प्रौद्योगिकी


डिजिटल दुनिया में हिंदी का विकास
- श्रीश बेंजवाल शर्मा


भाषाई कम्प्यूटिंग कम्प्यूटर विज्ञान का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। आज के कम्प्यूटर युग में किसी भी भाषा का विकास कम्प्यूटरीकरण के बिना नहीं हो सकता। किसी भी भाषा के ज्ञान-विज्ञान को सुरक्षित रखने एवं पूरी दुनिया तक पहुँचाने के लिये उसका कम्प्यूटरीकरण अत्यन्त आवश्यक है। भाषाई कम्प्यूटिंग की दुनिया में हिन्दी ने बहुत तरक्की की है। ८० के दशक में कम्प्यूटिंग की दुनिया में प्रवेश से लेकर आज हिन्दी ने इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थान बना लिया है। आज कम्प्यूटर और दूसरे ऐसे उपकरणों पर हिन्दी में काम करना उतना ही सहज है जितना किसी और भाषा में। आइये नजर डालते हैं हिन्दी के इस सफर पर और हिन्दी संबंधी कुछ अनुप्रयोगों पर।

कम्प्यूटर की दुनिया में हिन्दी का प्रवेश सबसे पहले डॉस के जमाने में अक्षर, शब्दरत्न आदि जैसे वर्ड प्रोसैसरों के रूप में हुआ। बाद में विण्डोज़ का पदार्पण होने पर ८-बिट ऑस्की फॉण्टों जैसे कृतिदेव, चाणक्य आदि के द्वारा वर्ड प्रोसैसिंग, डीटीपी तथा ग्राफिक्स अनुप्रयोगों में हिन्दी में मुद्रण सम्भव हुआ। अब तक हिन्दी केवल मुद्रण के काम तक ही सीमित थी। यूनिकोड के आगमन से यह स्थिति बदली। माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ ऑपरेटिंग सिस्टम में विण्डोज़ २००० तथा ऍपल के मॅक ओऍस में ओऍस ऍक्स (संस्करण १०) से यूनिकोड हिन्दी का समर्थन आया। इससे अंग्रेजी आदि यूरोपीय भाषाओं की तरह कम्प्यूटर पर सभी ऍप्लिकेशनों में हिन्दी का प्रयोग सम्भव हो गया। हिन्दी का मानक कीबोर्ड इन्स्क्रिप्ट सभी आधुनिक ऑपरेटिंग सिस्टमों में अन्तर्निर्मित आता है। हिन्दी टाइपिंग औजारों की सुलभता से इंटरनेट पर हिन्दी का प्रयोग लोकप्रिय हो गया। अधिकतर पुराने नॉन-यूनिकोड फॉण्ट प्रयोग करने वाली वेबसाइटों ने यूनिकोड को अपना लिया। वर्तमान में इंटरनेट पर हिन्दी प्रयोक्ताओं की अच्छी-खासी संख्या है।

मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में हिन्दी का प्रवेश वर्ष २००५ के बाद शुरु हुआ। नोकिया के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम सिम्बियन के कुछ संस्करणों में आंशिक हिन्दी समर्थन आया। माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ मोबाइल के कुछ संस्करणों में आयरॉन्स हिन्दी सपोर्ट नामक थर्ड पार्टी सॉफ्टवेयर के जरिये हिन्दी समर्थन आया। बाद में ऍपल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम आइओऍस, गूगल के मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ऍण्ड्रॉइड तथा रिम के ब्लैकबेरी ओऍस में भी हिन्दी समर्थन उपलब्ध हुआ। वर्तमान में माइक्रोसॉफ्ट के विण्डोज़ फोन को छोड़कर लगभग सभी प्रमुख मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में हिन्दी समर्थन है।

अब बात करते हैं कि विभिन्न कम्प्यूटिंग डिवाइसों और प्लेटफॉर्मों पर हिन्दी में काम करने के लिये आपको क्या कुछ चाहिये।

माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़

माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़ सर्वाधिक लोकप्रिय डैस्कटॉप प्रचालन तन्त्र (ऑपरेटिंग सिस्टम) है। विण्डोज़ ऍक्सपी तथा विण्डोज़ ७ वर्तमान में दो सबसे प्रचलित विण्डोज़ संस्करण हैं। इनमें से विण्डोज़ ऍक्सपी में हिन्दी समर्थन है परन्तु इसे कंट्रोल पैनल में जाकर सक्षम करना पड़ता है तथा इस कार्य हेतु विण्डोज़ सीडी की आवश्यकता होती है। इस कार्य को सरल बनाने के लिये लेखक द्वारा निर्मित IndicXP नामक औजार उपलब्ध है जो यह कार्य बिना विण्डोज़ सीडी की आवश्यकता के स्वचालित रूप से कर देता है। विण्डोज़ ७ में इण्डिक सपोर्ट पहले से सक्षम होता है। आगामी विण्डोज़ ८ भी इस मामले में हिन्दी मित्र है।

विण्डोज़ ऍक्सपी का हिन्दी भाषाई इंटरफेस

हिन्दी टंकण के लिये विण्डोज़ में हिन्दी का मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड अन्तर्निर्मित होता है जिसे कंट्रोल पैनल के रिजनल ऍण्ड लैंग्वेज ऑप्शन्स में जाकर जोड़ना होता है। फोनेटिक तथा रेमिंगटन लेआउट द्वारा टंकण के लिये आपको बाहरी औजार इंस्टाल करने पड़ते हैं। फोनेटिक के लिये गूगल आईएमई (Google IME) तथा रेमिंगटन के लिये इंडिक आई एम ई (Indic IME) प्रचलित औजार हैं। विण्डोज़ का यूजर इंटरफेस भी हिन्दी में किया जा सकता है। इसके लिये माइक्रोसॉफ्ट की वेबसाइट पर लैंगुएज इंटरफेस पैक  (Language Interface Pack) उपलब्ध है।

लिनक्स

लिनक्स के अधिकतर नये वितरणों में हिन्दी आदि भारतीय भाषाओं के प्रदर्शन हेतु समर्थन पहले से सक्षम होता है। हालाँकि टैक्स्ट इनपुट एवं स्थानीय भाषाई इंटरफेस हेतु उस भाषा का सपोर्ट सक्षम करना पड़ता है। अधिकतर प्रचलित वितरणों जैसे उबुंटू, लिनक्स मिंट तथा रैडहैट आदि में इंस्टालेशन के समय ही वाँछित भाषा का विकल्प चुनकर इण्डिक सपोर्ट सक्षम किया जा सकता है। यदि इंस्टालेशन के समय नहीं किया गया तो बाद में इंटरनेट से कनैक्ट होकर यह सक्षम किया जा सकता है। लिनक्स में हिन्दी टंकण हेतु इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड अन्तर्निर्मित होता है। कुछ संस्करणों में बोलनागरी नामक फोनेटिक कीबोर्ड भी होता है। ये कीबोर्ड इसकी सैटिंग्स में जाकर एससीआईएम (SCIM) या आई बस (iBus) के द्वारा जोड़े जा सकते हैं। लिनक्स का यूजर इंटरफेस लगभग पूरी तरह हिन्दी में उपलब्ध है।

मॅक ओऍस

ऍपल के डैस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टम मॅक ओऍस में संस्करण १० (ओऍस ऍक्स) से भारतीय भाषाई समर्थन दिया जाना शुरु हुआ था। संस्करण १०.७ में लगभग सभी भारतीय भाषाओं का समर्थन आ चुका है। हिन्दी इनपुट के लिये इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड अन्तर्निर्मित होता है जिसे सैटिंग्स में जाकर जोड़ना पड़ता है। ओऍस ऍक्स में अभी हिन्दी इंटरफेस नहीं है।

आइओऍस

आइओऍस ऍपल का मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कि आइफोन (ऍपल का स्मार्टफोन), आइपॉड टच (ऍपल का पोर्टेबल म्यूजिक प्लेयर) तथा आइपैड (ऍपल का टैबलेट) में प्रयुक्त होता है। आइओऍस ४.x से इसमें पूर्ण हिन्दी प्रदर्शन समर्थन आ गया।
आइओऍस ५ का हिन्दी कीबोर्ड

