हास्य व्यंग्य | |
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मरना ऑफ़िस कंपाउंड में काली भैंस का |
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''हैलो, समाज कल्याण विभाग?'' ''जी, मैं सोशल वेलफेयर डायरेक्टर बोल रहा हूँ। आप कौन?'' ''नमस्कार डायरेक्टर साहब! सर, आपको एक सूचना देनी थी।'' ''कहिए, क्या बात है?'' ''सर आफकी जो 'ई' ब्लॉक बिल्डिंग है न, उसके सामने एक काली भैंस मर गई है।'' ''काली भैंस?'' ''हाँ, काली भैंस!'' ''माफ़ करिए सर, मैं अपना नाम नहीं बता सकता क्योंकि मामला मौत का है। वरना ख़ामख़्वाह मुझसे पूछताछ शुरू हो जाएगी।'' ''हैलो, लेकिन यह तो बताइए आखिर भैंस मरी कैसे?'' ''जी, मौत से।'' ''लेकिन मौत आई कैसे?'' ''यह तो सर, मुझे पता नहीं है। लेकिन मेरी क्या शामत आई है जो आपने तमाम पूछताछ शुरू कर दी है। मैंने तो सिर्फ़ इसलिए सूचना दी है कि भैंस की लाश जानवर खराब करेंगे और बदबू मारेगी इसलिए इसे तत्काल उठवाइए।'' यह कहने के बाद फ़ोन करने वाले ने फ़ोन काट दिया और डायरेक्टर किसी सोच में निमग्न हो गए।
उन्होंने अपने पी.ए. को बुलाया और कहा, ''देखिए, ई
ब्लॉक भवन के सामने एक काली भैंस मर गई है, आप एडीशनल डायरेक्टर को बुलवाइए।'' एडीशनल डायरेक्टर, डायरेक्टर को आश्वस्त करके अपने
कमरे में आ गया। उसने तत्काल डिप्टी डायरेक्टर को बुलवाया और कहा, ''देखिए डिप्टी
साहब, ई ब्लॉक में काली भैंस मर गई है, इससे पहले कि वह बदबू मारे, उसे तत्काल
उठवाने का इंतज़ाम करिए।'' एडीशनल डायरेक्टर की बात सुनकर डिप्टी डायरेक्टर
अपने चैंबर में आकर लंच लेने लगे। एसिस्टेंट डायरेक्टर ने अपने कमरे में आकर सैक्शन
ऑफिसर को बुलवाया और कहा, ''देखिए मिस्टर शर्मा, ई ब्लॉक के सामने काली भैंस मरी
पड़ी है, उसे उठवाइए।'' बाबू फ़ोन मिलाने लगा तो फ़ोन खराब था। उसने उठाई नोटशीट और लिख मारी उसमें अपनी सारगर्भित टिप्पणी, ''ऑफिसर कंपाउंड की ई ब्लॉक बिल्डिंग के सामने एक काली भैंस मरने की सूचना एक अजनबी व्यक्ति ने फ़ोन से दे दी है। फ़ोन करने वाले ने अपना नाम व पता नहीं बताया है, अतः यह संशय स्वाभाविक है कि आखिर भैंस मरी कैसे? मेरी राय में नगरपालिका में इसके मरने की ख़बर की सूचना देकर उठवाने से पहले पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाकर भैंस के मालिक की तलाश की जानी चाहिए ताकि भैंस को लेकर बाद में विवाद खड़ा न हो। आदेशार्थ प्रस्तुत है।'' बाबू की यह टिप्पणी चल पड़ी अपनी राह पर।
डायरेक्टर तक पहुँचने में इस टिप्पणी को दो दिन लग गए। अंत में डायरेक्टर ने आदेश
प्रदान किए, ''ठीक है, भैंस को उठवाने से पहले पुलिस थाने में सुचना दर्ज करवा दी
जाए।'' चौथे दिन तो पूरे समाज कल्याण विभाग में जंगल की आग की तरह काली भैंस के मरने का समाचार फैल गया। लोग अपनी-अपनी सीटों से उठकर ई ब्लॉक की तरफ़ मरी भैंस को देखने के लिए जाने लगे। पूरा दफ्तर खाली हो गया। लोग मरी भैंस को, जिसे कुत्ते, चील, कौवे तथा गिद्ध नोचकर आधी साफ़ कर चुके थे, ऐसे देख रहे थे जैसे बड़ी अनहोनी घटना हो गई हो अथवा उन्होंने जीवन में काली भैंस ही न देखी हो। यही क्या, स्वयं डायरेक्टर भी गाड़ी से आए और भैंस देखकर गए। उन्होंने अपने ऑफ़िस में आकर फिर एडीशनल डायरेक्टर
को बुलवाया और कहा, ''यह क्या हो रहा है? देखिए, चार दिन से भैंस मरी पड़ी है। बुरी
तरह बदबू आ रही है, आने-जाने वाले परेशान हैं तथा भैंस आज तक नहीं उठी है।'' पाँचवे दिन नगरपालिका को सूचना देने में समाज कल्याण विभाग कामयाब हो गया तो नगरपालिका में भी 'देर है अंधेर नहीं' का नारा बुलंद मिला। प्रशासक ने बताया कि संबंधित विभाग के कर्मचारी छुट्टी पर चल रहे हैं, इसलिए भैंस कल तक उठ सकेगी। उधर डायरेक्टर ने कलेक्टर को फ़ोन पर बताया कि
नगरपालिका में सूचना दे दी है तथा भैंस को उठाए जाने की कार्यवाही चल रही है।
कलेक्टर साहब बड़े खुश हुए, बोले, ''वैरी गुड वर्मा जी, देखिए आप ज़रा मामले पर
बराबर नज़र रखिए। पुलिस अभी मालिक को तलाश नहीं कर सकी है परंतु तत्परता से लगी हुई
है। एक-दो दिन में मालिक भी खोज लिया जाएगा।'' छठे दिन नगरपालिका के कर्मचारी आए तो भैंस नदारद थी। केवल हड्डियों का ढाँचा बचा था। कर्मचारियों ने हड्डियाँ ले जाने से इंकार कर दिया। उनका तर्क था कि हड्डियों का ठेका रमजानी ठेकेदार को दिया हुआ है, अतः वही उठाएगा। हमारे सौ रुपए के बिल का भुगतान करिए। ऑफ़िस ने बिल-भुगतान में ऑब्जेक्शन किया परंतु नगरपालिका वालों का कहना था कि वे तो अपना वाहन लेकर आ चुके हैं, अतः बिल का भुगतान तो नियमानुसार करना ही पड़ेगा। झख मारकर सौ रुपए देने पड़े। काली भैंस क्या मरी, सबको काम फैला गई और पापड़ बिला गई। आज भी रमजानी ठेकेदार नहीं आया है। काली भैंस का अस्थिपंजर ई ब्लॉक भवन के सामने पड़ा है। फ़ाइल जो काली भैंस की खुल गई है, वह अब भी चलती है, उस पर आदेश होते हैं, टेलीफ़ोन होते हैं, दफ़्तर का समय बरबाद होता है। बाबू फ़ाइल को सँभालकर आलमारी बंद करता है तथा रोज़ सुबह निकालता भी है, परंतु रमजानी ठेकेदार आज तक नहीं आया है। डायरेक्टर ने कलेक्टर को सूचित कर दिया है कि काली भैंस उठा ली गई है। १४ जुलाई २००८ |