हमने पड़ोस
के मित्र से पूछा -क्या बात है? आजकल दिखते नहीं। घर भी
बंद ही रहता है हमेशा । कोई चहल-पहल नहीं दिखती। आवाज तक
बाहर नहीं आती। सब ठीक तो है न! मित्र ने जवाब देने के
लिये लंबी सांस लेकर ढेर सारी आक्सीजन खींची लेकिन वह जब
तक जवाब के साथ हवा निकाल सकें तब तक हर सुख-दुख में साथ
रहने वाली उनकी पत्नी जी बोल पड़ीं- भाई साहब असल में
बच्चा हाईस्कूल में है न! उनके चेहरे पर तुरन्त सटीक जवाब
देने का गर्व तथा बच्चे के हाईस्कूल में होने का बोझ
चस्पाँ था। गर्व तथा बोझ के ऊपर-नीचे होते दो पलड़ों के
बीच में उनकी गरदन तराजू की डंडी की तरह तनी थी।
हमारे तमाम जानने वालों के बच्चे हाईस्कूल में हैं। उनके
चेहरे पर हाईस्कूल का भय है। उनके घरों में अनुशासन पर्व
चल रहा है। बच्चा जुटा है पढ़ने में। मां, बाप जुटे हैं
पढ़ाने में। टाइम टेबल तय है। आधा घंटा हिंदी, पचास मिनट
गणित फिर पाँच मिनट रेस्ट फिर पचीस मिनट ये तीस मिनट वो
’विषय’ रेलगाड़ियाँ हो गयीं जो कि प्लेटफ़ार्म बने बच्चे
के ऊपर आती हैं, चली जातीं हैं। बच्चे की हर गतिविधि पर
निगाह रखी जा रही है। गरदन हिली नहीं कि जबान हिल गयी-बेटा
ऐसे कैसे चलेगा? तुम्हें अपने ‘एक्जाम’ की चिंता नहीं है!
बच्चा जो भी करता है मां-बाप कहते हैं- बेटा ऐसे करोगे तो
कैसे चलेगा? मां-बाप विपक्षी दल हो गये हैं जिनका काम
सत्ता पक्ष के हर कदम को गलत ठहराना होता है। हाईस्कूल
बच्चों के लिये बवालेजान हो गया है।
कल हम अपने मित्र के घर मिलने चले गये।खिड़की से झांक के
देखा तो पाया कोहराम मचा था। आवाज सुनाई दी- हाईस्कूल में
होते हुए ऐसी हरकतें करते शरम नहीं आती? हमें लगा कि किसी
लड़की को छेड़ा होगा बच्चे ने या फिर वैलेन्टाइन डे पर
इजहारे मुहब्बत कर दिया होगा जमाने की तर्ज पर जिस कारण
जाट पिता बरस रहे होंगे उस पर। लेकिन बात इतनी छोटी न थी।
पता लगा कि बच्चा रात के दो बजे आंख बंद किये खुले मुंह
जम्हाई लेते पकड़ा गया था।
वो तो कहो कि बच्चे की मां की नींद खुल गयी तथा उसने बच्चे
को खुले मुंह पकड़ लिया नहीं तो बच्चा हाईस्कूल कर जाता और
राज, राज ही रह जाता। मां ने तो खबरिया चैनेल की तरह रात
को ही इस सनसनीखेज राज का खुलासा करने के लिये पति को
हिलाया-डुलाया लेकिन वे खर्राटों की गिरफ्त में थे। हमें
लगा कि मां-बाप भी पत्रकार बन गये हैं -अपने बच्चों के
खिलाफ स्टिंग आपरेशन चला रहे हैं।
‘मीर’ की नीमबाज़ नायिका अगर हाईस्कूल कर रही होती तो
मियां मीर तकी ‘मीर’ उसकी आंखों में शराब की मस्ती की बजाय
लापरवाही का कुछ यूं खोजते:-
‘मीर’ उन नीमबाज़ आंखों में,
किस कदर बेपरवाही इम्तहान की है।
बच्चे परीक्षा-महाभारत के मैदान में खड़े अर्जुन की तरह
दुविधा में हैं जिनके पल्ले कृष्ण का ज्ञान नहीं मां-बाप
की परस्पर विरोधी बातें पड़ी हैं:-
-
सबेरे-सबेरे
नहाने धोने में टाइम क्यों बरवाद कर रहे हो? पहले कुछ देर
पढ़ाई कर लो।
आंख खुली बस किताब लेकर बैठ गये ये नहीं कि पहले नहा धोकर
तैयार हो जायें तब निश्चिंत होकर पढ़ें।
-
लो पहले
नाश्ता कर लो, खाना खा लो। खाओगे नहीं तो पढ़ोगे कैसे?
