हास्य व्यंग्य | |
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साक्षात्कार
लक्ष्मी का |
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मुन्नालाल के सपने में रात लक्ष्मी जी आई। लक्ष्मी जी
ने जागृत अवस्था में मुन्नालाल पर कभी कृपा नहीं की, हमेशा परहेज़ ही रखा।
दिवास्वप्न देखने का वह आदी नहीं है। खैर, सपने में ही सही, मगर आई तो सही। लक्ष्मी
जी का आगमन हुआ, चित्त से चिंता का बहिर्गमन हुआ। मन मंदिर के सभी वाद्य यंत्र बज
उठे। उसका हृदय परम प्रसन्न हो उठा। लक्ष्मी जी के स्वप्न साक्षात्कार मात्र से ही
उसे लगा, मानो उसके भाग्य का छप्पर भी आज फट गया है। सपने-सपने में ही वह अपने
भाग्य की तुलना बिल्ली के भाग्य से करने लगा। क्योंकि बिल्ली के भाग्य से भी
कभी-कभी छींके टूट जाया करते हैं। हालाँकि आजकल तो ऐसी घटनाएँ आम हैं। लिहाज़ा
भाग्य के सहारे जीवनयापन करने वाली बिल्लियाँ भी अब बुद्धिजीवी-कर्मयोगी कहलाए जाने
लगी हैं।
आशा के विपरीत स्वप्न देख मुन्नालाल आश्चर्यचकित
हुआ, गदगद होना स्वाभाविक था। भावविभोर वह लक्ष्मी जी के सम्मान में चरणागत हो
गया। उसका भक्ति-भाव देख लक्ष्मी जी भी प्रसन्न भई और बोली पुत्र माँगों क्या
चाहिए। लक्ष्मी जी के कृपा वचन सुन मुन्नालाल का पत्रकार मन जागा और बोला, ''माँ!
साक्षात्कार चाहिए।'' लक्ष्मी जी ने कहा, ''कमबख्त!'' मन ही मन मुसकराईं और सोचने
लगीं वाहन उल्लू को तो बाहर खड़ा किया था, अंदर कैसे आ गया। 'तमसो मा ज्यातिर्गमय' ''भक्त अंधकार से उजाले की
तरफ़ जाने के लिए प्रार्थना करते हैं। मगर आप स्वयं रात्रि में ही गमन करती हैं।
ऐसा क्यों?'' ''आपके भक्त आपको अंधकार में ही क्यों बुलाते
हैं?'' ''आपकी पूजा अमावस्या की रात में ही होने का कारण
भी क्या यही है?'' ''क्या आपने कभी अपने भक्त-पुत्रों को समझाया नहीं
कि अंधकार विनाश का और प्रकाश उन्नति का प्रतीक है?'' ''प्राय: आप एक ही स्वरूप के दर्शन होते हैं। क्या
अन्य देवी-देवताओं के समान आपके अनेक रूप नहीं हैं?'' ''आपको चंचला क्यों कहा जाता है?'' ''कहा जाता है कि विष्णु भगवान के साथ गरुड़ पर
सवार हो कर आपका आगमन कल्याणकारी है और रात्रि काल में जब आप उल्लू पर सवार हो कर
अकेले आती हैं तो अशुभ होता है। क्या यह सत्य है?'' ''उल्लू आपका प्रिय वाहन है। आपके सान्निध्य में
सर्वाधिक रहता है, फिर भी वह उल्लू ऐसा क्यों?'' ''क्या उल्लू मनुष्य योनि में भी पाए जाते हैं?''
२० अक्तूबर २००८ |