दाद–ए–बगदाद |
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ब्लेयर इज गुड प्लेयर इसीलिए टीम में शामिल किया, लेकिन बुश भाई 'योर प्रोग्राम इज़ टोटली फुस्स'। लगे रहो, हार जीत तो होती रहती है। बुश भाई तुमने हमारे यहाँ की एक कहावत सुनी कि नहीं, सोचा तुम्हें आगाह कर दें, जानते हो वह कहावत क्या है? नहीं ना, तो सुनो, 'साझे की खेती गधा खाता है'। ध्यान रखना ऐसा न हो 'स्ट्रा' लगाकर तुम्हारा हितैषी, परम मित्र इराकी कुओं का सारा तेल पी जाए। और तुम सद्दाम के साथ आइस–पाइस खेलते रह जाओ। वैसे भी 'आई टेल यू वन थिंग. . .ये सद्दाम भी बड़ा घाघ है। हर खेल में 'अव्वल'! कई बार तुम्हें टीप मार कर भाग चुका है और तुम हो कि भागते भूत की लंगोट भली. . .यही रट लगाए हो। कैलकुलेशन तो तगड़ी लगाई है। सद्दाम से कौन-सा फ़ायदा कल भागता हो तो आज ही भागे तुम्हारी तो बल्ले–बल्ले कुओं में हैं। एम आई राइट ना? पर यार बुश तुम हो वहीं, नहीं समझे ना! हमारे यहाँ तुम जैसों को 'चालाक कौव्वा' कहते हैं। सुना है तुमने अब तक सद्दाम के यहाँ 71 टन से भी ज़्यादा वजन के क्लस्टर बम गिराए लेकिन मामला टॉय–टॉय फिस्स. . . क्या हुआ कुछ मिला? मुझ पर भरोसा करते, मुझे अपना समझते, तो ना मुझसे कहते! अरे एक बार कह कर तो देखते, अपने यहाँ से 'मुँहनोचवा' सप्लाई कर देता। टारगेट का मुँह नोचकर फौरन वापस रवानगी। मनी और टाइम दोनों सेव। किसी को कानो–कान ख़बर तक न होती और तुम्हारा काम फिट्टूश झक्कास। विश्वास नहीं होता मेरी बात पर तो पूछ लो मीडिया से। मेरी बात ग़लत निकल जाए न तो तुम्हें मुँहनोचवा के साथ मंकी मैन फ्री गिफ्ट कर दूँ। क्लस्टर बम गिराते–गिराते जब औसान
खता हो गए तब हम याद आए
लेकिन फिर भी हरकत से बाज़ न आए। मदद माँगनी है तो खुल के
सबके सामने कहो तो हमें भी करते अच्छा लगे, तुम तो वही चाहते
हो हींग लगे न फिटकरी रंग आए चोखा। तो भइया हम भी कच्चे
खिलाड़ी नहीं हैं, बहुत दंड पेले हैं टनो घी खा गए तभी तो
मगज़ आज भी दुरुस्त है। लिफ़ाफ़ा देखकर ही मजमून भाँप लेना अपनी
आदत में शुमार है। फिर काहे हम कहें आ बैल मुझे मार। ये सबक
तो हमने बचपन में ही अपनी गाँठ बाँध लिया था। हमारी दादी
हमें सोने से पहले रोज़ कहानी सुनाया करती थीं। उन्होंने एक
बार भगवान शंकर की एक कहानी हमें सुनाई— अब देखो तुम्हारे गुर्गो ने तीन-चार बार सद्दाम के मारे जाने की घोषणा कर दी बाद में लीपापोती! रिज़ल्ट क्या? खिसियानी बिल्ली खंभा नोचें! नोचो यार नोचो! शायद एकाध खंभा ही हाथ लग जाए। ये खंभा भी कभी-कभी परमात्मा को प्रकट कर शत्रु का नाश कर देता है। मुझे तो ऐसा ही मालूम है। हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए