विज्ञान वार्ता | ||||||||||
कैसे काम करता है धुआँ सूँघक
या स्मोक डिटेक्टर आग से बचाव के लिए इस्तेमाल में लाया जाने
वाला एक छोटा सा उपकरण है जिसकी तस्वीर ऊपर देखी जा सकती है।
घरों, बहुमंज़िली इमारतों, होटलों और शॉपिंग मालों में आग से
सावधान करने के लिए इनका महत्वपूर्ण योगदान है। कीमत भी कुछ
ख़ास नहीं सबसे सस्ता लगभग ५०० रुपए का मिल जाता है, आकार भी
छोटा सा यानि ८ से १२ से मी व्यास का घरेलू उपयोग के लिए बढ़िया
रहता है। इसे ९–१२ वोल्ट की बैटरी से चलाया जा सकता है।
फ़ोटोइलेक्ट्रिक सूँघक
सूँघक पर फोटोन की जितनी ऊर्जा पड़ेगी उतनी ही विद्युत धारा ह्यऔर वोल्टेज यानी विभवहृ उत्पन्न करेगा और यदि बिलकुल प्रकाश नहीं पड़ेगा तो धारा बिलकुल उत्पन्न नहीं होगी। ऊपर दिए गए चित्र–२ में यदि देखें तो उसमें स्रोत ह्यअहृ किनारे की ओर ऊपर लगा है और सूँघक ह्यभ्हृ नीचे की ओर बीच में। प्रकाश सीधे बाहर की ओर जा रहा है। सूँघक की ओर नीचे नहीं आ रहा है। सामान्य स्थिति में प्रकाश सूँघक की ओर नहीं आता है। लेकिन यदि इस स्थान पर धुआँ होता है तो धुएँ के कणों से प्रकाश बिखर जाता है और कुछ प्रकाश सूँघक की ओर चला जाता है। जैसे ही प्रकाश सूँघक की ओर जाता है विद्युत धारा प्रवाहित होने लगती है और पीछे जुड़ा हुआ सर्किट चालू हो जाता है। इस सर्किट के चालू होने से इसमें जुड़ा हुआ अलार्म बजने लगता है। चित्र–३
आयोनाइज़ेशन सूँघक आइये अब देखते हैं कि यह अंदर से कैसा दिखता है। इसमें एक बक्सा है जिसमें आयनीकरण होता है। यहीं स्थित होता है अमेरीसियम एक अलार्म और बाकी इलेक्ट्रानिक्स। है न एक छोटी सी चीज़ पर कितने काम की और कितने सरल सिद्धांत पर काम करती है। यही है विज्ञान की विशेषता, इन्हीं सरल सिद्धांतों को खोजने में बड़े बड़े वैज्ञानिकों ने अपना जीवन लगा दिया। हम इस कड़ी मेहनत का महत्व तभी जान पाते हैं जब यह मूर्त रूप में हमारे सामने आता है और हमारे जीवन में क्रांति लाता है। |
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