हास्य व्यंग्य


पाठ्यक्रम बाबागिरी का
विनय मोघे


लूटो एंड फूटो महाविद्यालय के प्राचार्य खसोटप्रसाद ने जब यह महसूस किया कि भारत में भोले भाले लोगों की संख्या बढ़ रही है, ये लोग अपनी किसी न किसी निजी परेशानी से हैरान परेशान भी हैं और बिना किसी मेहनत और प्रयास के अपनी परेशानियों से छुटकारा पाना चाहते हैं और इसी के चलते बाबाओं के चक्कर में पड़ रहे हैं, ऐसे में देश में बाबागीरी का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है तो उन्होंने तुरंत महाविद्यालय के मेनेजमेंट के सामने यह प्रस्ताव रखा कि उनके महाविद्यालय में बाबागीरी का कोर्स शुरु किया जाए। आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे मेनेजमेंट ने भी इस क्षेत्र में आवक की अपार संभावना को देखते हुए इस कोर्स को शुरु करने की प्रारम्भिक मंजूरी देते हुए प्राचार्य खसोटप्रसाद को ही इस कोर्स का प्रारुप बनाने के निर्देश भी दे दिए और उन्हें बाबागीरी के कोर्स का इंचार्ज ही बना दिया। मेनेजमेंट के इस फैसले से खसोटप्रसाद का अतिशय उत्साहवर्धन हुआ और वे बाबागीरी के कोर्स का प्रारूप बनाने में जी जान से जुट गए।

प्राचार्य खसोटप्रसाद ने बाबागीरी के कोर्स का जो प्रारूप बनाया वह इस प्रकार है -

बॅचलर ऑफ प्रवचन (बी.पी.) -

यह बाबागीरी के कोर्स का प्रथम स्तर होगा। इसमें प्रवचन देने की शैली, कला, बारिकियों तथा प्रभावपूर्ण प्रवचन देने के बारे में सिखाया जाएगा। प्रवचन के बीच में उठकर नाचने, भक्तों पर फूलों की वर्षा करने के विशेष तरीकों का भी आभ्यास करवाया जाएगा। इस कोर्स में प्रवेश के लिए कोई आयु सीमा नहीं होगी बल्कि ज्यादा उम्र होना विशेष योग्यता होगी। इस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए कोई शैक्षणिक आवश्यकता नहीं होगी पर शारीरिक क्षमता में, शरीर सुदृढ होना, सात इंच की दाढी होना अनिवार्य होगा। सफेद दाढ़ी वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। इस कोर्स की अवधि छः माह होगी। कोर्स के अंत में प्रवचन की प्रेक्टीकल परीक्षाएँ होंगी एवं उत्तीर्ण होने वाले बाबाओं को बॅचलर ऑफ बाबा की उपाधि प्रदान की जाएगी।

मास्टर्स ऑफ चमत्कार (एम.सी-एच)-

यह दूसरे स्तर का कोर्स होगा। बॅचलर कोर्स सफलता पूर्वक पास कर चुके बाबा इस कोर्स में प्रवेश ले सकेंगें। इस कोर्स में कई तरह के चमत्कार सिखाए जाएँगें। इन चमत्कारों के दौरान अपने सहयोगियों से तालमेल की बारिकियों को गहराई से समझाया जाएगा। भक्तों के सामने किसी चमत्कार की पोल खुल जाने पर परिस्थितियों को सँभालने का विशेष प्रशिक्षण भी इस कोर्स में शामिल है। कोर्स के दौरान लगने वाली चमत्कार सामग्री महाविद्यालय की ओर से प्रदान की जाएगी। इस कोर्स के अंत में भी प्रेक्टीकल्स होगें एवं उत्तीर्ण बाबाओं को मास्टर्स ऑफ बाबा की उपाधि के साथ चमत्कार में लगने वाले सामान से सुसज्जित "चमत्कारी किट" भी प्रदान किया जाएगा।

दूसरे स्तर के इस कोर्स को सफलता पूर्वक उत्तीर्ण करने वाले बाबा अपने नाम के आगे "चमत्कारी" शब्द का प्रयोग करने के पात्र होगें। इस कोर्स की अवधि एक साल की होगी जिसमें किसी चमत्कारी बाबा के यहाँ तीन माह की प्रेक्टीकल ट्रेनिंग भी शामिल होगी।

डिप्लोमा इन भीड़ बढ़ाओ (डी.बी.बी.) -

यह तीसरे स्तर का कोर्स होगा। बगैर भीड़ के बाबागीरी का कोई महत्व नहीं है। यदि उपर्युक्त दो स्तर उत्तीर्ण करने पर भी कोई बाबा ठीक ठाक भीड़ न जुटा पाए तो दो स्तर उत्तीर्ण करने का कोई खास महत्व नहीं रह जाता इस दृष्टि से देखा जाए तो यह तीसरे स्तर का कोर्स बाबागीरी के कोर्स का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कहा जा सकता है। इस कोर्स में बाबागीरी के मूलमंत्र भीड़ बढ़ाने के गुर सिखाए जाएँगे। बॅचलर और मास्टर्स कोर्स करने वाले बाबा इसमें प्रवेश ले सकेगें। माउथ पब्लिसिटी से भक्तों से भक्तों को जोड़कर भक्तों की चेन बनवाने की कला का समावेश इस कोर्स में होगा। अपने बने हुए भक्तों को बनाए रखते हुए नए भक्तों को अपनी भीड़ में शामिल करने का विशेष पाठ्यक्रम भी इसमें होगा। इस कोर्स की अवधि भी एक साल की होगी जिसमें हर दो माह में एक बार भीड़ जुटाने की प्रेक्टिकल ट्रेनिंग भी शामिल होगी।

मेनेजमेंट ऑफ बचाव एडमिनिस्ट्रेशन (एम.बी.ए.)

यह बाबागीरी के कोर्स का अंतिम स्तर रहेगा। उपर्युक्त तीन कोर्स करने के बाद जब कोई बाबा अपना बाबागीरी का स्वंतत्र व्यवसाय शुरु करता है और यदि खुदा न खास्ता वह किसी दागी भक्त, प्रशासन या पुलिस के चक्कर में फँसता है तो ऐसे में अपना बचाव कैसे किया जाए यही इस कोर्स में सिखाया जाएगा। यह कोर्स छः माह में किया जा सकेगा। हालांकि इस कोर्स को ऐच्छिक रखा जाएगा। जो बाबा अपने बलबूते पर अपना बचाव करने में सक्षम होगें वे इस कोर्स को करने के लिए बाध्य नहीं होंगे। पर यह सलाह दी जाती है कि यह कोर्स भी कर लिया जाना चाहिए। यह सच है कि भोले भाले लोगों की कमी नहीं है पर कई बार लोग अचानक समझदार एवं जागरुक हो जाते हैं और उन्हें अपने बाबाओं पर ही संदेह होने लगता है। ऐसे में वे उन्हीं बाबाओं पर आरोप प्रत्यारोप लगाने लगते हैं जिनके सामने पहले लोट लगाते थे। ऐसे भक्तों को मेनेज करने के लिए यह कोर्स बहुत उपयोगी साबित हो सकेगा। वर्ना पकड़े जाने पर उपर्युक्त किसी भी कोर्स का उपयोग करने का मौका नहीं मिल सकेगा।

प्राचार्य खसोटप्रसाद ने उपर्युक्त प्रारूप मेनेजमेंट को सौंप दिया है। यदि उनका यह प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो भविष्य में हम भारतीयों को प्रशिक्षित बाबाओं के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा।

९ दिसंबर २०१३