आइओऍस का इंटरफेस तो हिन्दी में नहीं पर तिथि तथा समय आदि में नाम तथा अंक देवनागरी में देखे जा सकते हैं। आइओऍस के नये संस्करण ५ में हिन्दी कीबोर्ड आ गया है जिससे डिवाइस में कहीं भी सीधे हिन्दी में लिखना सम्भव हो गया है।

ऍण्ड्रॉइड

ऍण्ड्रॉइड गूगल का मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है जो कि विभिन्न स्मार्टफोन एवं टैबलेट निर्माताओं द्वारा अपने उपकरणों में प्रयुक्त किया जाता है। ऍण्ड्रॉइड में संस्करण २.३ (जिंजरब्रैड) तथा ३.x (हनीकॉम्ब) तक में हिन्दी प्रदर्शन समर्थन नहीं है। कुछ स्मार्टफोन निर्माताओं ने अपने कुछ मॉडलों में अपने स्तर पर फर्मवेयर को संशोधित करके हिन्दी समर्थन उपलब्ध कराया है। ऍण्ड्रॉइड के नवीनतम संस्करण ४.० (आइस क्रीम सैंडविच) में हिन्दी, बंगाली तथा तमिल भाषाओं का समर्थन आ गया है। हिन्दी इनपुट के लिये अभी अन्तर्निर्मित कीबोर्ड नहीं है। गूगल प्ले (ऍण्ड्रॉइड का ऍप्लिकेशन स्टोर) से गो की बोर्ड (Go Keyboard), मल्टीलिंग की बोर्ड (MultiLing Keyboard) आदि हिन्दी कीबोर्ड इंस्टाल किये जा सकते हैं।

इनके अतिरिक्त कुछ अन्य मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम हैं - सिम्बियन, विण्डोज़ फोन तथा ब्लैकबेरी ओऍस। सिम्बियन में आँशिक हिन्दी समर्थन है यानि कुछ संस्करणों में थोड़ा बहुत हिन्दी समर्थन है। विण्डोज़ फोन में हिन्दी समर्थन फिलहाल बिलकुल नहीं है। ब्लैकबेरी ओऍस में संस्करण ६ से हिन्दी प्रदर्शन समर्थन है हालाँकि इनपुट की सुविधा केवल टचस्क्रीन वाले फोनों में ही है।

हिन्दी संगणन सम्बन्धी औजार

हिन्दी संगणन औजारों की बात होने पर सबसे पहले टंकण औजारों की बात आती है। लगभग सभी ऑपरेटिंग सिस्टमों में मानक इन्स्क्रिप्ट कीबोर्ड अन्तर्निर्मित होता है। हिन्दी टंकण के लिये सामान्य मोबाइल फोनों पर T९ इनपुट व्यवस्था तथा टचस्क्रीन फोनों पर इन्स्क्रिप्ट ऑनस्क्रीन कीबोर्ड होता है।

हिन्दी एवं दूसरी भाषाओं के मध्य दूरी पाटने के लिये मशीनी लिप्यन्तरण तथा मशीनी अनुवाद सेवायें उपलब्ध हैं। मशीनी लिप्यन्तरण सेवाओं द्वारा देवनागरी एवं अन्य भारतीय लिपियों के मध्य परिवर्तन सम्भव है। इनके प्रयोग से आप किसी पंजाबी में लिखे वेबपेज को पलक झपकते ही देवनागरी में पढ़ सकते हैं। दूसरी ओर मशीनी अनुवाद सेवायें इतनी बेहतर तो नहीं पर किसी दूसरी भाषा में लिखी सामग्री का हिन्दी में अर्थ समझने में कुछ सहायता कर देती हैं। मशीनी अनुवाद के लिये गूगल ट्राँसलेट, मन्त्र-राजभाषा तथा बिंग ट्राँसलेटर आदि कुछ सेवायें हैं।

