान रखें कि
इतना न सजें धजें कि सारे रिश्तेदार, मेहमान, मित्र आपको ही दूल्हा समझने की भूल कर
बैठें। आप जो हैं जैसे चाचा, मामा, मौसी, मौसा, खास दोस्त आदि ही बने रहें ताकि
खाने पीने का सही इंतजाम आपके पास ठाठ से पहुँचता रहे। यदा समारोह स्थल पर आपके पास
कोई काम नहीं है तो दूसरों पर टिप्पणियाँ कसने से अच्छा है कि अपना ध्यान खाने पीने
की ओर लगाएँ।
शादियाँ खर्च करने की प्रतियोगिताएँ होती हैं। लेकिन इस प्रतियोगिता में जीतने पर
किसी को कोई पुरस्कार नहीं मिलता। सिर्फ अपने अहंकार की तुष्टि होती है। अतः अपना
अहंकार न बढ़ाएँ और प्रतियोगिता में जीतने की इच्छा से शादी में न जाएँ। कुछ लोगों
की शादी के कार्ड नर्सरी स्कूल की किताब जैसा होता है। और शादी में इसे लेकर
पहुँचना होता है। इसको ध्यान में रखते हुए एक झोला अपने साथ जरूर ले जाएँ। ताकि
उसमें कार्ड तो आ ही जाए। अगले दिन का खाना भी साथ में रखकर लाने की सुविधा बनी
रहे।
आजकाल शादियों में भोजन की लंबी लंबी लंबी कतारें होती हैं। इसमें रास्ता भूलने का
भय सदा बना रहता है। इसलिये रास्ते याद करने में काफी समय लगाएँ। ऐसा न हो कि आप
गुलाब जामुन खाना चाहते हों पर वहाँ तक पहुँचने से पहले ही आपका पेट सलाद और पापड़
से भर जाए। अगर मेजबान ने पीने-पिलाने की व्यवस्था कर रखी है तो उससे एक गाड़ी की भी माँग
करें जो आपको सही सलामत घर पहुँचा दे। क्यों कि पीने के बाद ड्राइविंग करना तो
कानूनन अपराध है।
शादी में सड़क पर नाचना शुरू करें तो रुकने का नाम न लें। क्यों कि शादी मैं तो सभी
आपके नाच की तारीफ करेंगे बाद में नाचने का अवसर मिले या न मिले। शादी में नाच एक
परंपरा है और परंपरा के नाम पर उलटा सीधा सब चलता है। चाहे सड़क पर ट्रैफिक जाम हो
या यातायात हल्ला मचा रहा हो, किसी ओर भी ध्यान न दें। एंबुलेंस को भोंपू बज जाए तो
जरा किनारे होकर उसे जाने दें, लेकिन नाच न रोंकें, क्यों कि बड़े बड़े साधु
महात्मा कह गए हैं कि नाच तमामा बीमारियों को दूर करता है और भला नाच भी कहीं अकेले
हो सकता है? नाच का तो यही एक मौसम है, सो मौसम का मजा
लें और स्वास्थ्य बनाएँ।
स्वागत मंच पर दूल्हा-दुल्हन को मिलने या उनके साथ फोटो खिंचवाना किसी भी शादी का
सबसे महत्वपूर्ण काम होता है। हम सब ढेरों पैसे खर्च कर के अच्छे अच्छे कपड़े
सिलवाकर शादी में जाते हैं। दूल्हा दुल्हन के साथ इस्टाइल में फोटो खिंच जाए तो
जन्म जन्मांतर तक बार बार उसे देखकर मन को खुशी दी जा सकती है। इसलिये इस समय फोटो
खिंचवाना न भूलें। दूल्हा दुल्हन के पीछे सजे महल की पृष्ठभूमि और फूलों की झालरों
के साथ सदा के लिये इन खुशियों को सहेज कर रखने का अवसर हाथ से न जाने दें। भले ही
इसके लिये आपको खाने की देर हो जाए या दूल्हा दुल्हन को। आप पूरे पचास फोटो खींचे
बिना वहाँ से न हटें। पता नहीं कौन सा फोटो अच्छा आए और कौन सा अच्छा न आए इसलिये
कुछ ज्यादा फोटो खींच लेना सदा अच्छा रहता है।
अंत में- सरकार ने २००५ से पहले के नोट रद्द करने का नोटिस जारी कर दिया है। अगर
किसी कारण से उसके पहले के नोट नहीं बदले जा सके हैं तो कृपया इस अवसर पर सुंदर से
लिफाफे में रखकर वे नोट चलता करें। आखिर सभी लोग ऐसे नोट ही दे रहे होंगे और वर वधू
के घर वालों को एक साथ उन्हें बदलवाने में ज्यादा आसानी होगी।
तो भाइयों और बहनो, सुखी रहें संपन्न रहें और शादी के मजे लेते रहें। |