भगवान नरसिंह का रूप धर खंभे से ही प्रकट हुए थे। इसलिए बुश भाई दुनिया कुछ भी कहे डोंट फिकर! नोचते रहो खंभा शायद तुम्हारे लिए भी कोई प्रकट हो जाए। अरे यार उम्मीद पर ही दुनिया कायम है। न जाने किसी खंभे में सद्दाम की जान बंद हो और तुम्हारे हाथ लग जाए। हाथ लगा नहीं कि तुम्हारी पौ बारह फिर सब कुछ छोड़ बेचो तेल। पूरी ज़िंदगी ऐश ही ऐश। ऐसे ही मेहनत करते रहे तो एक दिन फोर्ड तुम्हें भी अरबपतियों की सूची में शामिल कर लेगा। यार बुश, एक बात बताओ, मैंने सुना है कि तुमने अपने सैनिकों को मन बहलाने के लिए ताश के पत्तों की गड्डी भेजी है, वो भी फोटू वाली, कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी पलटन फोटू ही निहारती रह जाए और सद्दाम भी लादेन की तरह तिड़ी मार जाए फिर खेलो ताश चाहे 52 पत्तों से या 55 पत्तों से। वैसे भी दारू (रम) पी कर फील्ड में बैठ रमी खेलने का मज़ा ही कुछ और है। पलटन के लिए इससे अच्छा टाइम पास और कुछ हो ही नहीं सकता। अच्छा भी है पलटन का दिमाग़ या तो लड़ाई में लगे या फिर ताश में, कहीं दिमाग़ में तेल और तेल की धार छा गई तो कैलकुलेशन बिगड़ भी सकता है। फिर भइये कहीं सद्दाम भी अपना पासा फेंक कर तुम्हारी पलटन को ये ऑफ़र दे कर कह दे कि आओ इधर अपन तुम्हें एक-एक कुआँ गिफ्ट करना माँगता है। कहीं पलटन में ही कुआँ हथियाने के चक्कर में एक दूसरे के लिए खाई न खुदने लगे। भइये आती हुई लक्ष्मी किसे काटती है? फिर जोखिम उठाकर जो मेहनत दूसरों के लिए की जा रही है उसे खुद को क्या लाभ? तमगा पहना दोगे इससे ज़्यादा क्या करोगे। जब चैन से खाने को मिले तो फिर तमगा लेकर क्या होगा। और तब तक तुम्हारी अर्थव्यवस्था इतनी चरमरा जाएगी कि जो तमगा दोगे उसे बेचकर लॉलीपाप भी नहीं मिलेगी, तो कुएँ क्या काटते है? जब तक तेल रहेगा बेचेंगे - खाएँगे! उसके बाद डूब मरेंगे उसी में। उनका तो लोक के साथ परलोक सुधर जाएगा। बट डियर बुश अपनी भी कुछ सोचो! परलोक सुधारने के चक्कर में कहीं तुम्हारा यह लोक भी न बिगड़ जाए! और सद्दाम हाथ से जाती संपदा को दान करके सबसे बडा खलीफ़ा न बन बैठे, और तुम्हारे वफ़ादार सद्दाम का सजदा करने लगें। तो भइये तुम्हारी जो मंडली हरि भजन को गई है अगर कहीं ओटन लगी कपास तो लेने के देने पड़ सकते हैं। इसलिए ध्यान रखना मेरी सलाह का, कहीं अपनी बात तुम्हारे गले की हड्डी न बन जाए और तुम्हारी अवस्था साँप छछुंदर वाली हो जाए! भइया बुश इतना सब होने के बाद मेरा भेजा अपनी तिकड़ी भिड़ा कर
इस नतीजे पर पहुँचा है कि, जो कभी तुम्हारी आँखों का तारा था
आज किरकिरी बन गया। तो भइये शिक्षा तो तुम्हारी ही दी हुई
है, और सप्लाई करो हथियार, बम वगैरह-वगैरह। |