सोलहवीं
वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में-
कथा यू.के. के
सोलह साल
--मधुलता
अरोरा
इंदु शर्मा
कथा सम्मान और कथा यूके एक दूसरे के पर्याय हैं। सन् १९९५ में
भारत में इंदु शर्मा मेमोरियल की नींव रखी गई। संभावनाशील
कवियत्री एवं कहानीकार इंदु शर्मा का कैंसर से संघर्ष करते हुए
अल्पायु में ही निधन हो गया था। तेजेन्द्र शर्मा ने अपनी पत्नी
इंदु की यादों को सहेजते हुए मुम्बई में 'इंदु शर्मा कथा
सम्मान' की शुरूआत की, जिससे राहुलदेव, विश्वनाथ सचदेव और सिने
अभिनेता नवीन निश्चल ट्रस्टी के रूप में जुड़ गये। जहाँ तक
मुझे याद आता है भारत का शायद यह पहला सम्मान है जो एक लेखक
द्वारा अपनी लेखिका पत्नी की स्मृति में किसी कथाकार को दिया
जाता है।
भारत में ५ वर्षों तक यह सम्मान समारोह एअर इंडिया के
आडिटोरियम में आयोजित किया जाता रहा। यहाँ गीतांजलिश्री,
धीरेन्द्र अस्थाना, अखिलेश, देवेन्द्र और मनोज रूपड़ा सम्मानित
हुए। इन पांच समारोहों में धर्मवीर भारती, राजेन्द्र यादव,
मनोहर श्याम जोशी, गोविन्द मिश्र, जगदंबाप्रसाद दीक्षित,
कन्हैयालाल नंदन, ज्ञानरंजन तथा कामतानाथ जैसी गरिमामय
विभूतियों ने पधारकर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
पारिवारिक कारणों से तेजेन्द्र शर्मा को भारत और लंदन में से
एक देश को चुनना था। परिवार को स्थायित्व देने के उद्देश्य को
प्राथमिकता देते हुए लंदन को चुना। सो इंदु शर्मा कथा सम्मान
का केन्द्र लंदन हो जाना स्वाभाविक था। इस सम्मान को सफलता के
शिखर पर स्थापित करने का सपना देखते हुए इस सम्मान को
अंतरराष्टीय स्वरूप देने का निश्चय किया और बैनर को नाम दिया
गया कथा यूके। कथा यूके यूनाइटेड किंगडम में बसे दक्षिणी एशिया
के लेखकों का समुदाय है। सो, सन २००० से अंतरराष्टीय इंदु
शर्मा कथा सम्मान शुरू हुआ और यह सम्मान पानेवाली थीं प्रख्यात
लेखिका चित्रा मुदगल। यह सम्मान २००० से २००५ तक लंदन के नेहरू
सेंटर में दिया जाता रहा। तेजेन्द्र शर्मा और साथ ही लंदन में
रह रहे साहित्यकारों ने इस बात को महसूस किया कि लंदन की ज़मीन
पर भारत के साहित्यकार सम्मानित हो रहे हैं तो ब्रिटेन के
हिन्दी साहित्यकारों के लिये भी एक सम्मान क्यों न शुरू किया
जाये। तेजेन्द्र शर्मा की फ़ितरत है कि यदि किसी सही कार्य के
लिये उनको विश्वास में लेकर बात की जाये तो वे ना नहीं करते।
सो हाथ कंगन को आरसी क्या। २००० में ही पदमानंद साहित्य सम्मान
शुरू किया गया और इसके प्रथम सम्मानित साहित्यकार थे डाक्टर
सत्येन्द्र श्रीवास्तव।
इस
प्रकार एक लेखक द्वारा दो सम्मान समारोह आयोजित करना वह भी