सारा दिन बस तुम्हें खाने को चाहिए । दिन भर खाते हो
इसीलिये तो नींद आती है।
-
यहां बाहर
आकर पढ़ो खुले में।
यहां सबके बीच क्या तुम्हारी पढ़ाई होगी! ये नहीं कि अपनी
मेज़ कुर्सी पर पढ़ें जाकर।
-
अभी इतनी
जल्दी क्यों सो रहे हो? देर तक पढ़ना चाहिए ।रात को
डिस्टर्बेंस नहीं होता है।
अब सो जाओ बेटा । रात को देर तक पढ़ोगे तो सबेरे देर तक
सोओगे। फिर पढ़ोगे कब?
-
इसको अपने
एक्जाम की कोई चिंता ही नहीं ।ये नहीं कि अपने दोस्तों से
पूछे कि वो क्या पढ़ रहे हैं। उनसे किताबें पूछे और नोट्स
देखे।
जब देखो तब तुम अपने दोस्तों से ही बतियाते रहते हो।
तुम्हें क्या मतलब दूसरे लोगों से कि वे क्या कर रहे हैं।
तुम अपना खुद नोट्स बनाओ।
-
बेटा,तुम तो
किताबें कहानी की किताब की तरह पढ़ते रहते हो। अरे लिख के
देखो तो पता चलेगा कि तुम्हें कितना आता है।
अरे, तुम तो हमेशा बस नोट्स ही बनाने में लगे रहते हो। आगे
पढ़ोगे नहीं तो पता कैसे चलेगा?
-
केवल अपनी
कोर्स बुक पढ़ने से ‘कुच्छ’ नहीं होता । दूसरी किताबें भी
पढ़नी चाहिए। पता नहीं कहां से क्या पूछा जाये?
दुनिया भर की किताबें पढ़कर टाइम क्यों वेस्ट कर रहे हो!