हिन्दी ओसीआर का स्क्रीनशॉट


ओसीआर तकनीक किसी इमेज में से टैक्स्ट को पहचान कर उसे सम्पादन योग्य टैक्स्ट में बदलती है। ओसीआर मुद्रित हिन्दी सामग्री के डिजिटलीकरण के लिये एक महत्वपूर्ण औजार है। अंग्रेजी के लिये जहाँ कई ओसीआर हैं वहीं हिन्दी के लिये काफी हद तक सही परिणाम देने वाला हिन्दी/संस्कृत ओसीआर नामक एक ही औजार है। इस दिशा में अभी और काम किया जाना बाकी है।
इलैक्ट्रॉनिक शब्दकोष किसी शब्द का अर्थ, उच्चारण आदि ढूँढना सरल बनाते हैं। हिन्दी के लिये शब्दकोष.कॉम, ई-महाशब्दकोश, अरविन्द-लैक्सिकन, विक्शनरी आदि ऑनलाइन शब्दकोष हैं। इनके अतिरिक्त कई ऑफलाइन इलैक्ट्रॉनिक शब्दकोष भी उपलब्ध हैं। किसी दस्तावेज में टंकित हिन्दी सामग्री हेतु कई वर्तनी जाँचक (स्पैल चैकर) भी उपलब्ध हैं। यद्यपि वेब पर काफी हिन्दी सामग्री उपलब्ध है पर ईबुक्स रूप में नहीं। कुछ पुस्तकें स्कैन कर पीडीऍफ फॉर्मेट में उपलब्ध हैं पर ईबुक्स के प्रचलित फॉर्मेटों में अभी काफी कम हैं।

पाठ से वाक् ऐसे सॉफ्टवेयर तन्त्र होते हैं जो टैक्स्ट को पढ़कर सुनाते हैं। इन्हें टीटीएस (Text to Speech) भी कहा जाता है। हिन्दी के लिये ऐसे कई प्रोग्राम हैं तथा उनका प्रदर्शन भी अच्छा है। इनमें फैस्टिवल, वॉजमी, वाचक वर्ड प्लगइन, ध्वनि, शक्ति इत्यादि शामिल हैं।

श्रुतलेखन-राजभाषा का स्क्रीनशॉट

दूसरी ओर वाक् से पाठ ऐसे तन्त्र होते हैं जो माइक्रोफोन में बोली गयी ध्वनि को इनपुट के तौर पर लेकर उसे टैक्स्ट में बदलते हैं। अंग्रेजी के लिये जहाँ ऐसे कई प्रोग्राम हैं वहीं हिन्दी के लिये एकमात्र प्रोग्राम सीडैक का श्रुतलेखन-राजभाषा है। सही सैटिंग करने पर यह काफी हद तक सही परिणाम देता है।

प्रकाशन उद्योग द्वारा ग्राफिक्स एवं डीटीपी हेतु मुख्यतः कोरल ड्रॉ, अडॉबी फोटोशॉप तथा अडॉबी इनडिजाइन आदि पैकेजों का उपयोग किया जाता है। इनमें इण्डिक यूनिकोड का समर्थन न होने से हिन्दी में कार्य करने हेतु पुराने नॉन-यूनिकोड फॉण्टों का प्रयोग किया जाता था। अब अडॉबी के उत्पादों के CS6 संस्करण में तथा कोरल ड्रॉ X6 में हिन्दी समर्थन आने से इन पैकेजों में हिन्दी में कार्य करना सरल हो गया है।

फॉण्ट कोड परिवर्तक ऐसे कन्वर्टर प्रोग्राम हैं जो पुराने ऑस्की फॉण्टों (जैसे कृतिदेव, चाणक्य आदि) में टंकित हिन्दी सामग्री को यूनिकोड में बदलते हैं। कई मुफ्त कन्वर्टर प्रोग्राम उपलब्ध हैं जिनसे आप पुरानी ऍन्कोडिंग में टंकित हिन्दी सामग्री को वेब पर प्रकाशन हेतु यूनिकोड में बदल सकते हैं।

विजुअल स्टूडियो २०१० में एक हिन्दी भाषाई ऍप्लिकेशन

वर्तमान में अधिकतर सभी नई प्रोग्रामिंग भाषाओं तथा डाटाबेस सिस्टमों में हिन्दी यूनिकोड समर्थन आ चुका है। डॉट नेट तथा जावा में हिन्दी भाषाई ऍप्लिकेशन बनायी जा सकती हैं। विभिन्न वेब प्रोग्रामिंग भाषाओं द्वारा हिन्दी भाषाई वेब अनुप्रयोग विकसित किये जा सकते हैं।