ब्रिटेन में, कितनी ज़िम्मेदारी का काम है, इसे आसानी से समझा
जा सकता हैं। सन २००६ में एक ऐसी ऐतिहासिक घटना घटी जिसका किसी
को सपने में भी गु़मान नहीं था कि यह चमत्कार हो सकता है। वह
थी हाउस आफ लॉर्डस में अंतर्राष्टीय इंदु शर्मा कथा सम्मान का
आयोजन। हाउस आफ लॉर्ड्स के इतिहास में यह महत्त्वपूर्ण घटना है
कि वहाँ पर किसी भारतीय भाषा का सम्मान समारोह आयोजित किया
गया। वहाँ ये सम्मान समारोह ३ वर्ष तक होते रहे पर कथा यूके को
राजपथ से जनपथ पर आना अनिवार्य लगा। सो सन २००९ का सम्मान
समारोह हाउस आफ कामन्स में आयोजित किया गया और २०१० का सम्मान
समारोह भी हाउस आफ कॉमन्स में आयोजित होने जा रहा है। कथा यूके
एवं उससे जुड़े लोगों की लगन और मेहनत का परिणाम है कि बिना
किसी शोर शराबे और बिना किसी सरकारी अनुदान के ब्रिटेन की संसद
में हिन्दी का परचम फहरा दिया है संयुक्त राष्ट्र अमेरिका में
हिन्दी को उसका स्थान दिलाने का जो काम भारत सरकार और हिन्दी
के मठाधीश मिलकर नहीं करवा पाये हैं वही काम कथा यूके ने
ब्रिटेन में अकेले कर दिखाया है।
सूरजप्रकाश कथा यूके के भारतीय प्रतिनिधि हैं। पत्रकार अजित
राय सम्मान हेतु मीडिया का काम देखते हैं। भारत में कथा यूके
सही मायनों में बिना किसी रूकावट के क्रियाशील है। कथा यूके
मुंबई में वी केयर से जुड़ी है जहाँ कैंसर के मरीज़ों के लिये
नकद, दवा आदि के रूप में सहायता करती है। कथा यूके क्राई
संस्था से जुड़ी है। हर वर्ष वहाँ के दो बच्चों को गोद लेकर एक
वर्ष के लिये उनके खानेपीने, पढ़ने लिखने आदि का खर्च वहन करती
है। कथा यूके 'गाडगे महाराज की धर्मशाला से जुड़ी है जहाँ
कैंसर पीड़ितों के इलाज एवं उनके साथ्र रहनेवाले उनके
रिश्तेदारों को रखा जाता है और उनको रियायती दरों पर भोजन और
आवास उपलब्ध कराया जाता है। इस धर्मशाला में वहाँ रहनेवाले
मरीजों एवं उनके रिश्तेदारों को अन्नदान, धनदान करके उनकी
ज़रूरतों को पूरा करने में सहयोग करने के लिये प्रयत्नशील है।
कथा यूके घाटकोपर, मुंबई में स्थित मानव जीवन सेवा ट्रस्ट से
जुड़ी है जहाँ उसने अनाथों के लिये वस्त्रदान किये जो अनाथों
के साथ साथ आदिवासियों में भी वस्त्रों को वितरित करने का
कार्य करती है।
साथ साथ कथा यूके लंदन में और भारत में आनेवाले हिन्दी
साहित्यकारों के सम्मान में साहित्यिक गोष्ठियों का आयोजन करती
है और इस तरह देश विदेश में साहित्यकारों में आपसी विचार
विमर्श से समस्याओं के समाधान खोजने के प्रयास किये जाते हैं।
किसी संस्था को सतत १६ वर्षों तक निर्बाध रूप से चलाना आसान
नहीं है और वह भी कार्यक्रम के स्तर को लगातार शीर्ष पर बनाये
रखना तो और भी दुष्कर कार्य है। कथा यूके लेखक के चयन में इस
