गीता
अपने बगीचे के पौधों की देखभाल करती है। रोज शाम को हजारे से
पानी देती है। पौधे धीरे धीरे बड़े हो रहे हैं। उनमें पीले
फूल निकलने लगे हैं।
आजकल
छुटकू भालू घर आया हुआ है, वह भी गीता के साथ शाम को बगीचे
में जाता है। लेकिन वह पौधों में पानी नहीं देता, एक
कोने में बैठकर गीता को पानी देते हुए देखता है। छुटकू
भालू को पौधों की देखभाल करना नहीं आता। वह गीता को
देखकर सीख रहा है।
गीता को
शैतानी सूझी। पौधों में पानी देते देते उसने हजारे की
फुहार को छुटकू भालू की तरफ कर दिया। छुटकू भालू पर बरसात
होने लगी। छुटकू भालू ने झट
छतरी निकाली और तान ली। बरसात के दिन हैं न?
छुटकू भालू छतरी हमेशा साथ रखता है।
गीता और
छुटकू भालू दोनों बड़ा-बड़ा मुस्का दिये। देखो मुस्का रहे
हैं न?
- पूर्णिमा वर्मन |