हिन्दी वेबसाइटें एवं वेब सेवायें

यूनिकोड के आगमन के बाद हिन्दी वेबसाइटों की संख्या तेजी से बढ़ी है। पहले जहाँ अधिकतर हिन्दी वेबसाइटें नॉन-यूनिकोड फॉण्टों में होने से आमजन तक नहीं पहुँच पाती थी वहीं अब नयी वेबसाइटों के अतिरिक्त अधिकतर पुरानी साइटें भी यूनिकोडित हो चुकी हैं। यूनिकोड में बनी वेबसाइटें बिना फॉण्ट के झमेले के पढ़ी जा सकती हैं तथा ये सर्च इंजनों द्वारा भी सूचीबद्ध की जाती हैं। आज अधिकतर हिन्दी समाचार-पत्रों की वेबसाइटें हैं। इसके अतिरिक्त अनेक मनोरंजन पोर्टल, ईकॉमर्स वेबसाइटें आदि भी हिन्दी में हैं। दूसरी ओर विकिपीडिया, विकिट्रैवल, भारतकोश आदि ज्ञानवर्धक विश्वकोष भी हैं।

वर्तमान में अधिकतर सर्च इंजन यथा गूगल, बिंग आदि हिन्दी यूनिकोड खोज का समर्थन करते हैं। हिन्दी खोज के मामले में गूगल का प्रदर्शन अन्य सर्च इंजनों की तुलना में बेहतर है। गूगल का इंटरफेस हिन्दी एवं अन्य दूसरी भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध है। ईमेल की बात करें तो वैसे तो अधिकतर वर्तमान ईमेल सेवायें हिन्दी यूनिकोड का समर्थन करती हैं परन्तु गूगल की जीमेल हिन्दी के लिये सर्वोत्तम है। जीमेल में हिन्दी में मेल लिखने हेतु गूगल का ट्राँसलिट्रेशन टूल भी इनबिल्ट है।

हिन्दी चिट्ठाकारी की इंटरनेट पर हिन्दी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। सन २००२ में ‘नौ दो ग्यारह’ नामक चिट्ठे से आरम्भ होकर आज हिन्दी चिट्ठों की संख्या लगभग ३०,००० तक पहुँच गयी है। यद्यपि अब भी हिन्दी चिट्ठाजगत अंग्रेजी चिट्ठाजगत जितना विस्तृत नहीं पर यह निरन्तर प्रगति कर रहा है। हिन्दी चिट्ठाकारी ने कम्प्यूटर और इंटरनेट पर हिन्दी में रुचि रखने वाले विभिन्न लोगों का समुदाय विकसित करने में सहायता की है। ब्लॉगर तथा वर्डप्रैस के ब्लॉग प्लेटफॉर्म हिन्दी के लिये उपयुक्त हैं।

डिजिटल हिन्दी का भविष्य

कम्प्यूटर, लैपटॉप, स्मार्टफोन तथा टैबलेट आदि डिजिटल उपकरण हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा बन चुके हैं। आजकल लगभग इन सभी उपकरणों में हिन्दी में काम करना सम्भव है। भाषाई समर्थन ने तकनीकी विभाजन की दूरी को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। यूनिकोड सिस्टम ने हिन्दी को सभी कम्प्यूटिंग डिवाइसों तक पहुँचा दिया है। यूनिकोड सिस्टम के कारण कम्प्यूटर पर हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में काम करना अंग्रेजी जैसा ही सरल हो गया है। इसी कारण अब इंटरनेट पर हिन्दी चिट्ठों तथा वेबसाइटों की भरमार है।

ऑपरेटिंग सिस्टमों की बात करें तो माइक्रोसॉफ्ट विण्डोज़, लिनक्स तथा ऍपल के मॅक ओऍस आदि डैस्कटॉप ऑपरेटिंग सिस्टमों के अतिरिक्त आइओऍस तथा ऍण्ड्रॉइड जैसे मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टमों में भी इण्डिक यूनिकोड का समर्थन आ गया है। कम्प्यूटर पर ऑफिस सुइट जैसे माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस, लिब्रेऑफिस इत्यादि में भारतीय भाषाओं में ठीक उसी तरह काम किया जा सकता है जैसे अंग्रेजी में। फलस्वरूप कम्प्यूटर पर भारतीय भाषायें अब केवल टाइपिंग तक सीमित न रहकर शॉर्टिंग, इंडैक्सिंग, सर्च, मेल मर्ज, हैडर-फुटर, फुटनोट्स, टिप्पणियाँ (कमेंट) आदि सब कम्प्यूटरी कार्यों में सक्षम हो गयी हैं। यहाँ तक कि आप फाइलों के नाम भी हिन्दी (या किसी अन्य भारतीय भाषा) में दे सकते हैं।