बात का विशेष ध्यान रखती है कि रचना का सम्मान हो, व्यक्ति का
नहीं। कथा यूके अपनी पारदर्शिता के लिये प्रख्यात है। इसका
अन्दाज़ आप इसीसे लगा सकते हैं कि सामान्य ज्ञान की
प्रतियोगिताओं की कई पत्रिकाओं में अंतर्राष्टीय इंदु शर्मा
कथा सम्मान से संबंधित सवाल पूछे जाते हैं। सम्मान को इस
पराकाष्ठा तक पहुंचाने में तेजेन्द्र शर्मा को कितने प्रयास,
संघर्ष करने पड़ते हैं वह परदे के पीछे ही रहता है।
कथा
यूके ने इन ।६ वर्षों के इस साहित्यिक सम्मान यात्रा में जनन
लेखकों को सम्मानित किया है। उन सम्मानित लेखकों के नाम हैं-
गीतांजलिश्री, धीरेन्द्र अस्थाना, अखिलेश, देवेन्द्र, मनोज
रूपड़ा, चित्रा मुदगल, संजीव, ज्ञान चतुर्वेदी, एस आर हरनोट,
विभूतिनारायण राय, प्रमोदकुमार तिवारी, असग़र वजाहत, महुआ
माजी, नासिरा शर्मा, भगवानदास मोरवाल, एवं २०१० के सम्मान
विजेता हैं हृषीकेश सुलभ। इसी प्रकार लंदन में पदमानन्द
साहिज्य सम्मान से सम्मानित कवि एवं लेखक इस प्रकार हैं-
डाक्टर सत्येन्द्र श्रीवास्तव, दिव्या माथुर, भारतेन्दु विमल,
नरेश भारतीय, अचला शर्मा, उषा राजे सक्सेना, गोविन्द शर्मा,
गौतम सचदेव, उषा वर्मा, मोहन राणा और वर्ष २०१० के सम्मानित
रचनाकार हैं कादंबरी मेहरा तथा महेन्द्र दवेसर।
ब्रिटेन की कई संस्थाएं कथा यूके के साथ मिल कर कार्यक्रम
आयोजित करती हैं। पिछले कुछ सालों से लंदन में काउंसलर ज़कीया
ज़ुबैरी द्वारा संचालित संस्था एशियन कम्यूनिटी आर्ट्स के साथ
कथा यू.के. हिन्दी-उर्दू कहानी, कविता एवं ग़ज़ल आदि से जुड़े
कार्यक्रम आयोजित कर रही है। समुद्र पार रचना संसार (प्रवासी
कहानी संग्रह), प्रवासी हिन्दी ग़ज़ल के अतिरिक्त कहानियों,
उपन्यास एवं संगीत की ऑडियो पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं।
बर्मिंघम की संस्था गीतांजलि हर वर्ष कथा यूके के सम्मानित
साहित्यकारों का सम्मान स्थानीय काउंसिल जनरल के कार्यालय में
करती है। डा. कृष्ण कुमार एवं जय वर्मा कथा यूके के साथ पूरा
सहयोग करते हैं।
आप पाठक सोच रहे होंगे आख़िर मैंने कथा यूके का यह ब्यौरा आप
लोगों के समक्ष क्यों रखा तो इसका एक सीधा सा उत्तर यह है कि
विदेश की सरज़मीं पर किस तरह से एक भारतीय लेखक ने हिन्दी को
सम्मान दिलाया है और मुझे इस बात का गर्व है कि मैं कथा यूके
की एक सामान्य सी कार्यकर्ता हूँ और स्वयं को इससे इसलिये भी
जुड़ा महसूस करती हूँ क्योंकि यह सम्मान एक नारी याने इंदु
शर्मा से जुड़ा है। साहित्य के इस यज्ञ में यदि मैं एक अंजुरि
सहयोग की आहुति डालती हूँ तो सुकून मिलता है कि साहित्य जगत से
लगातार जुड़े रहने का ज़रिया है कथा यू के। |