जितना कोर्स में है उतना पक्का तैयार कर लो। बाकी का पढ़ने
के लिये तो जिंदगी पड़ी है।
-
बेटा करेंट
इवेंट के लिये रोज अखबार पढ़ा कर लिया करो।
ये क्या कि सबेरे-सबेरे अखबार लेकर बैठ गये। अरे अखबार तो
जिंदगी भर पढ़ सकते हो। अभी पढ़ाई का समय क्यों गँवाते हो।
-
कंप्यूटर भी
एकदम गणित की तरह है। पूरे नंबर मिलते हैं। खूब जम के
तैयारी कर लो। कुछ छूट न जाये।
ये कोई कंप्यूटर पर बैठने का टाइम है! जब देखो तब पता नहीं
क्या करते रहते हो कंप्यूटर पर।
हाईस्कूल
में पढ़ने वाले बच्चों के जिम्मेदार मां-बाप बच्चे को हर
तरह से सहायता दे रहे है। वे बच्चे के नोट्स तैयार कर रहे
हैं। वे बच्चों को प्यार कर रहे हैं। वे बच्चों को डांट
रहे हैं। वे बच्चों को धिक्कार रहे हैं। वे बच्चों को
पुचकार रहे हैं।
हर बाप में गुरू की आत्मा डाउनलोड हो गयी। हर बाप कुम्हार
बन गया है-बच्चे को घड़ा बना के उसे अंदर से सहारा दे रहा
है, बाहर से चोट कर रहा है। लेकिन पढ़ने वाले बच्चे सबसे
ज्यादा त्रस्त इसी ‘बाप सॉफ्टवेयर’ से रहते हैं। इस
सॉफ्टवेयर में काम के प्रोग्राम कम फालतू के सिस्टम क्रैश
करने वाले नकारात्मक वायरस ज्यादा होते हैं।
बाप बच्चों को उनकी नानी याद दिला देता है। हिदायतों का
नेपथ्य संगीत बजा-बजा के बच्चों का बाजा बजा देता है। जिन
बच्चों के मां-बाप कम पढ़े लिखे होते हैं वे-बेटा हम तो
नहीं पढ़ पाये हमें कोई पढ़ाने वाला नहीं था लेकिन मैं
नहीं चाहता कि तुम भी हमारी तरह बेपढ़े रह जाओ, घराने के
डायलाग बोलकर भगवान से बच्चों के लिये दुआ मांगने लगता है
लेकिन पढ़ा-लिखा बाप राशन-पानी लेकर बच्चों के लिये शोयेब
अख्तर बना तानों- नजीरों के बाउन्सर-बीमर मारता रहता है।
अपने जमाने में किसी तरह अच्छे नंबर पाने वाला बाप करेला
वो भी नीम चढ़ा टाइप होता है। वह अपने रिपोर्ट कार्ड की
तरह अपना चेहरा हिलाते हुए बच्चों को अपनी गौरव गाथाएँ
सुनाता है। हम ऐसे पढ़ते थे, वैसे पढ़ते थे। हम बहुत मेहनत
करते थे । लैम्पपोस्ट की रोशनी में पढ़ें हैं तुम्हें इतनी
सुविधाएँ हैं। हमें तो कहीं से कोई बताने वाला नहीं था।
तुम्हें तो भगवान की दया से सब सुविधाएँ मिलीं हैं लेकिन
फिर भी तुम ब जाने क्यों टॉप करने की ललक नहीं पैदा कर
पाते। तुम हिंदी आशीष अंकल की तरह लिखते हो जहाँ छोटी
मात्रा लगानी चाहिए वहाँ बड़ी लगाते हो, जहां बड़ी लगानी
चाहिए वहां छोटी। अँग्रेज़ी में पता नहीं कहां से तुम हमारी
नकल करना सीख गए। गणित का गुणा-भाग भी भगवान बचाए -इससे
अच्छी गणित तो तुम्हारी मानसी आंटी की है।
यह वह समय है जब बच्चा मनाता होगा- काश उसका बाप अनपढ़
होता। पढ़े-लिखे बाप के बच्चे के सामने ज्यादा बड़ी
चुनौतियाँ होतीं हैं । बाप जाने-अनजाने खुद को लड़के के
मुकाबले खड़ा करके आँखें तथा गला फाड़ता रहता है। ऐसे ही
समय बच्चा शेरो-शायरी की शरण में चला जाता है तथा कहता
है:-
मुझे सोने नहीं देता ये किताबों का पहाड़,
मेरे अब्बा मुझे चैन से पढ़ने नहीं देते ।
हम हाईस्कूल की परीक्षाओं के कुछ और पर्चे आउट करते लेकिन
तब तक हमारा हाईस्कूल में पढ़ने वाला बच्चा फ्लाइंग
स्क्वायड की तरह धड़धड़ाते हुए कमरे में घुसता है तथा
लैपटाप उठाकर ले जाता है। उसे कंप्यूटर की तैयारी करनी है।
१६ नवंबर
२००७ |