वर्तमान में विण्डोज़ युक्त कम्प्यूटरों में विण्डोज़ ऍक्सपी और विण्डोज़ ७ की लगभग बराबर हिस्सेदारी है तथा आगामी लगभग पाँच वर्षों में विण्डोज़ ७ विण्डोज़ ऍक्सपी का स्थान ले लेगी। अर्थात आने वाले वर्षों में लगभग सभी कम्प्यूटरों में हिन्दी समर्थन पूरी तरह अन्तर्निर्मित होगा। प्रकाशन उद्योग द्वारा अत्यधिक उपयोग किये जाने वाले ग्राफिक्स तथा डीटीपी पैकेजों फोटोशॉप, कोरलड्रॉ तथा इनडिजाइन आदि में हिन्दी यूनिकोड समर्थन आने से भविष्य में प्रकाशन उद्योग भी यूनिकोड को अपनायेगा। यूनिकोड के प्रति बढ़ती जागरुकता और प्रकाशन के सॉफ्टवेयर पैकेजों के यूनिकोड मित्र संस्करण आने के मद्देनजर इस दशक के अन्त तक कम्प्यूटर और इंटरनेट पर सारा कार्य यूनिकोड हिन्दी में होने लगेगा।

इंटरनेट पर भी अब अन्तर्राष्ट्रीय वर्ण-कूट मानक यूनिकोड खूब लोकप्रिय हो रहा है और सभी प्रमुख वेबसाइटें जैसे गूगल, विकिपीडिया आदि इसे अपना चुकी हैं। यूनिकोड आधारित वेबसाइटों को देखने के लिये पाठक के पास सम्बन्धित फॉण्ट होने की अनिवार्यता भी नहीं है। अगर कोई वेबसाइट यूनिकोड में है तो उसे किसी भी यूनिकोड सक्षम कम्प्यूटर पर देखा जा सकता है। यूनिकोड की लोकप्रियता संसार भर में दिन-दूनी रात-चौगुनी बढ़ती जा रही है तथा इसके साथ ही हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में भी वेबसाइट, ब्लॉग, ऑनलाइन वेब आधारित औजारों/उपकरणों/सुविधाओं का प्रयोग धड़ाधड़ बढ़ता जा रहा है। ईमेल में सीधे हिन्दी में सम्प्रेषण किया जा रहा है। मोबाइल फोन पर भी हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में संक्षिप्त सन्देश (SMS) तथा इंटरनेट संचार किया जाने लगा है।

हिन्दी संगणन सम्बन्धी सॉफ्टवेयर औजारों की बात करें तो हिन्दी टंकण, मशीनी लिप्यन्तरण, मशीनी अनुवाद, शब्दकोष, वर्तनी जाँच, पाठ से वाक् तथा फॉण्ट परिवर्तक आदि तन्त्र लगभग पूरी तरह सुलभ हो चुके हैं। ओसीआर तथा श्रुतलेखन (वाक् से पाठ) के क्षेत्र में और विकास की आवश्यकता है। ये हिन्दी सामग्री के डिजिटलीकरण हेतु दो सबसे महत्वपूर्ण सॉफ्टवेयर हैं। विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषायें और डाटाबेस भी हिन्दी समर्थन युक्त हैं। मॅक ओऍस को छोड़कर अधिकतर ऑपरेटिंग सिस्टमों का हिन्दीकरण हो चुका है। मोबाइल प्लेटफॉर्मों तथा उपकरणों पर भी हिन्दी सुलभ होती जा रही है। कुल मिलाकर हिन्दी कम्प्यूटिंग का अब तक का विकास सन्तोषपूर्ण है तथा भविष्य सही दिशा में है।

१७ सितंबर २०१२